निजता का मौलिक अधिकार बनाम भारत में डिजिटल बाज़ार

निजता का मौलिक अधिकार बनाम भारत में डिजिटल बाज़ार

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के ‘ विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर, डिजिटल बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा से जुड़ी चुनौतियाँ ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI), डिजिटल प्लेटफॉर्म, प्रतिस्पर्द्धा कानून, ऑनलाइन विज्ञापन, लक्षित – विज्ञापन, नियामक ढाँचा, व्यक्तिगत – डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ निजता का मौलिक अधिकार बनाम भारत में डिजिटल बाज़ार  से संबंधित है।) 

 

ख़बरों में क्यों ? 

 

  • भारत में निजता का मौलिक अधिकार और डिजिटल बाजार के बीच की बहस हाल के समय में खबरों में इसलिए है क्योंकि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के अध्यक्ष ने हाल ही में अपने 15वें वार्षिक उत्सव में डिजिटल बाजारों की गतिशीलता पर प्रकाश डाला है। 
  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे डिजिटल बाजारों में संकेंद्रण और एकाधिकार की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं, जो भारत में व्यक्ति के निजता के मौलिक अधिकारों को चुनौती दे सकती हैं? 
  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा आयोजित अपने 15वें वार्षिक उत्सव में इस विषय के संदर्भ में  यह चिंता भी व्यक्त की गई है कि बढ़ते डिजिटल बाजारों का प्रभाव और डेटा संग्रहण की विधियां उपभोक्ताओं की निजता के अधिकारों को किस प्रकार से प्रभावित कर सकती हैं। 

 

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 15वें वार्षिक उत्सव के प्रमुख निष्कर्ष : 

 

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 15वें वार्षिक उत्सव के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं,  जिसके तहत CCI ने डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

  • डिजिटल प्लेटफॉर्मों का नियंत्रण : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष के अनुसार बड़े डेटासेट पर डिजिटल प्लेटफॉर्मों का नियंत्रण नए अभिकर्त्ताओं के प्रवेश में बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है, प्लेटफॉर्म तटस्थता से समझौता कर सकता है और एल्गोरिदम संबंधी साँठ-गाँठ को जन्म दे सकता है।
  • ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर एकाधिकार : भारत के वर्तमान महान्यायवादी ने भी यह उल्लेख किया है  कि उपयोगकर्त्ता डेटा पर ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों का एकाधिकार “जाँच का विषय हो सकता है” और मुक्त बाज़ार तथा सामाजिक लाभ के बीच संतुलन बनाने के लिये नए विचारों की आवश्यकता है, जिसके लिये कानूनी नवाचार ज़रूरी है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था के अवसर और चुनौतियाँ : भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था नवाचार, विकास और उपभोक्ताओं के लाभ के लिए  कई अवसर प्रदान करती है, लेकिन इसने विश्व भर में पारंपरिक प्रतिस्पर्द्धा कानूनी ढाँचे को चुनौती दी है।
  • व्यवहारिक अर्थशास्त्र का महत्व : भारत के डिजिटल बाज़ारों के संदर्भ में मानवीय प्राथमिकताओं को समझने के लिए  व्यवहारिक अर्थशास्त्र जैसे उपकरणों के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला गया है।

 

डिजिटल बाज़ार क्या होता है ? 

 

  • डिजिटल बाज़ार जिसे ऑनलाइन बाज़ार भी कहते हैं, एक ऐसा वाणिज्यिक क्षेत्र है जहां व्यापारी और ग्राहक डिजिटल माध्यमों के जरिए संपर्क में आते हैं। डिजिटल बाज़ार के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं – 
  • ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस : ये वे ऑनलाइन मंच हैं जहां विक्रेता अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेचते हैं, जैसे कि अमेज़न और ईबे।
  • डिजिटल विज्ञापन : इसमें वेबसाइट्स, सोशल मीडिया, और सर्च इंजनों पर दिखाई देने वाले ऑनलाइन विज्ञापन शामिल हैं। गूगल द्वारा किया जाने वाला विज्ञापन  और फेसबुक पर किया जाने वाला विज्ञापन  इस क्षेत्र मेंअग्रणी हैं।
  • सोशल मीडिया मार्केटिंग : व्यापारी फेसबुक, इंस्टाग्राम, या ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके संभावित ग्राहकों से जुड़ते हैं, ब्रांड जागरूकता बढ़ाते हैं, और उत्पादों या सेवाओं का प्रचार करते हैं।
  • सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन (SEO) : यह वेबसाइट की सामग्री और संरचना को सर्च इंजन परिणाम पृष्ठों (SERP) में उच्च रैंकिंग के लिए अनुकूलित करने की प्रक्रिया है, जिससे ऑर्गेनिक ट्रैफिक में वृद्धि होती है।
  • बाजार में एकाधिकारवादी प्रवृत्ति का उदय : भारत में डिजिटल बाज़ारों में एकाधिकारवादी प्रवृत्तियों के उदय में अपरिवर्तनीय लागत, उच्च स्थिर लागत, और मजबूत नेटवर्क प्रभाव, जिसके कारण बाज़ार में कुछ ही कंपनियों का वर्चस्व होता है।

