वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 55वीं बैठक

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 55वीं बैठक

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , वृद्धि एवं विकास , वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 55वीं बैठक , संवैधानिक निकाय , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेपखंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय , जीएसटी परिषद , भारतीय संविधान की धारा 279A , भारत के 101वें संविधान संशोधन अधिनियम से संबंधित प्रावधान, इलेक्ट्रिक वाहन, पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) खंड से संबंधित है।)

 

चर्चा में क्यों ?

 

  • हाल ही में 21 दिसंबर 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजस्थान के जैसलमेर में वस्तु एवं सेवा कर ( Goods and Services Tax- GST) परिषद की 55वीं बैठक की अध्यक्षता की।
  • इस बैठक में वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई।
  • इसमें गोवा, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, मेघालय और ओडिशा के मुख्यमंत्री, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना के उप-मुख्यमंत्री और कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों ने हिस्सा लिया।

 

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 55वीं बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय :

 

  1. प्रयुक्त इलेक्ट्रिक वाहन (EV) : GST परिषद ने निर्णय लिया है कि सभी प्रयुक्त इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर अब 12% की बजाय 18% GST लगेगा। यह कर केवल व्यवसायिक बिक्री पर लागू होगा, जिसमें मार्जिन मूल्य (खरीद और बिक्री के बीच अंतर) पर GST लागू होगा। व्यक्तिगत बिक्री पर GST नहीं लिया जाएगा।
  2. बैंकों द्वारा दंडात्मक शुल्क पर अब GST नहीं लगेगा : GST परिषद 55वीं बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) द्वारा ऋण की शर्तों का उल्लंघन करने पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क पर अब GST नहीं लगेगा।
  3. पेमेंट एग्रीगेटर : 2,000 रुपए तक के भुगतान करने वाले पेमेंट एग्रीगेटरों को GST से छूट मिलेगी। यह छूट केवल भुगतान गेटवे से संबंधित सेवाओं पर लागू होगी, अन्य फिनटेक सेवाओं पर यह लागू नहीं होगी। पेमेंट एग्रीगेटर : ये तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता होते हैं जो ग्राहकों को ऑनलाइन भुगतान करने और व्यवसायों को भुगतान स्वीकार करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जैसे फोनपे, पेटीएम। पेमेंट गेटवे : यह एक प्रौद्योगिकी अवसंरचना प्रदाता होता है, जो ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया को सक्षम बनाता है, जिसमें पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन, क्यूआर कोड, और NFC तकनीक शामिल हैं। फिनटेक सेवाएँ : फिनटेक सेवाएँ ऐसे ऐप्स, सॉफ़्टवेयर या तकनीकी प्लेटफॉर्म हैं जो लोगों या व्यवसायों को डिजिटल वित्तीय लेन-देन में सहायता प्रदान करते हैं। जैसे वज़ीरएक्स (क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म)।
  4. विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) : GST परिषद ने विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया है, क्योंकि राज्य सरकारों ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया है। विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) को अभी भी कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस के साथ ही GST से बाहर रखा गया है, क्योंकि इन पर केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य VAT लागू करते हैं।
  5. GST के दायरे से छूट : किसानों द्वारा सीधे आपूर्ति की जाने वाली काली मिर्च और किशमिश को GST से छूट दी गई है। जीन थेरेपी पर पूरी तरह से GST छूट लागू की गई है। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों पर GST छूट को बढ़ाया गया है।
  6. क्षतिपूर्ति उपकर : व्यापारिक निर्यातकों के लिए क्षतिपूर्ति उपकर की दर को घटाकर 0.1% कर दिया गया है। यह उपकर राज्यों को GST के कारण होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए लगाया जाता है।
  7. पॉपकॉर्न पर GST : GST परिषद की 55वीं बैठक में यह स्पष्ट कहा गया है कि कारमेलाइज़्ड पॉपकॉर्न पर 18% GST लगेगा। नमक और मसालों के साथ रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 5% GST लागू होगा, यदि वह पैक और लेबल नहीं किया गया है। यदि पॉपकॉर्न पहले से पैक और लेबल है, तो उस पर 12% GST लगेगा।

 

जीएसटी परिषद का संरचनात्मक स्वरूप :

 

 

  • जीएसटी परिषद (GST Council) भारतीय संविधान की धारा 279A के तहत गठित की गई है। जीएसटी परिषद भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को संचालित और विनियमित करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था है। 
  • भारत में इसका गठन 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत किया गया था। 
  • वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली भारत में कराधान सुधार का एक प्रमुख पहल है, जिसे 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। 
  • यह परिषद भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच वस्तु और सेवा कर ( Goods and Services Tax- GST) के मामलों पर विचार विमर्श करने और निर्णय लेने के लिए एक प्रमुख निकाय है।
  • अध्यक्ष : जीएसटी परिषद का अध्यक्ष भारत के वित्त मंत्री होते हैं।
  • सदस्य : GST परिषद के कुल 33 सदस्य होते हैं, जिनमें 2 सदस्य केंद्र से और 31 सदस्य विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होते हैं। इस परिषद में केंद्रीय वित्त मंत्री (जो अध्यक्ष होते हैं), केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त), और हर राज्य से एक वित्त या कराधान मंत्री या उनकी ओर से नामित कोई अन्य मंत्री शामिल होते हैं। परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। केंद्रशासित प्रदेशों के लिए, उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  • निर्णय प्रक्रिया : जीएसटी परिषद के निर्णयों को पारित करने के लिए उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 3/4 बहुमत की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 33% होती है।
  • निर्णयों की प्रकृति : सर्वोच्च न्यायालय ने 2022 में मोहित मिनरल्स मामले में यह स्पष्ट किया था कि GST परिषद की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, क्योंकि GST के संबंध में संसद और राज्यों दोनों के पास विधायी शक्तियाँ हैं।

