सुशासन दिवस 2024

सुशासन दिवस 2024

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 एवं 4 के अंतर्गत ‘ शासन एवं राजव्यवस्था , मिशन कर्मयोगी , समावेशी विकास , भारत में सुशासन और उससे संबंधित चुनौतियाँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ अटल बिहारी वाजपेयी, किसान क्रेडिट कार्ड, सुशासन दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 ’ खंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती ( 25 दिसंबर ) ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने राष्ट्रपर्व वेबसाइट और मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया।
  • यह वेबसाइट प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे गणतंत्र दिवस, बीटिंग रिट्रीट, स्वतंत्रता दिवस आदि से संबंधित जानकारी, लाइव स्ट्रीमिंग, टिकट खरीदने, बैठने की व्यवस्था, और कार्यक्रमों के रूट-मैप जैसी जानकारियाँ प्रदान करेगी।
  • इस वेबसाइट और मोबाइल ऐप में झांकी प्रस्तावों और कार्यक्रमों से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी भी रखी जाएगी और इसके साथ ही, एक झांकी प्रबंधन पोर्टल भी होगा, जिससे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गणतंत्र दिवस पर अपनी झांकियों को डिजाइन करने और इसे अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।
  • रक्षा मंत्रालय ने यह वेबसाइट और ऐप नागरिकों की प्रतिक्रियाओं और सुझावों के आधार पर विकसित किया है। राज्यों ने झांकी डिजाइन के लिए एक पोर्टल बनाने की मांग की थी, और दर्शकों ने कार्यक्रमों, परेड, और झांकियों के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता जताई थी। इन्हीं सुझावों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपर्व वेबसाइट बनाई गई है।
  • वेबसाइट को https://rashtraparv.mod.gov.in पर देखा जा सकता है और मोबाइल ऐप को सरकारी ऐप स्टोर (एम-सेवा) से डाउनलोड किया जा सकता है।
  • यह पहल नागरिकों के लिए शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सुशासन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यही अटल बिहारी वाजपेयी को एक सच्ची श्रद्धांजलि है।
  • अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 दिसंबर) को हर साल ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य वाजपेयी जी के सुशासन के सिद्धांतों और उनके द्वारा स्थापित उच्च मानकों को याद करना और उन्हें आगे बढ़ाना है।
  • सुशासन दिवस 2024 का विषय है – “विकसित भारत के लिए भारत का मार्ग: सुशासन और डिजिटलीकरण के माध्यम से नागरिकों का सशक्तिकरण।”

 

सुशासन ( Good Governance ) क्या होता है ? 

 

  • सुशासन का अर्थ है – देश के आर्थिक और सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति का सही और प्रभावी उपयोग करना। यह शासन में निर्णय लेने और उन्हें लागू करने की प्रक्रिया है।
  • नागरिक-केंद्रित प्रशासन सुशासन की नींव पर आधारित होता है।
  • यह अवधारणा चाणक्य के युग से ही प्रचलित थी, जिन्होंने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में इसका विस्तार से उल्लेख किया है। 
  • सुशासन का उद्देश्य एक ऐसा प्रशासनिक ढांचा तैयार करना है जो नागरिकों की आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके और समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा दे सके।

 

सुशासन के 8 मूलभूत सिद्धांत :

 