भारत के डिजिटल बाज़ारों में आपसी प्रतिस्पर्धा से जुड़ी चुनौतियाँ : 

 

भारत के डिजिटल बाज़ारों में आपसी प्रतिस्पर्धा चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं – 

  • बाज़ार का प्रभुत्व और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी आचरण : बाज़ार के कुछ प्रमुख खिलाड़ी बाजार के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करते हैं, जिससे नवाचार को बाधा पहुँचती है और उपभोक्ताओं के विकल्प सीमित होते हैं। बाजार पर इस प्रकार का एकतरफा प्रभुत्व निम्नलिखित प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी आचरण को जन्म दे सकता है
  • स्व-प्राथमिकता को महत्व देना : जब कोई प्लेटफॉर्म अपने खोज परिणामों या प्रचारों में अपने उत्पादों या सेवाओं को प्रतिस्पर्द्धियों के मुकाबले अधिक महत्व देता है। उदाहरण के लिए – गूगल अपने शॉपिंग परिणामों को अन्य प्लेटफॉर्मों की तुलना में अधिक प्राथमिकता देता है।
  • उपयोगकर्त्ता को विवश करना : जब उपयोगकर्त्ताओं को उनकी इच्छित उत्पादों या सेवाओं के साथ अनचाहे उत्पाद या सेवाएँ खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है। उदाहारण के लिए – आईफोन के साथ अन्य एप्पल उत्पादों का संयोजन उपयोगकर्त्ताओं को एप्पल के पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े रहने के लिए विवश करता है।
  • विशेष समझौतों में बाँधा जाना :  जब आपूर्तिकर्त्ताओं या वितरकों को विशेष समझौतों में बाँधा जाता है, जिससे प्रतिस्पर्द्धा में बाधा आती है। उदहारण के लिए  हॉटस्टार और जियो सिनेमा जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म शो के विशेष अधिकार सुरक्षित करते हैं, जिससे दर्शकों के विकल्प सीमित होते हैं।
  • नेटवर्क प्रभाव और विजेता-सब-कुछ-ले-जाए गतिशीलता : जब एक प्लेटफॉर्म का मूल्य उससे जुड़ने वाले अधिक उपयोगकर्त्ताओं के साथ बढ़ता है, तो एक स्नोबॉल प्रभाव उत्पन्न होता है, जो नए प्रवेशकों के लिए प्रतिस्पर्द्धा करना कठिन बना देता है। उदाहरण के लिए –  व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अधिक उपयोगकर्त्ताओं के साथ मूल्यवान हो जाते हैं। इससे उच्च स्विचिंग लागत और नवप्रवर्तन में कमी जैसे परिणाम हो सकते हैं।

भारत में डेटा लाभ से संबंधित बनाम व्यक्ति की निजता से संबंधित चिंताएँ:

 

डिजिटल बाजारों में उपयोगकर्ता डेटा का संग्रहण और उपयोग व्यक्तिगत निजता और प्रतिस्पर्धा के मुद्दों को जन्म देता है। अतः भारत में डेटा लाभ से संबंधित बनाम व्यक्ति की निजता से संबंधित चिंताएँ निम्नलिखित है – 

