17 Jul भारत – अर्जेंटीना कृषि साझेदारी : नवाचार और स्थिरता के लिए एक रणनीतिक कूटनीति
पाठ्यक्रम – सामान्य अध्ययन – 3 – पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी – भारत – अर्जेंटीना कृषि कूटनीति : नवाचार और स्थिरता के लिए एक रणनीतिक साझेदारी
प्रारंभिक परीक्षा के लिए :
कृषि – जैव प्रौद्योगिकी, कीट प्रबंधन और जलवायु विज्ञान, एग्रीस्टैक, FAO, WTO, जैव-ईंधन, राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान
मुख्य परीक्षा के लिए :
भारत कृषि के क्षेत्र में अर्जेंटीना के साथ क्यों काम कर रहा है? कृषि के क्षेत्र में भारत और अर्जेंटीना के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
खबरों में क्यों?
- हाल ही में भारत और अर्जेंटीना ने 15 जुलाई को कृषि क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए संयुक्त कार्य समूह (JWG) की दूसरी वर्चुअल बैठक का आयोजन किया।
- इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और अर्जेंटीना के कृषि, पशुधन एवं मत्स्य पालन सचिव सर्जियो इराटा ने की।
- भारत-अर्जेंटीना कृषि कूटनीति के तहत होने वाला यह संवाद दोनों देशों के बीच कृषि-संबंधी तकनीकी, व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को नए आयाम देने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
भारत-अर्जेंटीना कृषि साझेदारी : कूटनीति के एक नए युग की ओर
- राजनयिक प्राथमिकता में कृषि का महत्व : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2025 में अर्जेंटीना यात्रा, जो कि पिछले 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी, ने द्विपक्षीय संबंधों में कृषि को एक केंद्रीय विषय के रूप में उभारा और यह संकेत दिया कि भारत अब क्षेत्र-विशिष्ट कूटनीति को प्राथमिकता दे रहा है।
- एक सॉफ्ट पावर के रूप में कृषि : नई दिल्ली में आयोजित 16वें कृषि नेतृत्व सम्मेलन के दौरान अर्जेंटीना ने स्पष्ट रूप से कहा कि कृषि, भारत-अर्जेंटीना साझेदारी का प्रमुख आधार है, और दोनों देशों ने नवाचार व स्थिरता के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- संयुक्त कार्य समूह (JWG) के द्वारा संस्थागत संवाद को मजबूती प्रदान करना : द्वितीय संयुक्त कार्य समूह (JWG) की बैठक ने कृषि क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विषयों – जैसे जलवायु – संवेदनशील खेती, अनुसंधान एवं विकास, और कृषि मशीनीकरण पर नियमित और संरचित संवाद की नींव रखी, जिससे नीति-निर्माण में स्थायित्व आया।
- पूरक क्षमताओं का सामंजस्य : भारत जहां डिजिटल तकनीक और लघु जोत कृषि मॉडल में मजबूत है, वहीं अर्जेंटीना उन्नत परिशुद्धता आधारित और मशीनीकृत खेती में दक्षता रखता है। यह पूरकता दोनों देशों के बीच परस्पर लाभकारी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करती है।
- शोध और नवाचार के लिए राजनयिक मंच : भारत और अर्जेंटीना ने जैव-प्रौद्योगिकी एवं कृषि-तकनीक के क्षेत्रों में युवा वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, जिससे वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता के बीच आपसी संबंध सुदृढ़ होंगे।
- विस्तारित कृषि व्यापार सहयोग : द्विपक्षीय व्यापारिक वार्ता अब केवल तिलहन तक सीमित नहीं रही, बल्कि दलहन, डेयरी उत्पादों और बागवानी जैसे विविध कृषि क्षेत्रों तक विस्तार पा चुकी है, जिससे यह साझेदारी भारत की खाद्य सुरक्षा नीति के साथ भी जुड़ गई है।