  • शासन में सभी की भागीदारी को सुनिश्चित करना : इसके तहत नागरिकों को वैध संगठनों या प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी राय व्यक्त करने का अवसर मिलना चाहिए। इसमें पुरुष और महिलाएं, समाज के कमजोर वर्ग, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय आदि शामिल हैं। शासन में भागीदारी का तात्पर्य संघ और नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी है।
  • कानून का शासन होना : इसके तहत सभी नागरिकों के लिए कानूनों का निष्पक्ष और समान रूप से लागू होना है और मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • ‘कानून के शासन’ के बिना, राजनीति मछली न्याय (Matsya Nyaya) के सिद्धांत का पालन करेगी, जिसका अर्थ है कि – ताकतवर समूह या समुदाय समाज के कमजोर वर्ग या समुदायों पर हावी हो जाएगा।
  • शासन का सर्वसम्मति उन्मुख होना : सुशासन के अंतर्गत सर्वसम्मति से निर्णय लेना शामिल है , ताकि सभी को न्यूनतम संसाधन उपलब्ध हो सके। यह एक समुदाय के सर्वोत्तम हितों पर व्यापक आम सहमति को प्राप्त करने के लिए विभिन्न हितों की मध्यस्थता करता है।
  • समावेशिता और समानता को बढ़ावा देना : सुशासन एक समतामूलक समाज के निर्माण को बढ़ावा देता है, जिसके तहत सभी नागरिकों को अपना जीवन स्तर सुधारने या बनाए रखने के अवसर प्राप्त होने चाहिए।
  • प्रभावशीलता और दक्षता का उपयोग करना : इसके तहत अधिकतम उत्पादन के लिए समुदाय के संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। जिसमें प्रक्रियाओं और संस्थानों का समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करना और संसाधनों का प्रभावी रूप से उपयोग करना शामिल होता है।
  • नागरिकों के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना : सुशासन का उद्देश्य लोगों की बेहतरी है और यह सरकार द्वारा लोगों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित किए बगैर नहीं किया जा सकता है। सरकारी संस्थानों, निजी क्षेत्रों या संस्थानों और नागरिक समाज के संगठनों द्वारा सार्वजनिक और संस्थागत हितधारकों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • सुशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना : सुशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का तात्पर्य है कि सूचनाएं आम जनता के लिए सुलभ और समझने योग्य हों। इसका मतलब है कि लोगों को उनके अधिकारों और निर्णय प्रक्रियाओं के बारे में पूरी जानकारी हो और वे उनकी निगरानी कर सकें। इसमें मुक्त मीडिया और सूचना की समग्र पहुंच को सुनिश्चित करना शामिल है, जिससे कि समाज के विभिन्न हिस्से प्रभावी ढंग से अपनी राय रख सकें और निगरानी कर सकें।
  • संगठनात्मक और प्रक्रियात्मक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करना : सुशासन के तहत निर्णय लेने वाली संस्थाओं को उनके कार्यों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी हितधारकों को समय पर और प्रभावी ढंग से सेवाएं प्राप्त हों। यह सिद्धांत संगठनात्मक और प्रक्रियात्मक पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है।

 

भारत में सुशासन के मार्ग में आने वाली बाधाएं : 

 

महिला सशक्तिकरण और सरकारी संस्थानों और अन्य संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व का नहीं होना : 

  • भारत में सरकारी संस्थानों और अन्य संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। यह असमानता न केवल महिलाओं के अधिकारों का हनन करती है, बल्कि शासन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है। शासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार और जागरूकता अभियानों की अत्यंत आवश्यकता है।

भ्रष्टाचार : 

  • भ्रष्टाचार भारत में सुशासन की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। उच्च स्तर का भ्रष्टाचार न केवल आर्थिक विकास को बाधित करता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है। भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सख्त कानूनों और पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है।

जवाबदेहिता का अभाव  : 

  • जवाबदेहिता के अभाव से सरकार में नागरिकों का विश्वास समाप्त होता है जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक उदासीनता, कम मतदान प्रतिशत के साथ शासन में नागरिक सहभागिता में कमी आती है।

न्याय प्रणाली में सुधार की जरूरत : 

  • भारत में न्याय प्राप्ति में में देरी होना एक गंभीर समस्या है। न्यायालयों में कर्मियों और संसाधनों की कमी के कारण मामलों का निपटारा समय पर नहीं हो पाता। यह स्थिति न्याय प्रणाली में सुधार की मांग करती है, जिसमें न्यायालयों की संख्या बढ़ाना और तकनीकी सुधार शामिल हैं।

भारत में प्रशासनिक प्रणाली का केंद्रीकृत होना : 

  • भारत में शासन का केंद्रीकरण होने के कारण निचले स्तर की सरकारें कुशलता से कार्य नहीं कर पाती है। विशेष रूप से पंचायती राज संस्थान निधियों की कमी और संवैधानिक रूप से सौंपे गए कार्यों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। अतः भारत में शासन का विकेन्द्रीकरण और स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाने की अत्यंत आवश्यकता है।

राजनीति का अपराधीकरण होना : 

  • भारत में राजनीतिक प्रक्रिया का अपराधीकरण और राजनेताओं, सिविल सेवकों तथा व्यावसायिक घरानों के बीच सांठगांठ सार्वजनिक नीति निर्माण और शासन पर बुरा प्रभाव डाल रही है। इस समस्या को हल करने के लिए राजनीतिक सुधार और सख्त निगरानी की आवश्यकता है।

