AMCA परियोजना : भारतीय वायु शक्ति के भविष्य का गगनगामी छलांग

AMCA परियोजना : भारतीय वायु शक्ति के भविष्य का गगनगामी छलांग

सामान्य अध्ययन -3- विज्ञान और प्रौद्योगिकी- भारत ने AMCA परियोजना को मंजूरी दी: स्वदेशी स्टील्थ फाइटर विकास में एक बड़ी छलांग

प्रारंभिक परीक्षा के लिए : 

ऑपरेशन सिंदूर, ‘मेक इन इंडिया’ योजना, उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)

मुख्य परीक्षा के लिए : 

यह भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, और इसके सामने क्या चुनौतियाँ हैं?

 

खबरों में क्यों?

 

 

  • हाल ही में भारत ने आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की दिशा में एक और अहम उपलब्धि हासिल की है। रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के विकास हेतु निष्पादन मॉडल को मंजूरी प्रदान कर दी है।
  • नई दिल्ली में आयोजित CII बिजनेस समिट के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जानकारी दी कि सीरियल प्रोडक्शन से पहले AMCA के पांच प्रोटोटाइप तैयार किए जाएंगे। 
  • इस महत्वाकांक्षी परियोजना की खास बात यह है कि इसमें पहली बार निजी क्षेत्र की कंपनियाँ, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर काम करेंगी।
  • रक्षा मंत्री ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की सराहना करते हुए इसे भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और सुरक्षा को सुदृढ़ करने वाला बताया। 
  • उन्होंने हालिया ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वदेशी रक्षा क्षमताओं ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रभावी आतंकवाद विरोधी प्रतिक्रिया को संभव बनाया है।

 

स्टेल्थ फाइटर क्या होता है?

  • स्टेल्थ फाइटर एक ऐसा उन्नत सैन्य विमान है जिसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि वह दुश्मन की नज़र से बचा रहे। इसकी बनावट और तकनीक इसे रडार, इन्फ्रारेड सेंसर, सोनार और अन्य ट्रैकिंग प्रणालियों से छिपाए रखने में सक्षम बनाती हैं। इसका मूल उद्देश्य है — दुश्मन के रक्षात्मक तंत्र से बचकर लक्ष्य पर सटीक वार करना।

 

स्टेल्थ फाइटर की मुख्य विशेषताएँ :

 

  1. कम रडार दृश्यता : विमान की संरचना और उसमें प्रयुक्त सामग्री रडार तरंगों को परावर्तित करने या सोखने में सक्षम होती है, जिससे विमान रडार पर नहीं दिखता या बहुत कम दिखता है।
  2. रडार-अवशोषक कोटिंग : विमान के बाहरी ढांचे पर विशेष पदार्थों की परत होती है जो रडार सिग्नलों को कमजोर कर देती है।
  3. आंतरिक हथियार प्रणाली : हथियारों को बाहरी रूप से नहीं, बल्कि विमान के भीतर समाहित किया जाता है, जिससे विमान की प्रोफ़ाइल और रडार सिग्नेचर घटती है।
  4. इन्फ्रारेड हस्ताक्षर में कमी : इंजन से निकलने वाली गर्मी को सीमित रखने के लिए विशेष डिज़ाइन अपनाया जाता है, जिससे विमान को थर्मल ट्रैकिंग से बचाया जा सके।
  5. अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों से सुसज्जित और सुरक्षा : इन विमानों में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ होती हैं जो दुश्मन के रडार को भ्रमित या निष्क्रिय कर सकती हैं।

 

भारत के लिए इसका सामरिक महत्व :

 

  1. स्वदेशी तकनीक पर आत्मनिर्भरता : AMCA परियोजना भारत को विदेशी सैन्य प्लेटफार्मों पर निर्भरता से मुक्ति दिलाएगी और रक्षा तकनीक में तकनीकी संप्रभुता प्रदान करेगी।
  2. हवाई शक्ति में बढ़त : यह विमान भारतीय वायुसेना को आधुनिक स्टेल्थ क्षमताओं से लैस करेगा, जिससे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों जैसे चीन और पाकिस्तान पर रणनीतिक बढ़त मिलेगी।
  3. भारत को एक रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करने में सक्षम : यह परियोजना भारत को एक रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित कर सकती है और ‘मेक इन इंडिया’ को वैश्विक पहचान दिला सकती है।
  4. औद्योगिक सहयोग का विस्तार : सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, MSMEs और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर यह परियोजना भारत के रक्षा निर्माण तंत्र को सशक्त बनाएगी।
  5. रणनीतिक संतुलन और रोकथाम : एएमसीए की बहुस्तरीय क्षमताएँ भारत को संकटग्रस्त क्षेत्रों में एक मज़बूत और विश्वसनीय रणनीतिक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करेंगी।
  6. हिंद-प्रशांत में भागीदारी : क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्थाओं जैसे क्वाड में भारत की भागीदारी को यह परियोजना तकनीकी रूप से मजबूती देगी।
  7. उन्नत अनुसंधान और कौशल विकास : यह परियोजना अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शोध को बढ़ावा देगी और भारत में कुशल मानव संसाधन विकसित करेगी।
  8. लंबी अवधि की लागत-प्रभावशीलता : स्वदेशी उत्पादन से रखरखाव और आधुनिकीकरण की लागत में कमी आएगी, साथ ही देश की महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकें राष्ट्रीय नियंत्रण में रहेंगी।

