18 Mar भारत – मॉरीशस द्विपक्षीय संबंध
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय संबंध, भारत और इसके पड़ोसी देश, भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदार के रूप में मॉरीशस की वर्तमान प्रासंगिकता एवं महत्त्व, भारत के हितों पर पड़ोसी देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय संबंध, हिंद महासागर सम्मेलन, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG), सागर (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास), दांडी मार्च 1930, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम, चागोस द्वीपसमूह, कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में 11-12 मार्च 2025 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा के दौरान भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारस्परिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए आपसी संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
- मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने भारत की भूमिका को देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण बताया और द्विपक्षीय साझेदारी को और प्रगति देने का संकल्प लिया है।
- इस यात्रा के दौरान व्यापार, समुद्री सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
- प्रधानमंत्री मोदी को मॉरीशस का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन’ भी प्रदान किया गया।
- भारत के प्रधानमंत्री ने ‘सागर दृष्टिकोण’ के तहत मॉरीशस के साथ भारत के मजबूत संबंधों को रेखांकित किया और दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंध को और अधिक उन्नत रणनीतिक साझेदारी में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाने पर अपनी सहमति व्यक्त की है।
भारत के प्रधानमंत्री की मॉरीशस यात्रा से भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख परिणाम :
भारत के प्रधानमंत्री की मॉरीशस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनसे दोनों देशों के संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
- उन्नत रणनीतिक साझेदारी : दोनों देशों ने अपने संबंधों को एक उन्नत रणनीतिक साझेदारी तक पहुँचाया, जिसमें सुरक्षा, स्थानीय मुद्राओं में व्यापार, और विकास सहयोग पर बल दिया गया। इसके साथ ही, हिंद महासागर क्षेत्र में स्वतंत्रता और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि की गई।
- दोहरे कराधान समझौता : भारत और मॉरीशस ने दोहरे कराधान अपवंचन समझौते (DTAA) में संशोधन करने पर सहमति व्यक्त की और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने का निर्णय लिया।
- महासागर दृष्टिकोण : भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए ‘महासागर’ (MAHASAGAR) पहल का प्रारंभ किया, जो प्रौद्योगिकी साझाकरण, रियायती ऋण, अनुदान, व्यापार और सुरक्षा सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
- सुरक्षा सहयोग : दोनों देशों ने भारत द्वारा विकसित अगलेगा द्वीप के नए रनवे और जेटी के उपयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई। साथ ही, भारत ने चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस की संप्रभुता के समर्थन की पुष्टि की। श्वेत पोत, नीली अर्थव्यवस्था और जल सर्वेक्षण के क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ाया जाएगा।
- विकासात्मक सहायता : भारत ने मॉरीशस को जल पाइपलाइनों के नवीनीकरण के लिए पहली बार रुपया-आधारित ऋण सहायता देने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त, भारत मॉरीशस में पुलिस अकादमी और समुद्री सूचना केंद्र स्थापित करने में भी सहयोग करेगा।
- नया संसद भवन निर्माण : भारत ने मॉरीशस के लिए एक नए संसद भवन का निर्माण करने की घोषणा की, जिसे भारत द्वारा भारतीय लोकतंत्र की ओर से “लोकतंत्र की जननी” के रूप में एक उपहार के रूप में मॉरीशस को पेश किया गया।
- बहुपक्षीय सहयोग : भारत ने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन, IORA और हिंद महासागर सम्मेलन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मॉरीशस के साथ कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दोहराया। अतः इस यात्रा ने दोनों देशों के साझा इतिहास, सांस्कृतिक बंधनों और भू-राजनीतिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके रिश्तों को और मजबूती प्रदान की।
भारत और मॉरीशस के बीच का ऐतिहासिक संबंध :
- भारत की स्वतंत्रता से पूर्व का आपसी संबंध : मॉरीशस में भारतीयों का आगमन फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान हुआ, जब 1700 के दशक में पुडुचेरी से कारीगरों और राजमिस्त्री के रूप में भारतीय यहाँ पहुंचे। ब्रिटिशों द्वारा मॉरीशस का अधिग्रहण करने से पहले, यह एक फ्रांसीसी उपनिवेश था। ब्रिटिश शासन के दौरान, 1834 से लेकर 1900 के दशक के प्रारंभ तक लगभग 500,000 भारतीय अनुबंधित श्रमिकों ने मॉरीशस में अपनी यात्रा की, जिनमें से दो-तिहाई वहां स्थायी रूप से बस गए।
- महात्मा गांधी ने सन 1901 में मॉरीशस का दौरा किया था और भारतीय समुदाय के शिक्षा और राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए काम किया। गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के रूप में, मॉरीशस हर साल 12 मार्च को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। दांडी मार्च के सम्मान में मॉरीशस 12 मार्च को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद का आपसी संबंध : भारत की स्वतंत्रता के 20 साल बाद, 1948 में भारत और मॉरीशस के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए। 1968 में मॉरीशस को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, और तब से दोनों देशों के संबंध और भी मजबूत हुए। मॉरीशस के पहले प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम ने भारतीय नेताओं जैसे गांधीजी, नेहरू और सुभाष चंद्र बोस के साथ गहरा, आत्मीय और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए थे।
