भारत में परमाणु उर्जा चालित रेलगाड़ियाँ

भारत में परमाणु उर्जा चालित रेलगाड़ियाँ

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु प्रौद्योगिकी, आधारिक संरचना, भारतीय रेलवे के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता और उसका महत्त्व ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ गैर – जीवाश्म ईंधन , शुद्ध शून्य कार्बन – उत्सर्जन , भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI), परमाणु ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा , भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (NPCIL) थोरियम रिएक्टर ’ खंड से संबंधित है।) 

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों और नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग की संभावना तलाश रही है। 
  • इसके अलावा, शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के तहत भारतीय रेलवे अपनी नवीकरणीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र भी स्थापित कर रहा है।

 

परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियाँ और उनमें सुरक्षा संबंधी उपाय : 

  • परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों का विचार सन 1950 के दशक में तब उभरा, जब सोवियत संघ के परिवहन मंत्रालय ने इसे एक आधिकारिक लक्ष्य के रूप में अपनाया। इन रेलगाड़ियों में उच्च दबाव वाली भाप बनाने के लिए परमाणु प्रतिक्रियाओं से उत्पन्न गर्मी का उपयोग किया जाता है। यह भाप टर्बाइन को चलाती है, जो ट्रेन को शक्ति प्रदान करती है और ट्रेन में लगे उपकरणों जैसे एयर कंडीशनर और लाइट के लिए बिजली उत्पन्न करती है।

 

परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों की प्रस्तावित डिजाइन और संरचना : 

  • प्रस्तावित डिज़ाइन में एक पोर्टेबल परमाणु रिएक्टर शामिल होता है, जो भाप उत्पन्न करने के लिए तरल पदार्थ को गर्म करता है। यह भाप इलेक्ट्रिक टर्बाइन को शक्ति प्रदान करती है, जिससे ट्रेन को आवश्यक बिजली प्राप्त होती है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली रेलगाड़ियाँ परमाणु प्रतिक्रियाओं से उत्पन्न गर्मी का उपयोग उच्च दबाव वाली भाप बनाने के लिए करती हैं। इस भाप को टर्बाइन में भेजा जाता है, जिसमें दो प्रमुख टर्बाइन होती हैं। जो निम्नलिखित है – 
  1. प्रेरणात्मक टर्बाइन : यह टर्बाइन रेलगाड़ी को शक्ति प्रदान करती है और इसकी गति को नियंत्रित करती है।
  2. सहायक टर्बाइन : यह टर्बाइन रेलगाड़ी के अन्य उपकरणों जैसे कि एयर कंडीशनर, लाइट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बिजली उत्पन्न करती है।

 

सुरक्षा संबंधी उपाय : 

  • परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए थोरियम रिएक्टरों पर विचार किया जा रहा है क्योंकि इनमें अन्य परमाणु सामग्रियों की तुलना में विकिरण का जोखिम कम होता है। रिएक्टर डिज़ाइन में निम्नलिखित सुरक्षा सुविधाएँ शामिल हैं – 
  • थोरियम रिएक्टरों का उपयोग : थोरियम रिएक्टरों को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि इनसे विकिरण का जोखिम अन्य परमाणु सामग्रियों की तुलना में कम होता है। थोरियम रिएक्टरों में सुरक्षा की संभावना अधिक होती है और ये कम खतरनाक परमाणु कचरा उत्पन्न करते हैं।
  • अत्याधुनिक सुरक्षा सुविधाओं को शामिल करना : भारतीय रेलवे सुरक्षा के दृष्टिकोण से रिएक्टर डिज़ाइन में अत्याधुनिक सुरक्षा सुविधाओं को शामिल कर आपातकालीन स्थितियों में स्वचालित सुरक्षा प्रणाली को अपना रही है। जो निम्नलिखित है –
  • स्वचालित सुरक्षा प्रणाली को अपनाना : भारतीय रेलवे में परिचालन के दौरान आपातकालीन स्थितियों में स्वचालित सुरक्षा प्रणाली सक्रिय होती है, जो रिएक्टर को तात्कालिक बंद कर देती है और किसी भी प्रकार के रेडियोधर्मी रिसाव को रोकती है।
  • विशेष निगरानी और नियंत्रण उपाय अपनाना : परमाणु सामग्री की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष निगरानी और नियंत्रण उपाय अपनाए जाते हैं, ताकि दुरुपयोग की संभावना को कम किया जा सके। 
  • संवेदनशील सुरक्षा ढाँचा : रिएक्टर की बाहरी परतें और संरचनाएँ उच्च दबाव और तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन की जाती हैं। इस प्रकार, परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियाँ न केवल ऊर्जा दक्षता में सुधार कर सकती हैं, बल्कि सही सुरक्षा उपायों के साथ सुरक्षित भी हो सकती हैं।

