बिहार में लॉजिस्टिक्स का नया युग : बिहार के पहले शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) और इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) का शुभारंभ

बिहार में लॉजिस्टिक्स का नया युग : बिहार के पहले शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) और इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) का शुभारंभ

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे आदि ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ शुष्क बंदरगाह ,  इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) , बंदरगाह अवसंरचना और शिपिंग उद्योग, सागरमाला परियोजना , एसडीसी , सीईजेड ’ खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

  • हाल ही में 21 अक्टूबर 2024 को बिहार के पहले शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) और इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) का पटना जिले के बिहटा में शुभारंभ किया गया है। 
  • उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा द्वारा उद्घाटित इस शुष्क बंदरगाह का मुख्य उद्देश्य बिहार राज्य के औद्योगिक विकास को गति देना और राज्य में उत्पादित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना है।
  • बिहटा के इस शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) और इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) से पहली निर्यात खेप के रूप में रूस को चमड़े के जूते भेजे गए हैं।

 

क्या होता है शुष्क बंदरगाह / ड्राई पोर्ट ?

  • शुष्क बंदरगाह, जिसे अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) भी कहा जाता है, एक रसद सुविधा है जो बंदरगाह या हवाई अड्डे से दूर स्थित होती है। 
  • यह माल की हैंडलिंग, भंडारण और परिवहन के लिए सुविधाएं प्रदान करता है, जिससे निर्यात और आयात का प्रबंधन सरल और आसान हो जाता है।
  • भारत में पहला ड्राई पोर्ट 2018 में वाराणसी में खोला गया था। 
  • शुष्क बंदरगाह अंतर्देशीय क्षेत्रों और प्रमुख प्रवेश द्वार बंदरगाहों के बीच अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग मार्गों का एक महत्वपूर्ण सेतु बनाता है, जिससे माल की कुशल आवाजाही और प्रबंधन में मदद मिलती है। 
  • वर्तमान में, भारत में लगभग 330 से अधिक ड्राई पोर्ट कार्यशील हैं।

 

शुष्क बंदरगाह ( ड्राई पोर्ट ) और इनलैंड कंटेनर डिपो ( आईसीडी ) के मुख्य लाभ : 

 

  • लॉजिस्टिक्स दक्षता और कार्गो हैंडलिंग में लगने वाले समय में कमी होना : ड्राई पोर्ट लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं, जिससे बंदरगाहों पर प्रतीक्षा समय और कार्गो हैंडलिंग में लगने वाले समय में कमी आती है। जिससे यह प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाता है।
  • परिवहन लागत में कमी और देश की लाभप्रदता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना :  ड्राई पोर्ट, रणनीतिक स्थानों पर आवश्यक वस्तुओं की सटीक संख्या की गणना और निर्माण में मदद करते हैं, जिससे परिवहन लागत में कमी आती है। यह समग्र रूप से देश की लाभप्रदता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • आर्थिक प्रभाव का बढ़ना और कार्गो प्रवाह में वृद्धि होना : शुष्क बंदरगाह की उपस्थिति नए कार्गो प्रवाह को आकर्षित करती है, जिससे आर्थिक प्रभाव बढ़ता है। साथ ही, पुनः लोडिंग के लिए प्रतीक्षा कर रहे कंटेनरों के टर्नअराउंड या बदलने के समय में कमी आती है।
  • रोजगार सृजन में सहायक और आय वृद्धि में योगदान देना : शुष्क बंदरगाह रोजगार सृजन और आय वृद्धि में योगदान करते हैं, साथ ही जनसंख्या के लिए विश्वसनीय वस्तु आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
  • परिवहन साधनों के व्यापक नेटवर्क के विकास में भी सहायक : शुष्क बंदरगाह/ ड्राई पोर्ट, बंदरगाह के प्रभाव को आस-पास के क्षेत्रों में फैलाने की अनुमति देते हैं, चाहे वे समुद्र तट से कितनी भी दूर क्यों न हों। यह परिवहन लिंक के व्यापक नेटवर्क के विकास में भी सहायक है।
  • समय का बचत होना : ड्राई पोर्ट से ट्रांसशिपमेंट का समय कम होता है, जिससे अंतिम उपभोक्ता तक माल की डिलीवरी तेजी से हो जाती है।