- रणनीतिक सहयोग में कृषि की प्रमुख भूमिका : कृषि अब भारत-अर्जेंटीना रणनीतिक साझेदारी के व्यापक फलक में ऊर्जा, खनिज (विशेष रूप से लिथियम), और रक्षा जैसे क्षेत्रों के साथ समाहित हो चुकी है, जिससे भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका में कृषि की हिस्सेदारी भी सशक्त हुई है।
भू राजनीतिक और क्षेत्रीय संदर्भ में भारत – अर्जेंटीना कृषि सहयोग का महत्व :
- लैटिन अमेरिका में भारत की बढ़ती मौजूदगी : दक्षिण अमेरिका में, विशेषकर कृषि संसाधनों से परिपूर्ण लेकिन पारंपरिक रूप से भारत की कूटनीति में गौण रहे क्षेत्रों में, यह साझेदारी भारत की प्रभावशाली उपस्थिति को मजबूत करती है।
- क्षेत्रीय प्रतिसंतुलन में भूमिका : यह सहयोग विशेष रूप से ब्राजील और अर्जेंटीना में चीन के बढ़ते निवेश और प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में, एक रणनीतिक संतुलन प्रस्तुत करता है और भारत की कूटनीतिक गहराई को बढ़ाता है।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग का नेतृत्व : भारत इस साझेदारी के माध्यम से दक्षिण-दक्षिण सहयोग में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है, जहां कृषि को विकासशील देशों के साथ तकनीकी और व्यावसायिक जुड़ाव के एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
- मर्कोसुर तक सीधी पहुंच : अर्जेंटीना के माध्यम से भारत अब मर्कोसुर व्यापार समूह, जिसमें ब्राजील, पैराग्वे, और उरुग्वे भी शामिल हैं, तक अपनी पहुंच को सुदृढ़ कर रहा है, जिससे कृषि व्यापार और प्रौद्योगिकी सहयोग को बल मिलेगा।
- त्रिकोणीय सहयोग की संभावना : भारत और अर्जेंटीना अब अफ्रीकी देशों के साथ कृषि-मशीनीकरण, जलवायु-अनुकूल खेती और बीज तकनीक जैसे क्षेत्रों में त्रिकोणीय साझेदारी की संभावनाएं तलाश रहे हैं, जो विकासशील राष्ट्रों में कृषि नवाचार को गति देगा।
- आपूर्ति श्रृंखला का विवेकपूर्ण विविधीकरण : भारत अपनी कृषि-आयात नीति को विविध बनाकर—विशेषकर तिलहन, दलहन और उर्वरकों के संदर्भ में—आपूर्ति जोखिमों को कम करने और दीर्घकालिक स्थिरता को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।
- वैश्विक मंचों पर संयुक्त प्रभाव : भारत और अर्जेंटीना के बीच बढ़ती नजदीकी, FAO, G20 (कृषि ट्रैक), और WTO जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कृषि नीति से जुड़ी चर्चाओं में एक संयुक्त दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने की संभावना को सशक्त करती है।
- खाद्य-ऊर्जा-जल संरक्षण का समेकन : कृषि सहयोग को ऊर्जा संसाधनों (जैसे लिथियम, जैव-ईंधन) से जोड़कर भारत क्षेत्रीय सुरक्षा नीतियों में बहुआयामी दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रहा है।
भारत – अर्जेंटीना : कृषि नवाचार और ज्ञान सहयोग में एक प्रगतिशील साझेदारी
कृषि नवाचार और तकनीकी सहयोग :
- भारत और अर्जेंटीना ने जलवायु-संवेदनशील कृषि प्रणालियों को सशक्त करने हेतु सूखा-प्रतिरोधी फसलों, जल दक्षता तकनीकों और न्यूनतम उत्सर्जन वाले कृषि मॉडल पर संयुक्त रूप से कार्य करने का संकल्प लिया है।
- दोनों देश उच्च उत्पादकता और रोग-प्रतिरोधक क्षमताओं वाली फसलों के विकास के लिए CRISPR जैसी जीन-संपादन तकनीकों पर साझा अनुसंधान को बढ़ावा दे रहे हैं।
- छोटे व बड़े किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, दोनों देशों ने किफायती, स्केलेबल और सटीक कृषि उपकरणों के विकास में सहयोग पर सहमति व्यक्त की है।