अन्य चुनौतियाँ : 

  • पर्यावरण सुरक्षा, सतत् विकास, वैश्वीकरण, उदारीकरण और बाज़ार अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ भी सुशासन के मार्ग में बाधाएं हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए समग्र और संतुलित नीतियों की आवश्यकता है।

 

भारत में सुशासन में सुधार के लिए शुरू किए गए सरकारी पहल : 

 

गुड गवर्नेंस इंडेक्स (GGI) : 

  • इस सूचकांक को देश में शासन की स्थिति निर्धारित करने या मापने के लिए  कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। यह राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के प्रभाव का आकलन करता है।

राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना : 

  • इसका उद्देश्य आम आदमी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ‘सामान्य सेवा वितरण आउटलेट्स’ के माध्यम से सस्ती कीमत पर सभी सरकारी सेवाओं को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराना और ऐसी सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

  • यह अधिनियम भारत में शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में एक प्रभावी भूमिका निभाता है। इसके माध्यम से नागरिक सरकारी कार्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है या इसे कम किया जा सकता है।

अन्य पहल :

  • मेक इन इंडिया कार्यक्रम : देश में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम को शुरू किया गया है।
  • नीति आयोग की स्थापना : भारत में नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सुधार के लिए एक नए दृष्टिकोण के साथ नीति आयोग को स्थापित किया गया है।
  • लोकपाल की नियुक्ति : यह भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र के रूप में कार्य करता है।

 

अटल बिहारी वाजपेयी : 

 

  • अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर (वर्तमान मध्य प्रदेश) में हुआ था। 
  • उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। 
  • सन 1947 में वाजपेयी जी ने दीनदयाल उपाध्याय के समाचार पत्रों के लिए पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया। 
  • उन्होंने राष्ट्र धर्म (एक हिंदी मासिक), पांचजन्य (एक हिंदी साप्ताहिक), और दैनिक समाचार पत्रों जैसे स्वदेश और वीर अर्जुन में भी योगदान दिया। 
  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रेरित होकर, वाजपेयी जी 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। 
  • वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे और सन 1996 तथा 1999 में दो बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए थे। 
  • एक सांसद के रूप में उन्हें 1994 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो उन्हें “सभी सांसदों के लिए एक आदर्श” के रूप में मान्यता देता है। 
  • उन्हें 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न और 1994 में दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन 16 अगस्त, 2018 को हुआ।

 

भारत में सुशासन की दिशा में आगे की राह :

 

 

  1. शासन का विकेंद्रीकरण और स्थानीय निकायों को अधिक अधिकार और वित्तीय शक्तियाँ प्रदान करने की आवश्यकता : वर्तमान में सत्ता केंद्र और राज्य सरकारों के पास केंद्रित है। जमीनी स्तर पर अच्छे प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए, नगरपालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों को अधिक अधिकार और वित्तीय शक्तियाँ दी जानी चाहिए।
  2. लोक सेवकों में नैतिक मूल्यों को स्थापित किए जाने की जरूरत : नोलन समिति (1994) द्वारा अनुशंसित ईमानदारी, जवाबदेही और निस्वार्थता जैसे नैतिक मूल्यों को लोक सेवकों में स्थापित किया जाना चाहिए।
  3. लैंगिक समानता को सुनिश्चित करना आवश्यक : महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए लैंगिक समानता को सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि समाज की सभी आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।
  4. व्हिसल ब्लोअर को संरक्षण और सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत : सरकारी मंत्रालयों और विभागों में भ्रष्टाचार उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर को अधिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 26th Dec 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. सुशासन के सिद्धांत के संबंध में निम्नलिखित विवरणियों पर विचार कीजिए।

  1. शासन में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करना।
  2. कानून का शासन होना।
  3. नागरिकों के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।
  4. संगठनात्मक और प्रक्रियात्मक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करना।

उपरोक्त में से कौन सी स्थिति सुशासन के सिद्धांत पर आधारित है ? 

A. केवल 1 और 4 

B. केवल 2 और 3 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – D

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. चर्चा कीजिए भारत के वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मौजूद विभिन्न चुनौतियाँ क्या है और उसके समाधान के लिए सुशासन का प्रभावी ढंग से उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? (शब्द सीमा – 250 अंक – 15)

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