06 Jan MSP की वैधानिकता : भारत की कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और चुनौतियाँ
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय कृषि का विकास और विपणन , भारत में कृषि नीतियाँ , कृषि से संबंधित आर्थिक चुनौतियाँ, किसानों का विरोध , कृषि विविधीकरण एवं स्थिरता , सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा , खाद्य प्रसंस्करण ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत का सर्वोच्च न्यायालय, न्यूनतम समर्थन मूल्य, आर्थिक उदारीकरण, विश्व व्यापार संगठन, खाद्य मुद्रास्फीति, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में केंद्र सरकार की आलोचना की है, क्योंकि उसने प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत नहीं की और उनकी शिकायतों का समाधान नहीं किया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए विधिक गारंटी की मांग करने वाली नई याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए किसानों की मांगों पर विचार करने की अपील की है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए विधिक गारंटी की मांग करने वाला यह मामला पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसान समूहों द्वारा चलाए जा रहे लंबे विरोध प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी से संबंधित याचिका :
- यह याचिका वर्ष 2021 के किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान किए गए वादों के आधार पर दायर की गई थी, जिसमें कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद फसलों पर MSP की विधिक गारंटी की मांग की गई।
- इस याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि किसानों की आय को स्थिर करने के लिए MSP को कानूनी अधिकार के रूप में स्वीकृत किया जाए।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण :
- सर्वोच्च न्यायालय ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मुद्दे पर कोई सीधा आदेश नहीं दियाहै , लेकिन इसे हल करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाने का सुझाव दिया और केंद्र सरकार से त्वरित रूप से जवाब देने को कहा है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय की भागीदारी से किसानों के विरोध प्रदर्शनों को कानूनी समर्थन मिला है और इस मुद्दे के विधिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन का कारण :
- किसानों के विरोध प्रदर्शन की शुरुआत 1991 के आर्थिक उदारीकरण की नीति के कारण से हुई है , जब कृषि की तुलना में औद्योगिकीकरण को अधिक महत्व दिया गया।
- कृषि की तुलना में औद्योगिकीकरण को अधिक महत्व देने से ग्रामीण क्षेत्रों में संकट बढ़ा, क्योंकि किसान कम फसल लाभ और बढ़ती लागत का सामना कर रहे थे।
- फसलों के दामों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है, लेकिन इसका प्रभावी क्रियान्वयन केवल कुछ प्रमुख फसलों तक ही सीमित है, जिससे किसानों को अक्सर अपनी फसलें उत्पादन लागत से कम कीमत पर बेचनी पड़ती हैं।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के संदर्भ में WTO के समझौतों के कारण भारत को व्यापार प्रतिबंध लगाने और किसानों को सब्सिडी देने में समस्याएं आ रही हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें :
- सभी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी।
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर उत्पादन लागत पर 50% लाभ मार्जिन।
- किसानों और मजदूरों के लिए ऋण माफी, मुआवजा, पेंशन और बेहतर कार्य परिस्थितियाँ।
- भूमि और जल पर स्वदेशी लोगों के अधिकारों का संरक्षण।
सरकार का दृष्टिकोण :
- केंद्र सरकार ने बार-बार कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी देना व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि इसमें खरीद की उच्च लागत और लॉजिस्टिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- इसके अलावा, सरकार खाद्य मुद्रास्फीति और बजटीय दायित्वों के संदर्भ में भी चिंतित है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की वैधता के पक्ष और विपक्ष में तर्क :
वैधता के पक्ष में तर्क :
- किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलने में सहायक होना : न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा, जिससे बाजार की उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान की समस्या सुलझ जाएगी। यह उनकी उत्पादन लागत को पूरा करने के साथ-साथ उचित लाभ की गारंटी भी देगा।
- कृषि में सुधार को प्रोत्साहन मिलना और किसानों की आय में वृद्धि होना : कृषि का भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान घटकर 15% से कम हो गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को वैध बनाकर इस कमी को कम किया जा सकता है, जिससे कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- डिजिटल कृषि में पारदर्शिता और औपचारिक बाजारों को बढ़ावा मिलना : न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से लागू करने से औपचारिक बाजारों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अनौपचारिक बाजारों पर निर्भरता कम होगी और डिजिटल कृषि में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- स्थिर मूल्य को बढ़ावा मिलना : न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को वैध बनाने से कृषि बाजारों में मूल्य अस्थिरता कम हो सकती है, जिससे किसानों की आय और उपभोक्ता मूल्य स्थिर हो सकते हैं।
- कृषि की वास्तविक लागत की सही मूल्य निर्धारण में सहायक होना : वर्तमान में कृषि की वास्तविक लागत की सही गणना नहीं हो पाती, जिससे मूल्य अक्सर किसानों की खर्च से कम होते हैं। C2+50% पद्धति जैसे मॉडल से सही मूल्य निर्धारण हो सकता है।