- कृषि तकनीक क्षेत्र में भारत और अर्जेंटीना के स्टार्टअप्स के बीच सीमा-पार सहयोग, वित्तीय निवेश और इनक्यूबेशन के माध्यम से नवाचार पारिस्थितिकी को गति देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- भारत और अर्जेंटीना मिलकर ऐसे कृषि नवाचार केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जो सह-विकास आधारित उत्पाद नवाचार को संस्थागत स्वरूप देंगे।
- तकनीकी हस्तांतरण को द्वि दिशात्मक और व्यावहारिक बनाने के लिए दोनों देशों के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की संस्थागत क्षमताओं को समन्वित किया जा रहा है।
- भारत की डिजिटल कृषि पहलें—जैसे एग्रीस्टैक और ई-एनएएम—अर्जेंटीना के लिए डिजिटल कृषि क्षेत्र में अनुकरणीय मॉडल बनकर उभर रही हैं।
कृषि शिक्षा, प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास :
- भारत और अर्जेंटीना पौध संरक्षण, जैव-प्रौद्योगिकी, कृषि मशीनीकरण और खाद्य प्रसंस्करण जैसे विषयों पर संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं के आयोजन के लिए सहयोग कर रहे हैं।
- किसानों के लिए विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से दोनों देशों की खेती प्रणालियों—विशेषकर बड़े और छोटे जोत मॉडल—का व्यावहारिक अनुभव साझा किया जा रहा है।
- कृषि-जैव प्रौद्योगिकी, कीट प्रबंधन और जलवायु विज्ञान जैसे क्षेत्रों में शोधरत विद्यार्थियों को पीएचडी व पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अनुभव दिया जा रहा है।
- अर्जेंटीना के राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान (INTA) और भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों के बीच पाठ्यक्रम निर्माण और संयुक्त शोध परियोजनाओं में सहयोग गहराया जा रहा है।
- द्विभाषी (स्पेनिश-हिंदी/अंग्रेज़ी) कृषि-प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए जा रहे हैं, ताकि संचार की बाधाएं खत्म हों और स्थानीय किसानों को अधिक उपयोगी ज्ञान प्राप्त हो।
- नवाचार और कौशल विकास को संस्थागत स्वरूप देने हेतु सार्वजनिक-निजी साझेदारी आधारित अनुसंधान प्लेटफार्मों का निर्माण किया जा रहा है।
- वास्तविक परिस्थितियों में ज्ञान आदान-प्रदान को प्रभावशाली बनाने के लिए दोनों देश संयुक्त अनुसंधान प्रयोगशालाओं और मॉडल फार्मों की स्थापना पर विचार कर रहे हैं।
वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व :
- खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए भारत और अर्जेंटीना ऐसे साझा नीति ढांचे तैयार कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य खाद्य उपलब्धता, पोषण सुधार और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना है।
- शीघ्र नष्ट होने वाले कृषि उत्पादों की लॉजिस्टिक्स को सुरक्षित करने हेतु दोनों देश लचीली और ठंडी श्रृंखला से युक्त आपूर्ति प्रणालियों का विकास कर रहे हैं।
- जलवायु संकटों से निपटने के लिए अनुकूली कृषि तकनीकों पर साझा अनुसंधान और अनुभव-साझा की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
- खाद्यान्नों के भंडारण और आपातकालीन प्रबंधन के क्षेत्र में रणनीतिक बफर स्टॉक निर्माण और संकट प्रतिक्रिया प्रणाली पर सहयोग किया जा रहा है।
- भारत की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और अर्जेंटीना की जोखिम प्रबंधन प्रणालियों के बीच श्रेष्ठ व्यवहारों का आदान-प्रदान किया जा रहा है।
- कीट प्रकोप, टिड्डी हमलों और मौसम परिवर्तन की भविष्यवाणी के लिए दोनों देशों के बीच कृषि पूर्व-चेतावनी प्रणाली का डेटा साझा किया जा रहा है।
- वैश्विक खाद्य संकटों के समय निष्पक्ष और संतुलित कृषि व्यापार सुनिश्चित करने के लिए दोनों देश विश्व मंचों पर समन्वित रणनीति अपनाने की दिशा में अग्रसर हैं।