 

शुष्क बंदरगाह ( ड्राई पोर्ट ) और इनलैंड कंटेनर डिपो की प्रमुख चुनौतियाँ : 

 

  1. उच्च निवेश लागत : ड्राई पोर्ट की स्थापना के लिए सड़क, रेलवे, गोदाम और उपकरण जैसी आधारभूत संरचना में भारी निवेश की आवश्यकता होती है, जो कई बार निवेशकों के लिए बाधा बन सकता है।
  2. अतिरिक्त परिवहन लागत और माल प्राप्तकर्ता को होने वाला नुकसान : जब माल को बंदरगाह के बजाय टर्मिनल से भेजा जाता है, तो माल प्राप्तकर्ता (Consignee) को अतिरिक्त परिवहन लागत उठानी पड़ती है। यह स्थिति कुछ क्षेत्रों में ड्राई पोर्ट के कार्यान्वयन में रुकावट डाल सकती है।
  3. कार्गो की भंडारण क्षमता में बाधा उत्पन्न होना : ड्राई पोर्ट पर केवल विशेष प्रकार के माल का भंडारण किया जा सकता है। यदि किसी वस्तु के लिए विशिष्ट उपकरण या भंडारण की आवश्यकता हो, तो यह कार्गो की भंडारण क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  4. उच्च स्तर के समन्वय की आवश्यकता और संस्थागत जटिलता का सामना करना : ड्राई पोर्ट के प्रभावी प्रबंधन के लिए विभिन्न परिवहन साधनों, सीमा शुल्क सेवाओं और अन्य ढाँचों के बीच उच्च स्तर के समन्वय की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है।
  5. पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव और पर्यावरण संबंधी मुद्दे : परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच आपसी समन्वयन की कमी और लंबी दूरी के परिवहन के कारण कार्बन उत्सर्जन और ईंधन की खपत में वृद्धि होती है, जो पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इन चुनौतियों का समाधान ढूंढना आवश्यक है ताकि ड्राई पोर्ट और आईसीडी की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके और इनके उपयोग को अधिकतम किया जा सके।

 

बिहटा शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य : 

 

  • बिहटा ड्राई पोर्ट सात एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। 
  • इसे प्रिस्टीन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और राज्य उद्योग विभाग द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से स्थापित किया गया है। 
  • इसे वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा अंतर्देशीय कंटेनर डिपो के रूप में आधिकारिक मंजूरी भी मिल चुकी है।

 

बिहार के लिए शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) और इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) का महत्व : 

 

  1. बिहार जैसे भू-आबद्ध राज्य के लिए ड्राई पोर्ट और आईसीडी की स्थापना एक महत्वपूर्ण पहल है। 
  2. बिहार में निर्यात योग्य वस्तुएँ मुख्यतः कृषि-आधारित, वस्त्र और चमड़े के उत्पाद हैं, जो इस राज्य के विभिन्न स्थानों पर निर्मित होते हैं। 
  3. ड्राई पोर्ट का एक प्रमुख लाभ यह होता है कि यह कस्टम क्लीयरेंस प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, जिससे प्रमुख बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ कम होती है। 
  4. वर्तमान समय में शुरू की गई यह पहल बिहार की दीर्घकालिक औद्योगिक आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायक होगी और राज्य के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को स्थिरता एवं मजबूती प्रदान करेगी।
  5. बिहार में स्थित यह ड्राई पोर्ट कोलकाता बंदरगाह, हल्दिया, विशाखापत्तनम, मुंद्रा और अन्य प्रमुख बंदरगाहों से रेल मार्गों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। 
  6. इसके साथ ही, यह आधुनिक भंडारण सुविधाएं प्रदान करके राज्य के आयातकों और निर्यातकों के लिए एक वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करेगा।
  7. बिहार सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने 2022-23 में 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया। 
  8. बिहटा ड्राई पोर्ट की स्थापना से इस राज्य की निर्यात क्षमता में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

