पानी की राजनीति : भारत और पाकिस्तान के बीच की सिंधु जल संधि

पानी की राजनीति : भारत और पाकिस्तान के बीच की सिंधु जल संधि

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति , शासन एवं राजव्यवस्था , महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हित्तों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते , भारत और पाकिस्तान के बीच की सिंधु जल संधि ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ सिंधु जल संधि , विश्व बैंक , स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) , विश्व की बहुत निराशाजनक तस्वीर में एक चमकदार बिंदु ’ खंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में, भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की है। 
  • जनवरी 2023 में, भारत ने पाकिस्तान को चौथा नोटिस भेजा, जिसमें इस जल संधि पर दोबारा से बातचीत की मांग की गई थी। 
  • भारत ने स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) की सभी बैठकें तब तक के लिए रद्द कर दी हैं, जब तक कि पाकिस्तान इस जल संधि के विवाद को लेकर आपसी वार्ता के लिए तैयार नहीं होता है। 

 

सिंधु जल संधि क्या है ?

  • सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) सन 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। 
  • इस संधि के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल का बंटवारा भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के बीच किया गया था। 
  • भारत को सतलुज, ब्यास और रावी नदियों पर अधिकार मिला था , जबकि जम्मू और कश्मीर से बहने वाली नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार मिला था।

वर्तमान समय में सिंधु जल संधि को लेकर विवाद का मुख्य कारण : 

 

  • जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान की आपत्ति : भारत ने अपनी सीमा पर कई जलविद्युत परियोजनाओं विशेषकर किशनगंगा और रतले की योजना बनाई है, जिससे पाकिस्तान को आपत्ति है। पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं पर तटस्थ विशेषज्ञ की जांच की मांग की है।
  • जल का अनियोजित और असमान वितरण होना : भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर विवाद का मुख्य कारण जल का अनियोजित और असमान वितरण है। भारत के कई जलविद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन से पाकिस्तान को यह चिंता है कि यह उसके जल संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • राजनीतिक रूप से उत्पन्न तनाव : सन 2016 में भारत के उरी नामक जगह पर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमले के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने “खून और पानी” के बहाव के बारे में बहुत ही तल्ख और कठोर टिप्पणी की थी, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच के आपसी संबंधों में तनाव और बढ़ गया है।
  • दोनों ही देशों के बीच होने वाले आपसी वार्ता में गतिरोध उत्पन्न होना : भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है।
  • सीमापार से पाकिस्तान द्वारा जारी आतंकवाद : भारत ने सीमापार से जारी पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के प्रभाव को भी इस संधि की समीक्षा की मांग का एक कारण बताया है।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संबंधी मुख्य मुद्दे : भारत और पाकिस्तान के बीच के आपसी संबंधों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दे भी विवाद का एक प्रमुख कारण हैं।

 

भारत का रूख : 

 

  • भारत का मानना है कि संधि के प्रावधानों में बदलाव की आवश्यकता है, ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके। 
  • भारत ने पाकिस्तान को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
  • भारत ने सिंधु जल संधि के संदर्भ में अपने रूख को दृढ़ता से बनाए रखा है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान को अपनी चिंताओं को सुलझाने के लिए संधि के ढांचे के तहत बातचीत करने की आवश्यकता है। 
  • भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि वह जल संसाधनों का उपयोग अपने विकास के लिए करेगा, जबकि पाकिस्तान को जल की न्यूनतम जरूरतों का सम्मान करना चाहिए।

 

समाधान की राह :

 

  1. आपसी वार्ता और संवाद से सिंधु जल संधि विवाद का समाधान करने की कोशिश करना : भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों को वार्ता के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए। दोनों ही देशों को वार्ता की प्रक्रिया को पुनः शुरू करना चाहिए। यह आवश्यक है कि दोनों पक्ष अपनी चिंताओं और आवश्यकताओं को आपस में साझा करें।
  2. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सहारा लेना : यदि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के बीच का द्विपक्षीय बातचीत असफल होती है, तो अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सहारा लेना एक विकल्प हो सकता है। विश्व बैंक या अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की मध्यस्थता से विवाद का समाधान हो सकता है।
  3. पर्यावरणीय और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना : जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों पर दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए। इससे जल संसाधनों के प्रबंधन में सहयोग बढ़ सकता है।
  4. निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए तटस्थ विशेषज्ञों की भूमिका तय करना : पाकिस्तान की तटस्थ विशेषज्ञों की मांग का सम्मान करते हुए, एक निष्पक्ष मूल्यांकन करना आवश्यक हो सकता है।

 

निष्कर्ष : 

 

 

  • सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता है, जिसे वर्तमान समय की चुनौतियों के अनुसार अद्यतन करने की आवश्यकता है। दोनों देशों को मिलकर इस संधि को बचाने और विवादों का समाधान निकालने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। वर्तमान विवाद दोनों देशों के संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल रहा है, इसलिए दोनों ही देशों के प्रमुख नेताओं को गंभीरता से इस समस्या का समाधान निकालने पर विचार करना चाहिए।
  • सिंधु जल संधि के तहत जल संसाधनों का उचित प्रबंधन और उपयोग न केवल आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। 
  • सिंधु जल संधि का भविष्य भारत और पाकिस्तान के संबंधों, क्षेत्रीय स्थिरता और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जुड़ा है।
  • अगर दोनों देश आपसी समझदारी और आपसी संवाद को प्राथमिकता दें, तो इस 64 वर्ष पुरानी संधि को और भी मजबूत बनाया जा सकता है। 
  • वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन और अक्षय ऊर्जा की जरूरतें इस जल संधि पर पुनर्विचार को अत्यंत आवश्यक बनाती हैं। 
  • अतः सिंधु जल संधि के मौजूदा विवादों को हल करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि दोनों ही देश अपने – अपने हितों को आपस में साधते हुए इस संधि को बचा सकें, जिसे कभी अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर ने “विश्व की बहुत निराशाजनक तस्वीर” में “एक चमकदार बिंदु” करार दिया था।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. सिंधु जल संधि को लागू करने के लिए किस संगठन का गठन किया गया था और इस संधि के अंतर्गत कौन-सी नदियाँ भारत और पाकिस्तान के बीच बाँटी गई हैं?  

सूची I (संगठन )                                                सूची II ( नदियाँ ) 

  1. विश्व बैंक                                                       ब्रह्मपुत्र और मेघना  
  2. जल शक्ति मंत्रालय                                       गोदावरी और कृष्णा  
  3. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस                    गंगा, यमुना और सिंधु  
  4. सिंधु जल आयोग                                          सिंधु, झेलम और चेनाब  

उपर्युक्त सूचियों में से कौन सही सुमेलित है ?

A. केवल 1 और 3

B. केवल 2 और 4

C. केवल 3

D. केवल 4

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. “ सिंधु जल संधि पर लगातार उठ रही चिंताएं भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हैं।” इस कथन के सन्दर्भ में क्या आपको लगता है कि भारत के लिए सिंधु जल संधि के मुद्दों पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है? तर्कसंगत मत प्रस्तुत करें। ( शब्द सीमा- 250 अंक – 15 )

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