टिकाऊ खेती की ओर पारिस्थितिकी आधारित मशीनीकरण :
- भारत की जैविक कृषि और अर्जेंटीना की बिना जुताई वाली खेती की सफल कहानियों को संयुक्त रूप से दस्तावेजीकृत कर उन्हें वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत करने की तैयारी हो रही है।
- अर्जेंटीना के उच्च तकनीक युक्त कृषि यंत्रों को भारत के पारंपरिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोणों के साथ मिलाकर स्थायी खेती के लिए एक हाइब्रिड मॉडल विकसित किया जा रहा है।
- पारंपरिक भारतीय कृषि-पारिस्थितिकी ज्ञान का उपयोग अर्जेंटीना में सतत भूमि प्रबंधन पद्धतियों को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है।
- दोनों देश जैव उर्वरक, प्राकृतिक कीट नियंत्रण और एकीकृत खेती जैसे कम लागत वाले समाधानों पर संयुक्त ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- मिश्रित कृषि तकनीकों को प्रदर्शित करने हेतु संयुक्त मॉडल फार्मों की स्थापना की योजना है, जो नवाचार को जमीन पर उतारने का कार्य करेंगे।
- किसानों द्वारा विकसित नवाचारों, जैसे पारंपरिक बीज संरक्षण विधियां और फसल चक्र प्रणाली, को साझा मंचों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों—जैसे अर्ध-शुष्क, वर्षा-आधारित या ऊंचाई वाले क्षेत्रों—के लिए तकनीकों के स्थान-विशिष्ट अनुकूलन हेतु संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं।
भारत – अर्जेंटीना कृषि सहयोग समान और सतत विकास की ओर
समावेशी ग्रामीण प्रगति के लिए कृषि को उत्प्रेरक बनाना :
- भारत और अर्जेंटीना कृषि क्षेत्र को उच्च मूल्य आधारित उत्पादन की ओर पुनः दिशा देने के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं, जहां पारंपरिक अनाज उत्पादन से आगे बढ़कर बागवानी, दलहन, फूलों और मसालों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे कृषकों की आमदनी में ठोस सुधार की संभावनाएं बन रही हैं।
- खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और पैकेजिंग जैसे कृषि से जुड़े उपक्रमों को प्रोत्साहित करते हुए दोनों देश कृषि आधारित लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के माध्यम से ग्रामीण उद्यमिता को सशक्त बना रहे हैं।
- मूल्य वर्धित कृषि उत्पादों—जैसे प्रोसेस्ड फूड, जैविक उत्पाद, डेयरी और जैव-इनपुट—के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत और अर्जेंटीना मिलकर वैश्विक बाजारों तक पहुंच के अवसर खोल रहे हैं।
- पारंपरिक कृषि के साथ-साथ संबद्ध गतिविधियाँ जैसे डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विविधता लाकर गैर-कृषि रोजगार के अवसरों को बढ़ा रही हैं।
- दोनों देशों में कृषि-पर्यटन को एक नवाचार-आधारित ग्रामीण विकास मॉडल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें कृषि विरासत, इको-फार्मों और डेमो मॉडल पर आधारित पर्यटन सर्किट विकसित किए जा सकते हैं।
- भारत और अर्जेंटीना कृषि यंत्र संचालन, कृषि विपणन और स्मार्ट कृषि तकनीकों में ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास हेतु संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने की दिशा में अग्रसर हैं।
- समावेशी कृषि विकास सुनिश्चित करने हेतु महिला, जनजातीय और सीमांत किसान समुदायों को कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने पर दोनों देश विशेष ध्यान दे रहे हैं।
हरित और जलवायु-उत्तरदायी कृषि एजेंडा की दिशा में सहयोग :