 

सार्वजनिक-निजी सहयोग : रक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल

 

  • भारत की अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम – एएमसीए (Advanced Medium Combat Aircraft) – में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का जो नया प्रारूप उभर रहा है, वह न केवल एक तकनीकी परियोजना है, बल्कि रक्षा नवाचार और स्वदेशीकरण की ओर एक संरचनात्मक बदलाव को रेखांकित करता है।
  1. अभिनव एसपीवी ढाँचा : सह-निर्माण का नया प्रारूप : एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) की स्थापना की जाएगी, जिसमें एचएएल और अग्रणी निजी कंपनियाँ साझेदारी करेंगी। यह मॉडल परियोजना के वित्तपोषण, तकनीकी विकास और संचालन को साझा करने का मंच प्रदान करेगा, जिससे रक्षा क्षेत्र में पारंपरिक ढाँचों से अलग संस्थागत नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
  2. निजी क्षेत्र की निर्णायक भागीदारी : यह पहली बार है जब निजी कंपनियाँ रक्षा परियोजना में साझीदार बनेंगी। इस पहल के ज़रिए उन्हें अत्यंत संवेदनशील एयरोस्पेस और रक्षा प्रौद्योगिकियों के सह-विकास का अवसर मिलेगा, जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को नया आयाम देगा।
  3. साझेदारी में जोखिम और उत्तरदायित्व का संतुलन : एसपीवी मॉडल वित्तीय और तकनीकी जोखिमों को साझा करने की सुविधा देता है। यह उत्तरदायित्व की स्पष्टता, तेज़ निर्णय प्रक्रिया और प्रभावी परियोजना प्रबंधन की दिशा में भी सहायक सिद्ध होगा।
  4. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के आर्थिक शक्तियों का समागम : एचएएल की विशेषज्ञता और बुनियादी ढांचे के साथ निजी क्षेत्र की तेज़ी, लचीलापन और नवाचार की क्षमता मिलकर एक प्रभावी सिनर्जी निर्मित करेगी, जो अगली पीढ़ी के रक्षा प्लेटफॉर्मों के विकास में सहायक होगी।
  5. एमएसएमई व स्टार्टअप के लिए अवसर : इस परियोजना से जुड़ी टियर-1 व टियर-2 आपूर्ति श्रृंखला में एमएसएमई, डिफेंस स्टार्टअप्स और घटक निर्माता भी भाग लेंगे, जिससे व्यापक औद्योगिक विकास और मेक इन इंडिया को नई गति मिलेगी।
  6. पूंजी और  और उच्च दक्षता वाली नौकरियों को आकर्षित करने में सहायक : विशेषकर एयरोस्पेस, एवियोनिक्स और मटेरियल साइंस जैसे क्षेत्रों में यह साझेदारी FDI, उद्यम पूंजी, और उच्च दक्षता वाली नौकरियों को आकर्षित करने में सहायक होगी।
  7. भावी रक्षा परियोजनाओं का आधार : यह मॉडल आने वाले समय में ड्रोन, नौसेना प्रणालियों और छठी पीढ़ी के विमानों जैसी परियोजनाओं के लिए प्रोटोटाइप का कार्य करेगा, जिससे भारत अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में भी इसी पथ को अपना सकेगा।
  8. स्वदेशी तकनीकी पारिस्थितिकी का सुदृढ़ीकरण : यह पहल अनुसंधान एवं विकास, विश्वविद्यालय-उद्योग सहयोग, और इनोवेशन हब की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी, जिससे दीर्घकालिक तकनीकी आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

एएमसीए ( AMCA ) के कार्यान्वयन से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ एवं बाधा : 

 

