अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 बनाम महिला सशक्तिकरण

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 बनाम महिला सशक्तिकरण

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ सामाजिक न्याय, महिलाओं से संबंधित मुद्दे, लैंगिक न्याय से संबंधित कानून की आवश्यकता,  लैंगिक समानता और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों से संबंधित विषय ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ शासन और महिला सशक्तिकरण , सामाजिक मुद्दे , 1995 बीजिंग सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 66/170, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 , यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 , किशोर न्याय अधिनियम, 2015 ’ खंड से संबंधित है। ) 

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर को मनाया गया। 
  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस दुनिया भर में लड़कियों को सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। 
  • यह लैंगिक समानता, लड़कियों की शिक्षा तक समान पहुंच और युवा लड़कियों के लिए समान अवसरों के महत्व को दर्शाता है। 
  • इस दिवस का मुख्य उद्देश्य ऐसा वातावरण तैयार करना है, जहां लड़कियां स्वतंत्रता से आगे बढ़ सकें और उन्हें नेतृत्व करने तथा अपने भविष्य को आकार देने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की यह पहल सभी लड़कियों के उज्जवल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

 

लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का ऐतिहासिक संदर्भ :

 

1995 बीजिंग सम्मेलन : 

  • सन 1995 में बीजिंग में आयोजित विश्व महिला सम्मेलन ने विश्व स्तर पर महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण राह को प्रशस्त किया। इस सम्मेलन के दौरान, बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई मंच को वहां उपस्थित सभी देशों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सबसे प्रगतिशील रूपरेखाओं में से एक की स्थापना हुई। पहली बार, इसमें लड़कियों के विशिष्ट अधिकारों को विशेष रूप से मान्यता दी गई तथा उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया गया।

 

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 66/170 : 

  • बीजिंग सम्मेलन से प्राप्त गति को आगे बढ़ाते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2011 को प्रस्ताव 66/170 पारित किया, जिसमें 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में घोषित किया गया। यह प्रस्ताव लड़कियों के अधिकारों की मान्यता और उनके सामने आने वाली बाधाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है, तथा यह लड़कियों/महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है।

लड़कियों को सशक्त बनाने का महत्व : 

  • लड़कियों को सशक्त बनाना केवल एक दान का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक अनिवार्यता है। जब लड़कियों को शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के समान अवसर प्रदान किए जाते हैं, तो वे भविष्य की नेता, कार्यकर्ता और परिवर्तनकर्ता बन सकती हैं। यह सशक्तिकरण न केवल व्यक्तियों के लिए, बल्कि यह समग्र समुदाय और राष्ट्र के लिए सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में अत्यंत आवश्यक है।

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 का थीम : 

 

 

  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 का विषय या थीम “भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टिकोण” उन आकांक्षाओं और उम्मीदों को उजागर करता है जो लड़कियां अपने सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद रखती हैं। 
  • यूनिसेफ के शोध से यह स्पष्ट होता है कि लड़कियां अपने और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य बनाने के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बालिकाओं या महिलाओं के  इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने के लिए लड़कियों को सहयोग की आवश्यकता है—जैसे कि सरकारें, समुदाय और ऐसे व्यक्ति जो सक्रिय रूप से उनकी जरूरतों को सुनें और उन पर प्रतिक्रिया दें। 
  • लड़कियों या महिलाओं को जब उन्हें पर्याप्त समर्थन प्राप्त होता है, तो लड़कियां अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकती हैं, जिससे उनके परिवारों, समुदायों और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 का यह थीम लड़कियों के उज्जवल भविष्य के निर्माण के महत्व को रेखांकित करती है।

 

लड़कियों के अधिकार और लैंगिक समानता का महत्व : 

 

  • लड़की के रूप में जन्म लेना किसी की क्षमता को सीमित नहीं करना चाहिए। 
  • दुर्भाग्यवश, दुनिया भर में कई लड़कियों को ऐसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है जो उनकी पसंद और अवसरों को प्रभावित करते हैं। 
  • लैंगिक असमानता के आंकड़े चिंताजनक हैं और यह दर्शाते हैं कि लड़कियां शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी मूलभूत सेवाओं तक सीमित पहुंच का सामना कर रही हैं।
  • लड़कियों के सामने आने वाली ये चुनौतियां इतना भी कठिन नहीं है।
  • लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों को पार कर इसका समाधान किया जा सकता है। 
  • समाज और सरकार द्वारा प्रभावी पहलों और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहाँ हर लड़की को सफल होने के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुंच प्राप्त हो।

 

भारतीय संविधान में लैंगिक समानता का प्रावधान होना : 

 

  • भारतीय संविधान लैंगिक समानता के सिद्धांत को सुसंगत रूप से स्थापित करता है। 
  • यह महिलाओं को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है और राज्य को ऐतिहासिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव के खिलाफ सकारात्मक कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • भारतीय संविधान के प्रमुख प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि महिलाओं को लिंग और उनके लैंगिक पहचान के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव से बचाया जाए। 
  • महिलाओं का सशक्तिकरण नीति से परे एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया है, जो महिलाओं को आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में समान अवसर प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। 
  • इस परिवर्तनकारी प्रक्रिया में घर के अंदर और बाहर दोनों जगह सोच-समझकर निर्णय लेने की क्षमता शामिल है, जो बेहतर भविष्य के लिए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करती है।
  • महिलाओं के सशक्तिकरण के संदर्भ में, लड़कियों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाना न केवल एक नैतिक आवश्यकता है बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व भी है।

 

भारत में बालिका सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई सरकारी पहल : 