- कृषि में निवेश से उत्पादकता में सुधार होना : न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से लागू करने से किसानों को स्थिर आय मिलेगी, जिससे कृषि में निवेश बढ़ेगा और हरित प्रौद्योगिकी और सतत् पद्धतियों के जरिए उत्पादकता में सुधार होगा।
वैधता के विपक्ष में तर्क :
- तार्किक समस्याएँ : सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू करना मुश्किल है, क्योंकि देश भर में पर्याप्त बुनियादी ढांचा और मंडी व्यवस्था नहीं है, जो कई राज्यों में काम नहीं कर रही है।
- सरकार पर आर्थिक दबाव और वित्तीय बोझ का बढ़ना : सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने के लिए सरकार को अत्यधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी, जो बजटीय दिक्कतें पैदा कर सकती है और आर्थिक दबाव बढ़ा सकता है।
- खाद्य मुद्रास्फीति : न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, खासकर अगर सरकार को सभी फसलों को MSP पर खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
- कृषि बाजारों में आपूर्ति और मांग की स्थिति में बदलाव : न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानूनी रूप से लागू होने से कृषि बाजारों में आपूर्ति और मांग की स्थिति में बदलाव हो सकता है, जिससे अकुशलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- वैश्विक व्यापार पर प्रतिबंध लगाने में कठिनाइयाँ उत्पन्न होना : विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के कारण भारत को कृषि पर सब्सिडी देने या व्यापार पर प्रतिबंध लगाने में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, जिससे MSP की प्रभावशीलता सीमित हो सकती है।
देश भर में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को वैध बनाने के विकल्प पर समाधान की राह :
- लक्षित दृष्टिकोण द्वारा समर्थित किया जाना : MSP को कानूनी रूप से लागू करने के बजाय, केवल कुछ फसलों के लिए इसे लागू किया जा सकता है, ताकि कीमतों को स्थिर किया जा सके। यह प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) द्वारा समर्थित किया जा सकता है, जो किसानों को MSP और मूल्य कमी भुगतान के जरिए उचित मूल्य सुनिश्चित करता है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में खरीद प्रणालियाँ सफलतापूर्वक लागू की गई हैं।
- कृषि संकटों के बेहतर समाधान के लिए स्थानीय स्तर पर कानून बनाने पर विचार किया जाना : राष्ट्रव्यापी MSP की बजाय, प्रत्येक राज्य की कृषि चुनौतियों और स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से राज्य-विशिष्ट कानून बनाने पर विचार किया जा सकता है, जो कृषि संकटों का बेहतर समाधान प्रदान कर सके।
- सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को बढ़ावा देना : सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को बढ़ावा देना, जैसा कि दूध उत्पादन में सफलता मिली है। ये संगठन किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में मदद कर सकते हैं।
- आधुनिक भंडारण सुविधाएँ और बेहतर बुनियादी ढाँचा स्थापित किया जाना : सहकारी समितियों और FPOs के लिए एक मजबूत कानूनी ढाँचा, आधुनिक भंडारण सुविधाएँ और बेहतर बुनियादी ढाँचा स्थापित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (PMKSY) इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा को बढ़ावा दे सकती है और फसल-उपरांत नुकसान को कम कर सकती है।
- सहकारी समितियों के साथ अनुबंध खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना : किसानों को निगमों या सहकारी समितियों के साथ अनुबंध खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि वे अपनी उपज के लिए गारंटीकृत मूल्य प्राप्त कर सकें।
- फसल बीमा योजनाओं को और अधिक विस्तार और सुधार के साथ लागू करना : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) जैसे उपायों को और अधिक विस्तार और सुधार के साथ लागू किया जा सकता है, ताकि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या बाजार की अस्थिरता से होने वाले नुकसान से सुरक्षा मिल सके।
- किसानों को अपनी फसलों और आय स्रोतों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करना : किसानों को अपनी फसलों और आय स्रोतों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, ताकि वे कुछ फसलों पर अधिक निर्भर न हों, जो बाजार में अस्थिरता का कारण बनती हैं।
स्त्रोत – योजना, कुरूक्षेत्र एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए विधिक गारंटी की मांग करने वाली याचिका किससे संबंधित है और किसानों को उनकी आय के स्रोतों में विविधता लाने के लिए कौन से कदम सुझाए गए हैं?
A. 1991 के आर्थिक उदारीकरण से संबंधित किसानों के विरोध से और सहकारी समितियों के साथ अनुबंध खेती के लिए प्रोत्साहन।
B. 2021 के किसान विरोध प्रदर्शन से और किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करना।
C. 2015 के सूखा प्रभावित किसानों के विरोध से और सभी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी लागू करना।
D. 2021 के किसान विरोध प्रदर्शन से और कृषि संकटों के समाधान के लिए नए कानून बनाना।
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसानों के विरोध और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर विचार करते हुए, MSP की वैधानिकता को लेकर किसानों की मांगों, सरकार के दृष्टिकोण, सर्वोच्च न्यायालय की अपील और इसके समाधान के संभावित उपायों पर चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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