29 Jun भारत में जम्मू-कश्मीर केन्द्रशासित प्रदेश में शत्रु एजेंट अध्यादेश लागू
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था, राज्य विधायिका, भारत में केंद्र – राज्य संबंध, भारत और इसके पड़ोसी देश ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (UAPA), शत्रु एजेंट अध्यादेश (Enemy Agents Ordinance), 2005, जम्मू- कश्मीर में शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत मुक़दमें की प्रक्रिया ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत में जम्मू-कश्मीर केन्द्रशासित प्रदेश में शत्रु एजेंट अध्यादेश लागू ’ से संबंधित है।)
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने कहा है कि भारत में या जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की सहायता करने वालों पर विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act – UAPA) के स्थान पर शत्रु एजेंट अध्यादेश (Enemy Agents Ordinance), 2005 के तहत जांच एजेंसियों द्वारा मुकदमा चलाया जाना चाहिए ।
- इस कानून के तहत आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है।
जम्मू – कश्मीर शत्रु एजेंट अध्यादेश के बारे में :
- भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के शत्रु एजेंट अध्यादेश का इतिहास अत्यंत पुराना है।
- इस अध्यादेश को पहली बार वर्ष 1917 में जम्मू-कश्मीर के डोगरा महाराजा द्वारा जारी किया गया था।
- इसे ‘ अध्यादेश ’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में डोगरा शासन के दौरान बनाए गए कानूनों को ‘ अध्यादेश ’ ही कहा जाता था।
- भारत के विभाजन के बाद, इस अध्यादेश को वर्ष 1948 में महाराजा द्वारा कश्मीर संविधान अधिनियम, 1939 की धारा 5 के अंतर्गत अपनी विधि निर्माण की शक्तियों का प्रयोग करते हुए कानून के रूप में पुनः अधिनियमित किया गया था।
शत्रु और शत्रु एजेंट की परिभाषा :
- शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत, शत्रु को “किसी भी ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया जाता है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में कानून द्वारा स्थापित सरकार को अपदस्थ करने के लिए बाहरी हमलावरों द्वारा किए गए अभियान में भाग लेता है या सहायता करता है।
- शत्रु एजेंट का अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति षड्यंत्र करके या अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर देश के शत्रु की सहायता करता है, तो उसे शत्रु एजेंट की संज्ञा दी जाती है।
दंड का प्रावधान :
- इस अध्यादेश के तहत, शत्रु एजेंटों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है, और उनके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
न्यायिक सत्यापन और विचारण :
- रहमान शागू बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य, 1959 के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शत्रु एजेंट अध्यादेश को भारत में संवैधानिक घोषित किया था।
- इस अध्यादेश के तहत, अभियोग का संचालन उच्च न्यायालय की सलाह से सरकार द्वारा नियुक्त विशेष न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।
- इस अध्यादेश के तहत अभियुक्त को न्यायालय की अनुमति के बिना कोई भी वकील नियुक्त करने की कोई अनुमति नहीं होती है और इस अध्यादेश के तहत दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील करने का भी कोई प्रावधान नहीं होता है।
विधि विरुद्ध क्रिया – कलाप निवारण अधिनियम (UAPA) क्या है?
- विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (UAPA) 1967 में पारित किया गया था और इसका प्रारंभिक उद्देश्य भारत में गैरकानूनी गतिविधि समूहों की प्रभावी रोकथाम करना है।
- इस अधिनियम में आतंकवादी वित्तपोषण, साइबर-आतंकवाद, व्यक्तिगत पदनाम, और संपत्ति की ज़ब्ती से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया गया है।
- इसमें कई बार संशोधन किए गए हैं, जिनमें नवीनतम संशोधन वर्ष 2019 में किया गया था।
- विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (UAPA) के तहत, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency- NIA) को देश भर में UAPA के तहत दर्ज मामलों की जाँच करने और मुकदमा चलाने का अधिकार होता है।
- यह आतंकवादी कृत्यों के लिए उच्चतम दंड के रूप में मृत्युदंड और आजीवन कारावास का प्रावधान करता है।
- इस अधिनियम के तहत संदिग्धों को बिना किसी आरोप या ट्रायल के 180 दिनों तक हिरासत में रखने और आरोपियों को ज़मानत देने से इनकार करने की अनुमति होती है, जब तक कि न्यायालय संतुष्ट न हो जाए कि वे दोषी नहीं हैं।
- इस अधिनियम के तहत, आतंकवाद को ऐसे किसी भी कृत्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु या आघात का कारण बनता है या इसकी मंशा रखता है, या किसी संपत्ति को क्षति पहुँचाता है या नष्ट करता करता है, या जो भारत या किसी अन्य देश की एकता, सुरक्षा या आर्थिक स्थिरता को खतरे में डालता है।
जम्मू- कश्मीर में शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत मुक़दमें की प्रक्रिया :
जम्मू-कश्मीर में शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत मुकदमों की प्रक्रिया निम्नलिखित रूप में होती है –
- विशेष न्यायाधीश के समक्ष मुकदमा : शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत मुकदमा एक विशेष न्यायाधीश द्वारा चलाया जाता है, जिसे “सरकार उच्च न्यायालय के परामर्श से” नियुक्त करती है।
- वकील रखने के लिए अदालत की स्वीकृति आवश्यक : इस अध्यादेश के तहत, अभियुक्त अपने बचाव के लिए तब तक वकील नहीं रख सकता जब तक कि न्यायालय की अनुमति न हो।
- फैसले के खिलाफ अपील का प्रावधान नहीं : शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील का कोई प्रावधान नहीं है। विशेष न्यायाधीश के फैसले की समीक्षा केवल “सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से चुने गए व्यक्ति” द्वारा की जा सकती है और उस व्यक्ति का निर्णय अंतिम होगा।
- मामले के खुलासे या प्रकाशन पर रोक : इस अध्यादेश के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी कार्यवाही के संबंध में या इस अध्यादेश के तहत किसी व्यक्ति के संबंध में कोई जानकारी प्रकट या प्रकाशित करता है, उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
- इस अध्यादेश के तहत, आतंकवादियों की मदद करने वालों को भी दुश्मन ही समझा जाता है और इसके तहत कैद या जुर्माना या दोनों ही रूप से दंडित किया जा सकता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. शत्रु एजेंट अध्यादेश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इस अध्यादेश को सर्वप्रथम वर्ष 1917 में जारी किया गया था ।
- इस अध्यादेश के तहत, शत्रु एजेंटों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
- इस अध्यादेश के अनुसार 10 वर्ष तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है, और उनके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील का कोई प्रावधान नहीं है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. शत्रु एजेंट अध्यादेश, 2005 के प्रमुख प्रावधानों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार देश की आंतरिक सुरक्षा करने में कारगर उपाय के रूप में कार्य करता है तथा आतंकवाद पर अंकुश लगाता है अथवा यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है? तर्कसंगत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए। ( UPSC CSE – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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