  1. उन्नत तकनीकी एकीकरण की जटिलताएँ : स्टेल्थ डिजाइन, अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सेंसर फ्यूजन जैसी तकनीकों के विकास हेतु अत्यंत उन्नत तकनीकी दक्षता की आवश्यकता है, जो इस परियोजना को अत्यधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण बनाती है।
  2. इंजन निर्माण में आत्मनिर्भरता से संबंधित बाधाएँ : स्वदेशी कावेरी इंजन परियोजना की धीमी प्रगति के कारण अल्पकालिक रूप से विदेशी इंजनों पर निर्भरता बनी हुई है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवरोध है।
  3. समन्वय और संस्थागत संबंधी बाधाएँ : डीआरडीओ, एचएएल, निजी कंपनियों और अन्य सरकारी निकायों के बीच प्रभावी समन्वय अक्सर नौकरशाही प्रक्रियाओं और विभिन्न प्राथमिकताओं के कारण बाधित होता है।
  4. बजट और खरीद प्रक्रियाओं की धीमी गति का होना : प्रारंभिक लागत वृद्धि, वित्तीय आवंटन में देरी, और जटिल खरीद प्रक्रियाएँ परियोजना की समय सीमा और गति को प्रभावित कर सकती हैं।
  5. संवेदनशील तकनीकों तक सीमित पहुंच : कुछ आवश्यक तकनीकों जैसे स्टेल्थ सामग्री और एवियोनिक्स पर विदेशी नियंत्रण और निर्यात प्रतिबंध भारत की विकास प्रक्रिया में बाधा बन सकते हैं।
  6. उन्नत परीक्षण अधोसंरचना का अभाव : उन्नत परीक्षण प्रयोगशालाओं और इंटीग्रेटेड वैलिडेशन सेंटर की कमी के कारण प्रोटोटाइप परीक्षण और प्रमाणीकरण की गति प्रभावित होती है।
  7. विशेषज्ञ मानव संसाधन की कमी : परियोजना को साकार करने के लिए अपेक्षित विशेषज्ञ इंजीनियर, वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों की संख्या पर्याप्त नहीं है, जिससे नवाचार की गति बाधित हो सकती है।
  8. निर्यात क्षमता और आर्थिक स्थायित्व संबंधी अनिश्चितताएँ : वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा, भू राजनीतिक जोखिम और रक्षा निर्यात नीति की अस्पष्टता के कारण उत्पादन और लागत-कुशलता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

 

निष्कर्ष : 

 

  • उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना भारत के रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और रणनीतिक स्वावलंबन की दिशा में एक निर्णायक प्रगति का संकेत देती है। यह पहल केवल भारतीय वायु सेना की युद्धक क्षमताओं को स्टेल्थ और अगली पीढ़ी की तकनीकों से सशक्त नहीं करती, बल्कि सार्वजनिक-निजी साझेदारी के एक नवीन मॉडल के माध्यम से औद्योगिक संरचना में गुणात्मक बदलाव की भी नींव रखती है।
  • इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय अनुसंधान एवं विकास, नवाचार केंद्रों, और घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत कर, भारत न केवल रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है, बल्कि वैश्विक स्तर पर पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के एक प्रतिस्पर्धी निर्माता के रूप में उभरने की क्षमता भी प्राप्त करता है।
  • हालाँकि, इस सफलता की कुंजी कुछ महत्वपूर्ण कारकों में निहित है — जैसे कि नीति समर्थन की निरंतरता, प्रभावी निष्पादन क्षमता, तथा सरकारी, निजी और अनुसंधान संस्थानों के बीच सक्रिय समन्वय। जब तक तकनीकी जटिलताओं, संस्थागत बाधाओं और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक सीमाओं का रणनीतिक और समन्वित समाधान नहीं किया जाता, तब तक यह महत्वाकांक्षी प्रयास अपेक्षित परिणाम देने से वंचित रह सकता है।
  • अतः AMCA परियोजना को भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में स्थापित करने के लिए नवाचार, सहयोग और दीर्घकालिक दृष्टिकोण आवश्यक होगा।

 

स्त्रोत – पी. आई.बी. एवं द हिन्दू। 

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 प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

1.एएमसीए भारत का पहला पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है जिसे निजी क्षेत्र की भागीदारी से विकसित किया जा रहा है।
2.एएमसीए परियोजना का नेतृत्व हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से किया जा रहा है।
3.एएमसीए को इसकी गुप्त क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आंतरिक हथियार कक्ष और कम रडार क्रॉस-सेक्शन की सुविधा के साथ डिजाइन किया गया है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर – (b)

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. चर्चा कीजिए कि उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता, वायु शक्ति क्षमता और रक्षा उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है? इसके साथ ही, इसके सफल कार्यान्वयन में कौन सी प्रमुख चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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