  • उपभोक्ता गोपनीयता के मुद्दे : डिजिटल कंपनियां जिस तरह से उपयोगकर्ता का डेटा इकट्ठा करती हैं, उसकी प्रक्रिया अक्सर अस्पष्ट होती है, जिससे उपभोक्ताओं की निजता के हनन का खतरा बढ़ जाता है।
  • अवसरों में असमानता : भारत में डेटा लाभ से संबंधित बनाम व्यक्ति की निजता से संबंधित चिंताओं में बाजार में नए आने वाले उद्यमियों के लिए उन प्रतिस्पर्धियों के साथ मुकाबला करना कठिन होता है जिनके पास पहले से ही डेटा का विशाल संग्रह होता है, जो उन्हें अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।
  • विनियामक चुनौतियाँ : भारत के डिजिटल बाजारों की गतिशीलता के कारण, मौजूदा नियमों को अप्रचलित बना दिया जाता है, जिससे विनियामकों को इसे परिभाषित और संबोधित करने में कठिनाई होती है।
  • अविश्वास संबंधी मुद्दे : भारत में डिजिटल इकोसिस्टम की जटिलता के कारण, प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी व्यवहार की पहचान और साबित करना मुश्किल होता है, और एक प्रमुख फर्म की पहचान करना भी एक चुनौती है।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

भारत में डिजिटल बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा की निगरानी के लिए संभावित समाधान निम्नलिखित हैं –

  • प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों (SIDIs) की पहचान करना : भारत में व्यक्ति की निजता के संबंध में ऐसे मध्यस्थों की पहचान करना जिनके पास महत्त्वपूर्ण बाज़ार शक्ति हो, और उन्हें सख्त नियमों के अधीन करना होगा।
  • प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं का निषेध : भारत में व्यक्ति की निजता के संबंध में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं का निषेध करना तथा स्व-वरीयता और अनन्य व्यवहार जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाना जो प्रतिस्पर्द्धा को बाधित करते हैं। उदाहरण: कोई प्लेटफॉर्म अपने उत्पादों को खोज परिणामों में प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में प्राथमिकता नहीं दे सकता।
  • डेटा साझाकरण और अंतरसंचालनीयता : भारत में नागरिकों के निजता के संबंध में उपयोगकर्ताओं को डेटा या सेवाओं को प्लेटफॉर्मों के बीच स्थानांतरित करने की अनुमति देने के लिए डेटा साझाकरण और प्लेटफॉर्म अंतरसंचालनीयता को अनिवार्य करना होगा। उदाहरण: उपयोगकर्ताओं को अपने ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट को एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर स्थानांतरित करने की अनुमति देना।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) को सुदृढ़ बनाना : CCI को डिजिटल बाज़ारों की प्रभावी निगरानी करने और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं की जाँच करने के लिए अतिरिक्त शक्तियाँ, संसाधन और कार्मिक प्रदान करना होगा। उदाहरण: 53वीं संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने CCI को मज़बूत करने की अनुशंसा की।
  • डेटा संरक्षण के साथ नवाचार को बढ़ावा देना : विनियामकीय सैंडबॉक्स के माध्यम से स्टार्टअप्स के लिए नवीन उत्पादों और सेवाओं का परीक्षण करने के लिए एक नियंत्रित वातावरण स्थापित करना। उदाहरण: व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को उनके व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करना है।
  • डिजिटल बाज़ार व्यवसायों और उपभोक्ताओं को जोड़ने के लिए एक गतिशील स्थान प्रदान करते हैं, लेकिन वे अद्वितीय चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करते हैं। एकाधिकार की संभावना, डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ, और नवाचार की कमी के कारण सक्रिय समाधान की आवश्यकता होती है। वैश्विक दुनिया के बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ, भारत के लिए स्टार्टअप्स के लिए उपयुक्त परिस्थितियों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाना तो अनिवार्य है ही किन्तु इसके ही साथ – साथ भारत के व्यक्तियों की निजता के मौलिक अधिकार को भी संरक्षित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

 

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस एवं पीआईबी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. व्यक्ति के निजता का अधिकार भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत संरक्षित एक मौलिक अधिकार है ? ( UPSC – 2021 )

A. अनुच्छेद 21

B. अनुच्छेद 19

C. अनुच्छेद 29

D. अनुच्छेद 15

उत्तर –  A

Q. 2. भारत के संविधान में निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है? ( UPSC – 2018)

A. अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ।

B. अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध।

C. अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध।

D. अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिये राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में डिज़िटल बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा से जुड़ी चुनौतियों और उसके समाधान के तरीके को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में निजता के मौलिक अधिकारों को उच्चतम न्यायालय के नवीनतम निर्णय किस प्रकार प्रभावित करते हैं ? ( UPSC CSE – 2019 शब्द सीमा – 250 अंक -15 )

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