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में महिलाओं की कुल जनसंख्या लगभग 58.75 करोड़ है। सतत विकास और सामाजिक उन्नति के लिए लड़कियों को सशक्त बनाना और उनकी सुरक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में एक समतापूर्ण समाज और उसके भविष्य के निर्माण के लिए लड़कियों के अधिकारों को पहचानना और उन्हें बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

 

भारत में बालिकाओं या महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई प्रमुख सरकारी योजनाएँ :

 

 

  1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ : इस योजना का उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और लड़कियों के अस्तित्व, शिक्षा और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना है। इसे जनवरी 2015 में प्रारंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य लिंग आधारित गर्भपात और घटते बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष) को संबोधित करना था, जो वर्ष 2011 में प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 919 लड़कियाँ थी। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है। यह कार्यक्रम देश के 640 ज़िलों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
  2. माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना : सन 2008 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं, विशेषकर हाशिए के समुदायों की बालिकाओं के लिए शिक्षा के अवसरों में सुधार करना है।
  1. उड़ान योजना : सन 2014 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं का नामांकन बढ़ाने के लिए एक समर्पित योजना है।
  2. सुकन्या समृद्धि योजना : सन 2015 में शुरू की गई इस योजना के माध्यम से माता-पिता को अपनी बेटियों की शिक्षा और शादी के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  3. किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) : सरकार द्वारा आरंभ किया गया यह योजना किशोरियों की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करती है।

 

भारत में लड़कियों की सुरक्षा के लिए कानूनी उपाय :

भारत ने लड़कियों को सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा के लिए कई कानूनी उपाय लागू किए हैं – 

  1. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 : इस अधिनियम का उद्देश्य बाल विवाह को समाप्त करना है और इसमें शामिल व्यक्तियों को दंडित करने का प्रावधान है।
  2. मिशन वात्सल्य : यह योजना बाल विकास और उसके संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए चाइल्ड हेल्पलाइन और ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाएँ प्रदान करती है।
  3. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 : यह कानून बाल दुर्व्यवहार से निपटने के लिए बनाया गया है और इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए अद्यतन नियम शामिल किए गए हैं।
  4. किशोर न्याय अधिनियम, 2015 : यह कानून जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  5. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना : इस योजना का उद्देश्य कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को सहायता प्रदान करना है। इस तरह की तमाम पहलें या योजनाएं भारत में एक सहायक वातावरण का निर्माण करती हैं जो भारत में लड़कियों के अधिकारों और उके कल्याण को बढ़ावा देती हैं।

 

आगे की राह :

 

 

  1. प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन : सरकारों को प्रभावी नीतियाँ और कार्यक्रम लागू करने चाहिए जो लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण को बढ़ावा दें।
  2. शिक्षा और जागरूकता : शिक्षा और जागरूकता अभियानों के माध्यम से समाज में लड़कियों और महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना आवश्यक है। समाज में लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक है। सरकारों को न केवल शिक्षा प्रणाली को सस्ता और सुलभ बनाना चाहिए, बल्कि इसकी गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करना चाहिए।
  3. संविधान और कानूनी ढांचे का सुदृढ़ीकरण : लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान और कानूनी ढांचे को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक है।
  4. सामाजिक और आर्थिक अवसरों को प्रदान करना : लड़कियों और महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक अवसर प्रदान करना ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
  5. स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना : स्थानीय समुदायों को इसमें शामिल करना बेहद महत्वपूर्ण है। परिवार और समुदायों को लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्व को समझाना चाहिए।
  6. नीतिगत स्तर पर सुधार करना : कानूनों का कार्यान्वयन और नीतियों में सुधार आवश्यक है ताकि बाल विवाह और महिलाओं या बालिकाओं के यौन शोषण जैसी प्रथाओं को रोका जा सके।
  7. सशक्तिकरण कार्यक्रम : ऐसे कार्यक्रम चलाने चाहिए जो लड़कियों को जीवन कौशल, नेतृत्व, और आत्मरक्षा के प्रशिक्षण प्रदान करें।
  8. यह विस्तृत दृष्टिकोण समाज में लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और उन्हें एक बेहतर भविष्य प्रदान करने में मदद करेगा।

 

निष्कर्ष : 

  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हमें यह याद दिलाता है कि लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सशक्त बनाना आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर लड़की को शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा मिले। जब लड़कियाँ फलती-फूलती हैं, तो समाज और राष्ट्र दोनों आगे बढ़ते हैं। हमें मिलकर प्रयास करना होगा ताकि हम एक ऐसा समाज बना सकें जहाँ हर लड़की अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग कर सके और अपने सपनों को साकार कर सके।
  • अंततः लड़कियों के भविष्य में निवेश करना हमारे वैश्विक समाज के भविष्य के निर्माण में एक ठोस निवेश है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस दिशा में कदम उठाएँ और लड़कियों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास कराने में मदद करें।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

Download plutus ias current affairs Hindi med 15th Oct 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य क्या है और महिला सशक्तिकरण के लिए कौन-से उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं?

  1. बालिकाओं के अधिकारों और शिक्षा के अधिकार को बढ़ावा देना।
  2. रोजगार के समान अवसर देना तथा बाल विवाह को रोकना।
  3. बालिकाओं के स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान केंद्रित करना तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाना।
  4. केवल बालिकाओं के लिए खेल के अवसर प्रदान करना और महिलाओं के लिए विशेष कानून बनाना।

उपरोक्त में से कितने कथन सही है ?

A. केवल एक 

B. केवल दो 

C. केवल तीन 

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – C

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं के शिक्षा के अधिकार और महिला सशक्तिकरण में कैसे योगदान देता है, और क्या सामाजिक एवं आर्थिक कारक बालिकाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालते हैं? यदि हां, तो इन कारकों के प्रभाव को कम करने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

No Comments

Post A Comment