 

जीएसटी परिषद का प्रमुख कार्य :

 

  1. जीएसटी की दरों को निर्धारित करना और दरों की संरचनाओं की सिफारिश करना : जीएसटी परिषद की प्रमुख जिम्मेदारी वास्तु और सेवाओं पर जीएसटी की दरों और संरचनाओं को निर्धारित करना है। यह विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरों की सिफारिश करती है ताकि पूरे भारत में एक समान कर व्यवस्था लागू हो सके।
  2. राजस्व आवंटन की समीक्षा करना : यह परिषद केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जीएसटी राजस्व का वितरण और आवंटन सुनिश्चित करती है। यह सुनिश्चित करती है कि राज्यों को न्यायपूर्ण रूप से उनके कर का हिस्सा मिले।
  3. कानूनी और प्रशासनिक मुद्दों पर निर्णय लेना : जीएसटी परिषद जीएसटी कानून में आवश्यक संशोधनों और उससे अद्यतनों पर निर्णय करती है। यह जीएसटी कानून और नियमों के प्रवर्तन से संबंधित प्रशासनिक मुद्दों पर भी चर्चा करती है।
  4. कर से संबंधित विवादों का समाधान करना : यह परिषद जीएसटी से संबंधित विवादों के समाधान में सहायता करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कर नीतियाँ पारदर्शी और निष्पक्ष हों।
  5. संविधान में संशोधन की सिफारिश करना : परिषद आवश्यकतानुसार संविधान के संशोधन के लिए सिफारिश कर सकती है ताकि जीएसटी के प्रवर्तन और कार्यान्वयन में सुधार किया जा सके।
  6. नियामक और कार्यान्वयन से संबंधित नियामक दिशा-निर्देश प्रदान करने का कार्य करना : परिषद जीएसटी के कार्यान्वयन से संबंधित नियामक दिशा-निर्देश प्रदान करती है और इससे जुड़े कार्यकारी मुद्दों पर निगरानी रखती है।

 

आगे की राह :

 

जीएसटी दरों में सुधार की जरूरत :

 

वर्तमान स्थिति : हाल की बैठक में आवश्यक वस्तुओं पर दरों में कमी और विलासिता वस्तुओं पर दरों में वृद्धि पर चर्चा की गई।

आगे की राह : जीएसटी परिषद को समय-समय पर दरों में बदलाव करना होगा, ताकि कर प्रणाली अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण हो सके।

 

इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्रणाली में सुधार करना :

 

वर्तमान स्थिति : ITC केवल व्यावसायिक उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं पर मिलेगा।

आगे की राह : जीएसटी परिषद को ITC प्रणाली में सुधार के लिए मानक और प्रक्रियाओं को सख्त बनाना होगा, ताकि कर चोरी को रोका जा सके और पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।

 

राजस्व सृजन और कर से संबंधित विवादों का समाधान करना :

 

वर्तमान परिदृश्य : भारत में कर से संबंधित विवादों के त्वरित समाधान के लिए नई प्रक्रियाएं और तंत्र स्थापित करने की योजना बनाई गई है।

आगे की राह : जीएसटी परिषद को विवाद समाधान के लिए सुलभ और प्रभावी तंत्रों की स्थापना करनी होगी। इसके अलावा, यह आवश्यक है कि परिषद राजस्व सृजन के लिए नीतियों को समय पर संशोधित करे ताकि कर अनुपालन को बढ़ावा मिले और व्यापारिक वातावरण को सुलभ बनाया जा सके।

 

राज्यों और केंद्र के बीच आपसी समन्वय होना अत्यंत महत्वपूर्ण :

 

वर्तमान स्थिति : इसके तहत केंद्र और राज्यों के बीच आपसी समन्वय होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आगे की राह : जीएसटी परिषद को राज्यों के साथ बेहतर संवाद और समन्वय करना होगा, ताकि कर व्यवस्था में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

निष्कर्ष : जीएसटी परिषद का आगामी मार्गदर्शन भारत की कर प्रणाली को सुधारने में अहम भूमिका निभाएगा। इसमें जीएसटी दरों में सुधार, ITC प्रणाली का अद्यतन, तकनीकी सुधार, विवाद समाधान और केंद्र-राज्य समन्वय पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है, ताकि कराधान पारदर्शी, न्यायपूर्ण और प्रभावी हो सके। इन सुधारों का सफल कार्यान्वयन भारत में न केवल कराधान की पारदर्शिता और न्यायसंगतता को बढ़ाएगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता और विकास में भी योगदान देगा।

 

स्रोत- पीआईबी एवं द हिन्दू। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में जीएसटी परिषद का गठन किस संविधान संशोधन के तहत किया गया था?

A. 100वां संशोधन

B. 101वां संशोधन

C. 102वां संशोधन

D. 103वां संशोधन

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. हाल ही में आयोजित जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में भारत में जीएसटी के सफल कार्यान्वयन पर चर्चा की गई है। चर्चा कीजिए कि पिछले कुछ वर्षों के अनुभव के आधार पर सरकार ने जीएसटी को सुचारू एवं सफल बनाने के लिए क्या कदम उठाए हैं और भविष्य में इस केंद्रीकृत कर प्रणाली में सुधार के लिए कौन से कदम उठाए जा सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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