भारत के आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 12 ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों को मंजूरी दी

भारत के आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 12 ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों को मंजूरी दी

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ शासन एवं राजव्यवस्था, समावेशी विकास, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘प्लग-एन-प्ले अवधारणा, ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहर , स्वर्णिम चतुर्भुज योजना , राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र ’ खंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 अगस्त 2024 को राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत बारह नए ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास को मंजूरी दी है। 
  • इन परियोजनाओं पर 28,602 करोड़ रुपये का अनुमानित निवेश होगा और ये 10 लाख प्रत्यक्ष तथा 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेंगी। 
  • इस कार्यक्रम के तहत ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं के साथ, ये स्मार्ट शहर स्वर्णिम चतुर्भुज के आधार पर स्थापित किए जाएंगे, जो निवेश और क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करेंगे।
  • भारत की वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, ये परियोजनाएं विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।

 

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) : 

 

  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत बारह नए ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों की स्थापना की जा रही है। ये परियोजनाएं 10 राज्यों में फैली हुई हैं और 6 प्रमुख गलियारों के साथ रणनीतिक रूप से नियोजित की गई हैं, जो भारत की विनिर्माण क्षमता और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस महत्वकांक्षी परियोजनाएं को सुदृढ़ बनाएंगी।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र :

  • उत्तराखंड : खुरपिया
  • पंजाब : राजपुरा-पटियाला
  • महाराष्ट्र : दिघी
  • केरल : पलक्कड़
  • उत्तर प्रदेश : आगरा और प्रयागराज
  • बिहार : गया
  • तेलंगाना : जहीराबाद
  • आंध्र प्रदेश : ओरवाकल और कोप्पर्थी
  • राजस्थान : जोधपुर-पाली

 

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं :

  • रणनीतिक निवेश : राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम बड़े उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। इसका उद्देश्य 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात प्राप्त करना है, जो आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत के लक्ष्य को दर्शाता है।
  • स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढांचा : नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के आधार पर ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर “मांग से पहले” बनाया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ये शहर उन्नत और टिकाऊ औद्योगिक बुनियादी ढाँचे से लैस हों।
  • पीएम गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण : पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा होगा, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित करेगा। औद्योगिक शहरों को क्षेत्रीय विकास के केंद्र के रूप में परिकल्पित किया गया है।

 

विकसित भारत के लक्ष्य का सपना : 

 

विकसित भारत के लक्ष्य के तहत परियोजनाओं की मंजूरी और उनका महत्व :

 

  • ‘विकसित भारत’ के विजन के तहत भारत को एक मजबूत प्रतिस्पर्धी देश के रूप में स्थापित करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं की मंजूरी दी गई है। यह परियोजनाएं घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए विनिर्माण इकाइयों की स्थापना करने में मदद करेंगी। इसके साथ ही, ये परियोजनाएं रोजगार के अवसर पैदा करेंगी और भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी। यह एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्य के साथ मेल खाता है, जो औद्योगिक उत्पादन और रोजगार के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

 

आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन :

 

  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत यह अनुमानित किया गया है कि यह महत्वपूर्ण मात्रा में रोजगार सृजित करेगा। इसके अंतर्गत लगभग 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होगा और नियोजित औद्योगिकीकरण के माध्यम से 3 मिलियन तक अप्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न होंगी। यह रोजगार सृजन केवल आजीविका के अवसर ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जहाँ ये परियोजनाएँ लागू की जाएँगी।

 

स्थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता :

 

  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत तैयार की गई परियोजनाओं का प्रमुख ध्यान स्थिरता पर है। इनमें पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए आईसीटी-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया गया है। गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और टिकाऊ बुनियादी ढांचा प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य है कि ऐसे औद्योगिक शहर विकसित किए जाएँ जो आर्थिक गतिविधि के केंद्र होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के आदर्श उदाहरण भी बनें।

 

समाधान / आगे की राह :

 

 

  • अब तक, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) ने चार परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और चार अन्य परियोजनाएँ कार्यान्वयन की स्थिति में हैं। यह निरंतर प्रगति यह दर्शाती है कि सरकार औद्योगिक क्षेत्र में बदलाव लाने और एक स्थायी, समावेशी आर्थिक वातावरण को बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्ध है।
  • नियोजन और कार्यान्वयन : आगामी परियोजनाओं के लिए नियोजन और कार्यान्वयन की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाना महत्वपूर्ण है। इससे परियोजनाओं की समय-सीमा और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी, और कोई भी व्यवधान कम होगा।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार : परियोजनाओं में उन्नत प्रौद्योगिकी और नवाचार को शामिल करके, औद्योगिक नोड्स की कार्यक्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया जा सकता है। स्मार्ट विनिर्माण प्रणालियाँ, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेटा विश्लेषण की तकनीकों का उपयोग फायदेमंद होगा।
  • सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव : हर परियोजना के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन और प्रबंधन किया जाना चाहिए। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी : स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि वे इन परियोजनाओं के लाभ से सीधे जुड़े और उनके विकास में सक्रिय भूमिका निभा सकें। इससे सामाजिक स्वीकृति और सहयोग प्राप्त होगा।
  • एकीकृत विकास : इन औद्योगिक नोड्स का विकास एक समग्र दृष्टिकोण से किया जाएगा, जिसमें औद्योगिक, आवासीय, और सामाजिक संरचनाओं को एक साथ योजना में शामिल किया जाएगा। यह रणनीति सुनिश्चित करेगी कि विकास केवल औद्योगिक क्षेत्र तक सीमित न रहे, बल्कि समग्र क्षेत्रीय विकास को भी प्रोत्साहित करे। 
  • टिकाऊ बुनियादी ढाँचा : बुनियादी ढाँचे के विकास में पर्यावरणीय स्थिरता और संसाधनों की दक्षता को प्राथमिकता दी जाएगी। हर नोड में ऊर्जा-कुशल भवन, जल पुनर्चक्रण प्रणालियाँ, और हरित परिवहन उपायों को शामिल किया जाएगा।
  • निर्बाध कनेक्टिविटी : उद्योगों को बेहतर परिवहन और संचार नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने की योजना बनाई जाए, ताकि आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता बढ़े और व्यापारिक गतिविधियाँ सुगम हों।इन पहलों के साथ, भारत का औद्योगिक क्षेत्र वैश्विक मानकों के अनुरूप और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बन सकेगा। यह न केवल देश की समग्र आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को वैश्विक विनिर्माण परिदृश्य में एक प्रमुख भूमिका निभाने की दिशा में भी मजबूती प्रदान करेगा।

 

स्त्रोत – पीआईबी।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1.राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. इस कार्यक्रम के तहत स्मार्ट शहरों को स्वर्णिम चतुर्भुज के आधार पर स्थापित किए जाएंगे, जो निवेश और क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करेंगे।
  2. राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम औद्योगिक क्षेत्र में बदलाव लाने और एक स्थायी, समावेशी आर्थिक वातावरण के प्रति प्रतिबद्ध है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

A. केवल 1

B. केवल 2

C. 1 और 2 दोनों

D. न तो 1 और न ही 2

उत्तर: C

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. क्या आप मानते हैं कि राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है? तर्कसंगत टिप्पणी करें? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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