 

परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों से होने वाले संभावित लाभ :

  • कार्बन का कम उत्सर्जन होना : परमाणु ऊर्जा जीवाश्म ईंधन की तुलना में CO2 उत्सर्जन को कम कर सकती है, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को समर्थन मिलता है।
  • न्यूनतम ईंधन से बहुत अधिक ऊर्जा प्रदान करना : परमाणु रिएक्टर न्यूनतम ईंधन से बहुत अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे परिचालन लागत कम हो सकती है और लंबी दूरी के रेल परिवहन के लिए पर्यावरणीय प्रभाव कम हो सकता है।
  • रेलवे परिचालन में लचीलापन और कम बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएँ : परमाणु ऊर्जा से चलने वाली रेलगाड़ियाँ ओवरहेड विद्युत लाइनों के बिना चल सकती हैं, जिससे बुनियादी ढांचे की लागत में कटौती होगी और परिचालन लचीलापन बढ़ेगा।
  • विस्तारित रेंज का होना : ये रेलगाड़ियां बार-बार ईंधन भरे बिना लंबी दूरी की यात्रा कर सकती थीं, जिससे माल और यात्री सेवाओं दोनों को लाभ मिलता था।
  • रेल परिवहन के प्रदर्शन को बढ़ाना और उच्च दक्षता का होना : परमाणु रिएक्टरों से निरंतर बिजली रेल परिवहन के प्रदर्शन को बढ़ा सकती है।

 

परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों के विकास में प्रमुख चुनौतियां :

  • विकिरण से सुरक्षा सुनिश्चित करना : भारतीय रेलवे के लिए विकिरण से सुरक्षा सुनिश्चित करना और रिसाव को रोकना प्रमुख चिंता का विषय है। यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
  • परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों के विकास और क्रियान्वयन में उच्च लागत का शामिल होना : परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों के विकास और क्रियान्वयन में उच्च लागत शामिल है, जिसमें छोटे, सुरक्षित रिएक्टरों का निर्माण और उन्हें इंजनों में एकीकृत करना शामिल है।
  • इंजीनियरिंग चुनौतियां और तकनीकी जटिलता का होना : भारतीय रेलवे को परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों के लिए परमाणु रिएक्टरों का डिजाइन और रखरखाव जटिल होता है और इसमें इंजीनियरिंग चुनौतियां भी शामिल हैं।

 

भारतीय रेलवे की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में प्रयास : 

  • परमाणु ऊर्जा के उपयोग की दिशा में कदम : भारतीय रेलवे ने अपने ऊर्जा उपयोग को अधिक स्थिर और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग की संभावना पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसके अंतर्गत, भारतीय रेलवे परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) के साथ मिलकर छोटे रिएक्टरों और अन्य बिजली उत्पादन इकाइयों की स्थापना पर चर्चा कर रहा है। इस पहल से रेलवे को अपने ऊर्जा स्रोतों की विविधता बढ़ाने और ऊर्जा संकट से निपटने में सहायता मिलेगी।
  • शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य : भारतीय रेलवे का उद्देश्य 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए, रेलवे को 2029-30 तक 30,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता होगी। यह कदम न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद करेगा, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • भारतीय रेलवे का नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने का प्रयास : भारतीय रेलवे ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ते हुए भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई), एनटीपीसी और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के साथ सहयोग किया है। 2023 में, रेलवे ने लगभग 147 मेगावाट सौर ऊर्जा और 103 मेगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन शुरू किया। साथ ही, रेलवे ने अपने ब्रॉड-गेज नेटवर्क के 96% से अधिक हिस्से का विद्युतीकरण कर लिया है और वर्तमान में 2,637 स्टेशनों और सेवा भवनों में 177 मेगावाट क्षमता के सौर रूफटॉप संयंत्र संचालित हो रहे हैं।