- कृषि भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने के लिए मृदा परीक्षण, जैविक आदानों और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन पर भारत और अर्जेंटीना के बीच संयुक्त कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
- जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में ड्रिप सिंचाई, वर्षा जल संचयन और माइक्रो-इरिगेशन प्रणाली के माध्यम से जल उपयोग दक्षता बढ़ाने की दिशा में द्विपक्षीय प्रयास किए जा रहे हैं।
- कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा देने हेतु कृषि वानिकी के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण और ग्रामीण आय में विविधता लाने के लिए साझेदारी आधारित पहलें की जा रही हैं।
- जलवायु लचीली भूमि उपयोग के लिए समोच्च कृषि, भूमि पुनर्स्थापन और स्थानीय स्थलाकृति के अनुरूप टिकाऊ फसल प्रणाली के विकास में दोनों देश सहयोग कर रहे हैं।
- जैव कीटनाशकों, जैव उर्वरकों और प्राकृतिक खेती तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान, विनियमन और व्यावसायीकरण की प्रक्रिया में साझेदारी की जा रही है।
- कृषि में चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांत को अपनाते हुए फसल अवशेषों से कम्पोस्ट, जैव ऊर्जा और मल्चिंग जैसे नवाचारों को बढ़ावा देने हेतु द्विपक्षीय परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।
- दोनों देश कृषि को जलवायु लक्ष्य (NDCs) और सतत विकास लक्ष्यों (SDG-2: भूख समाप्त करना, SDG-12: टिकाऊ उपभोग, SDG-13: जलवायु कार्रवाई) से जोड़ने के लिए एक समन्वित रणनीति पर कार्य कर रहे हैं।
निष्कर्ष :
- भारत और अर्जेंटीना के बीच कृषि पर द्वितीय संयुक्त कार्य समूह (JWG) की बैठक केवल एक नीतिगत बातचीत नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी बदलाव की शुरुआत है, जहां एक परंपरागत लेन-देन वाली साझेदारी को एक बहुआयामी, रणनीतिक और नवाचार-आधारित सहयोग में रूपांतरित किया जा रहा है।
- यह साझेदारी न केवल तकनीकी और संस्थागत क्षमताओं को साझा करने का एक मंच है, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूलन और सतत विकास की व्यापक चुनौतियों से मिलकर निपटने का भी माध्यम है।
- कृषि, ऊर्जा, खनन और रक्षा के साथ जैसे-जैसे भारत की विदेश नीति का एक केंद्रीय स्तंभ बन रही है, वह भारत-अर्जेंटीना सहयोग वैश्विक दक्षिण में समावेशी नवाचार और स्थिरता की नई परिभाषा गढ़ने की दिशा में अग्रसर है।
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत-अर्जेंटीना संबंधों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत और अर्जेंटीना के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) जलवायु-लचीली खेती, मशीनीकरण और कृषि अनुसंधान में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करता है।
2. अर्जेंटीना मर्कोसुर ब्लॉक का सदस्य है, जिसमें बोलीविया और चिली भी शामिल हैं।
3. भारत और अर्जेंटीना ने जीनोम संपादन और डिजिटल कृषि प्रौद्योगिकियों में सहयोग शुरू किया है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर – (c)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत और अर्जेंटीना के बीच विकसित हो रहा कृषि सहयोग भारत की क्षेत्र-विशिष्ट कूटनीति में आए किस प्रकार के बदलाव को दर्शाता है, और इस प्रकार की साझेदारियाँ वैश्विक खाद्य सुरक्षा, नवाचार एवं सतत विकास में किस प्रकार योगदान कर सकती हैं ? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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