 

आगे की राह : 

 

 

  1. औद्योगिक विकास को गति मिलना : यह ड्राई पोर्ट बिहार में औद्योगिक विकास को गति देगा, जिससे राज्य में निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इसके माध्यम से स्थानीय उत्पादों को बाहरी बाजारों तक पहुंचाना आसान होगा।
  2. परिवहन लागत में कमी आना और संवहनीयता में सुधार होना : शुष्क बंदरगाह के निर्माण से परिवहन लागत में कमी आएगी और सामान की आवाजाही में तेजी आएगी। इससे व्यापारियों और उद्योगपतियों को लाभ होगा।
  3. लॉजिस्टिक्स की सुविधाओं में सुधार होना : आईसीडी में आधुनिक सुविधाएं होंगी, जो कंटेनरों की लोडिंग और अनलोडिंग को सुगम बनाएंगी। इससे ट्रांसपोर्टेशन की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।
  4. बिहार के अन्य जिलों में भी विकास के नए अवसरों का संवर्धन और विस्तार होना : ड्राई पोर्ट के सफल संचालन के बाद, अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे पोर्ट्स की आवश्यकता महसूस की जाएगी। इससे अन्य जिलों में भी विकास के नए अवसर खुलेंगे।
  5. स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होना : इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को नई नौकरियां मिलेंगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
  6. तकनीकी नवाचार को बढ़ावा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलना : राज्य सरकार को निजी क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
  7. प्रशिक्षण और बेहतर कौशल विकसित करने का अवसर प्रदान होना : स्थानीय लोगों के लिए लॉजिस्टिक्स और परिवहन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। इससे लोगों को बेहतर कौशल विकसित करने का अवसर मिलेगा।
  8. सतत विकास परियोजनाओं और पर्यावरण संबंधी मुद्दों को प्रोत्साहित करना : इस परियोजना के उचित प्रबंधन के साथ, यह परियोजना पर्यावरण के प्रति भी लोगों को संवेदनशील बनाएगी और सतत और  टिकाऊ विकास के सिद्धांतों का पालन करते हुए, इससे स्थानीय समाज और देश की अर्थव्यवस्था दोनों को ही लाभ पहुंचाया जा सकता है।

 

निष्कर्ष : 

  • बिहार के पहले ड्राई पोर्ट का शुभारंभ एक ऐतिहासिक कदम है जो न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने में भी सहायक होगा। भविष्य में इसके सफल संचालन और विकास के लिए ठोस रणनीतियों और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी।

 

स्त्रोत – ऑल इंडिया रेडिओ एवं द हिन्दू।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. बिहार के पहले शुष्क बंदरगाह और इनलैंड कंटेनर डिपो का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

  1. घरेलू सामान का भंडारण करना। 
  2. अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना।
  3. कृषि उत्पादों का निर्यात करना। 
  4. स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देना।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं 

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – B

 
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. बिहार के पहले शुष्क बंदरगाह की स्थापना और संचालन से स्थानीय उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करते हुए इस शुष्क बंदरगाह के संचालन में आने वाली संभावित चुनौतियों की पहचान करें और सुझाव दें कि इन्हें कैसे हल किया जा सकता है? इस संदर्भ में, यह भी चर्चा करें कि बिहटा में स्थापित शुष्क बंदरगाह और इनलैंड कंटेनर डिपो बिहार के औद्योगिक विकास को किस प्रकार प्रभावित करेंगे? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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