 

भारतीय रेलवे को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता का महत्वपूर्ण कारण :

  • उच्च ऊर्जा खपत के कारण टिकाऊ एवं नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों की ज़रूरत : भारतीय रेलवे सालाना 20 बिलियन kWh से ज़्यादा बिजली का इस्तेमाल करता है, जो देश की कुल बिजली खपत का लगभग 2% है। इस उच्च उपयोग के लिए ज़्यादा टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की ज़रूरत है
  • बिजली की बढ़ती मांग का होना : विद्युतीकरण के प्रयासों के कारण, बिजली की मांग 2012 में 4,000 मेगावाट से बढ़कर 2032 तक लगभग 15,000 मेगावाट तक पहुँचने की संभावना है। यह वृद्धि ऊर्जा स्रोतों की विविधता की आवश्यकता को उजागर करती है।
  • विद्युतीकरण लक्ष्य : भारतीय रेलवे ने 2030 तक अपने ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 100% विद्युतीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे बिजली की मांग में और वृद्धि होगी और वैकल्पिक ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की आवश्यकता बढ़ेगी।
  • पर्यावरणीय प्रभाव और कार्बन उत्सर्जन की मात्रा को कम करना : डीजल और बिजली पर निर्भरता के कारण CO2 उत्सर्जन की मात्रा अधिक है। रेलवे का उद्देश्य 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 33% कम करना है।
  • ऊर्जा उत्पन्न करने की दिशा में कदम बढ़ाना और घटता राजस्व अधिशेष : राजस्व आय और व्यय में असंतुलन के कारण भारतीय रेलवे बाहरी स्रोतों पर खर्च को कम करने के लिए अपनी स्वयं की ऊर्जा उत्पन्न करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
  • अक्षय ऊर्जा और किफायती बिजली उत्पादन मॉडल के माध्यम से लागत अनुकूलन प्रणाली को अपनाना : बिजली का सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के नाते, भारतीय रेलवे सालाना करीब 20,000 करोड़ रुपये बिजली पर खर्च करता है। अक्षय ऊर्जा और किफायती बिजली उत्पादन मॉडल के माध्यम से लागत में कटौती रेलवे की प्रमुख प्राथमिकता है।

 

निष्कर्ष:/ आगे की राह : 

  • भारतीय रेलवे में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की दिशा में कदम बढ़ाना कई प्रमुख कारकों से उत्पन्न होती है, जिनमें उच्च ऊर्जा खपत, विद्युतीकरण के कारण बढ़ती बिजली की मांग, पर्यावरणीय चिंताएँ, और लागत प्रबंधन की आवश्यकता शामिल हैं। परमाणु ऊर्जा आधारित ट्रेनों का प्रस्ताव कार्बन उत्सर्जन को कम करने और दक्षता में सुधार करने की संभावनाएँ प्रदान करता है। हालांकि, इसके साथ सुरक्षा, लागत और तकनीकी जटिलताओं से संबंधित महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए शोध और प्रौद्योगिकी में निरंतर प्रगति की आवश्यकता है। जैसे-जैसे तकनीक विकसित होगी और अनुसंधान प्रगति करेगा, परमाणु ऊर्जा का योगदान भारतीय रेलवे के भविष्य में एक अधिक टिकाऊ और कुशल प्रणाली के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू। 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1.परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2019)

  1. सहायक टर्बाइन रेलगाड़ी के एयर कंडीशनर, लाइट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बिजली उत्पन्न करती है।
  2. खनिजों के इकाई द्रव्यमान के आधार पर, थोरियम प्राकृतिक यूरेनियम की तुलना में अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
  3. परमाणु ऊर्जा जीवाश्म ईंधन की तुलना में CO2 का उत्सर्जन कम मात्रा में करती है। 

उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

A. केवल 1 और 3

B. केवल 2 और 3

C. इनमें से कोई नहीं।

D. 1, 2 और 3 सभी।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1.भविष्य के ईंधन के रूप में परमाणु ऊर्जा से संबंधित तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए यह चर्चा कीजिए कि यह भारतीय रेलवे को वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने में किस प्रकार सहायक हो सकता है? (शब्द सीमा – 250 अंक – 15)

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