भारत के लिए मॉरीशस का महत्व :
- सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होना : पश्चिमी हिंद महासागर में मॉरीशस का सामरिक स्थान इसे भारत की “सागर” पहल में एक प्रमुख समुद्री साझेदार बनाता है, जो क्षेत्र में सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देता है।
- भारत का चीन के खिलाफ संतुलन स्थापित करने की दृष्टिकोण से : हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति से मुकाबला करने के लिए, भारत के लिए मॉरीशस के साथ मजबूत संबंध समुद्री संचार लाइनों (SLOCs) और सामरिक हितों की सुरक्षा में मददगार हैं। अतः भारत के लिए मॉरीशस हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है।
- आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होना : मॉरीशस, अफ़्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार समझौते (AFCFTA) का सदस्य होने के कारण, अफ़्रीका में भारतीय व्यापार और निवेश का प्रवेश द्वार है। भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। मॉरीशस, सिंगापुर के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा FDI स्रोत है।
- द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंध की दृष्टिकोण से महत्त्व : मॉरीशस की लगभग 70% आबादी भारतीय मूल की है, जो भारतीय संस्कृति, भाषा और विरासत को बढ़ावा देती है। इससे मॉरीशस और भारत के बीच के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती मिलती है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि समारोह और गंगा तालाब जैसे हिंदू तीर्थ स्थल भारतीय संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण पहचान हैं।
मॉरीशस के लिए भारत का महत्व :
- भारत का मॉरीशस का प्रमुख विकास भागीदार होना : भारत मॉरीशस का प्रमुख विकास साझेदार है और उसने पिछले दशक में मॉरीशस को 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की है। भारत ने मेट्रो एक्सप्रेस, सर्वोच्च न्यायालय भवन और अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में मॉरीशस को मदद दी है।
- समुद्री सुरक्षा सहयोग प्रदान करना : भारत, मॉरीशस का प्रमुख सुरक्षा साझेदार है और भारत समुद्री सुरक्षा में मॉरीशस की मदद करता है। भारत नौसैनिक गश्त, संयुक्त समुद्री निगरानी और हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के माध्यम से EEZ सुरक्षा का समर्थन करता है।
- आपदा सहायता और आपदा राहत प्रदान करना : भारत ने कई बार मॉरीशस को आपदा राहत सहायता प्रदान की है। भारत संकट के समय मॉरीशस का पहला प्रत्युत्तरदाता रहा है, जिसने चक्रवात चिडो (2024), वाकाशियो तेल रिसाव (2020) और कोविड-19 महामारी के दौरान सहायता प्रदान की।
- क्षमता निर्माण की दृष्टिकोण से सहायक होना : भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के माध्यम से मॉरीशस के 4,940 नागरिकों को प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा, भारत राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) के माध्यम से मॉरीशस के सिविल सेवकों को अनुकूलित प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।
निष्कर्ष :
- भारत और मॉरीशस के संबंध न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत मजबूत और गहरे हैं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच की यह साझेदारी क्षेत्रीय सुरक्षा, समृद्धि और स्थिरता को मजबूत करती है। व्यापार, सुरक्षा और विकास के क्षेत्रों में किए गए समझौतों ने उनकी रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ किया है। भारत का “महासागर” दृष्टिकोण और बुनियादी ढांचा समर्थन क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है, बाहरी प्रभावों से सुरक्षा सुनिश्चित करता है और आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करता है। इन दोनों देशों का साझा इतिहास, सांस्कृतिक बंधन और भू-राजनीतिक संरेखण इस साझेदारी को क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं।
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 18th March 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत के प्रधानमंत्री की मॉरीशस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने किन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है ?
- सुरक्षा के क्षेत्र में।
- स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करना।
- विकासात्मक परियोजनाओं में सहायता प्रदान करने में।
- श्वेत पोत, नीली अर्थव्यवस्था और जल सर्वेक्षण के क्षेत्र में।
नीचे दिए गए कूट के माध्यम से सही विकल्प का चयन करें :
A. केवल 1 और 3
B. केवल 2 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत के प्रधानमंत्री की मॉरीशस यात्रा के संदर्भ में, भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख परिणामों, ऐतिहासिक संबंधों और दोनों देशों के लिए एक-दूसरे के महत्व का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हुए, “महासागर दृष्टिकोण” की भूमिका और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में इसकी प्रभावशीलता पर प्रकाश डालिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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