13 Sep वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) का बहुभाषी पोर्टल : तकनीकी संवाद का नया युग
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ राजव्यवस्था और भारतीय संविधान, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार , मानव संसाधन विभाग ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय , भारत की भाषाई विविधता , राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 , भारत में त्रि – भाषा सूत्र , बहुभाषा पोर्टल ’ खंड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) ने एक विशिष्ट वेबसाइट ‘shabd.education.gov.in’ लॉन्च की है।
- इस वेबसाइट का प्रमुख उद्देश्य भारत के संविधान में उल्लेखित सभी 22 आधिकारिक भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों तक सभी के लिए आसानी से पहुँच प्रदान करना है।
- यह पहल उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत शुरू की गई इस पहल से छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को अपनी मातृभाषा में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली तक आसानी से पहुँच प्रदान हो सकेगी।
- इस पहल से तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान को स्थानीय भाषाओं में बेहतर तरीके से समाहित किया जा सकेगा, जो कि भारत की भाषाई विविधता और ज्ञान को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग ?
- भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (Commission for Scientific and Technical Terminology) की स्थापना 1 अक्टूबर 1961 में की गई थी, जिसका उद्देश्य हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों को विकसित और परिभाषित करना है।
- इसकी स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के खंड (4) के तहत की गई थी।
- यह भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षा मंत्रालय, के अधीन कार्य करता है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) का प्रमुख कार्य :
- भारत में सन 1961 ई. में स्थापित वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली का विकास और देश भर में प्रसार करना है। आयोग विभिन्न कार्यों को संपन्न करता है, जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित है –
- द्विभाषी और त्रिभाषी शब्दावलियों का प्रकाशन करना : आयोग द्विभाषी और त्रिभाषी शब्दावलियों, जैसे कि अंग्रेजी-हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए शब्दावलियाँ तैयार करता है और उसे प्रकाशित करता है।
- मानक शब्दावली का विकास करना : आयोग मानक शब्दावली विकसित करता है और उसके प्रयोग को प्रोत्साहित करता है। यह कार्य शब्दावली की व्यापक पहचान और उपयोग को सुनिश्चित करता है।
- राष्ट्रीय शब्दावली को तैयार करना : आयोग राष्ट्रीय स्तर पर शब्दावली तैयार करता है और उसका प्रकाशन करता है।
- क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तर की पुस्तकों के लिए अनुदान सहायता प्रदान करना : भारत में यह आयोग क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तर की पुस्तकों के लिए ग्रंथ अकादमियों, पाठ्यपुस्तक बोर्डों और विश्वविद्यालय प्रकोष्ठों को अनुदान सहायता प्रदान करता है।
- विद्यालय और विभागीय शब्दावलियों की पहचान और प्रकाशन करना : यह आयोग स्कूल और विभागीय स्तर पर आवश्यक शब्दावलियों की पहचान करता है और उनका प्रकाशन करता है।
- शब्दकोश और विश्वकोश तैयार करना : परिभाषात्मक शब्दकोश और विश्वकोश तैयार करने का कार्य भी इस आयोग की ही जिम्मेदारी है।
- पाठ्यपुस्तकें और पत्रिकाएँ तैयार कर प्रकाशित करना : इस आयोग द्वारा विश्वविद्यालय स्तर की पाठ्यपुस्तकें, मोनोग्राफ और पत्रिकाएँ तैयार करना और उसे प्रकाशित करना है।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित करना : इस आयोग द्वारा गढ़े गए नए शब्दों या परिभाषित शब्दों के लिए प्रचार – प्रसार करना और आलोचनात्मक समीक्षा के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित करने का कार्य भी शामिल है।
- राष्ट्रीय अनुवाद मिशन को शब्दावली उपलब्ध कराना : भारत में यह आयोग राष्ट्रीय अनुवाद मिशन को आवश्यक शब्दावली उपलब्ध कराता है।
वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) का बहुभाषी पोर्टल :
- वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) का बहुभाषी पोर्टल वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों के लिए एक केंद्रीय कोष के रूप में कार्य करता है।
- इस पोर्टल में वर्तमान में 22,00,000 शब्दों के साथ 322 शब्दावलियाँ उपलब्ध हैं, और इसे 450 शब्दावलियों तक विस्तारित करने की योजना पर कार्य चल रहा है।
- उपयोगकर्ता इस पोर्टल पर भाषा, विषय या शब्दकोश के आधार पर शब्दों की खोज कर सकते हैं और मौजूदा शब्दों पर अपनी प्रतिक्रिया भी प्रदान कर सकते हैं।
- यह पहल भारत में चिकित्सा, इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा प्रदान करने की व्यापक दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इस पोर्टल का उद्देश्य उच्च शिक्षा के लिए पठन-पाठन सामग्री को भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराना है, जिससे तकनीकी शिक्षा को और अधिक सुलभ, सहज और प्रभावी बनाया जा सके, जिससे भारत में ज्ञान का प्रसार और भी सुलभ और प्रभावशाली हो सकेगा।
आयोग के समक्ष उपन्न प्रमुख चुनौतियाँ :
भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) के समक्ष कई प्रमुख चुनौतियाँ हैं, जिनका समाधान करना आवश्यक है। ये चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- भाषाई विविधता : भारत में विभिन्न भाषाओं और बोलियों की विविधता है। वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली को सभी भाषाओं में समान रूप से विकसित करना एक बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य है। भारत के विभिन्न भाषाओं में समान शब्दावली का विकास करना और उसे मानकीकृत करना अत्यंत कठिन है।
- शब्दावली का अद्यतन और मानकीकरण : विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में निरंतर नवीनतम अनुसंधान और विकास के कारण, शब्दावली को नियमित रूप से अद्यतन करना आवश्यक होता है। यह सुनिश्चित करना कि शब्दावली वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखें, एक बड़ी चुनौतीपूर्ण है। भारत में इस आयोग के समक्ष मानकीकरण की प्रक्रिया में समय और संसाधनों की कमी भी एक बड़ी बाधा है।
- तकनीकी शब्दों का अनुवाद : कई तकनीकी शब्दों का सटीक अनुवाद करना मुश्किल होता है। कई बार अंग्रेजी के शब्दों का हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में सटीक अनुवाद नहीं मिल पाता, जिससे शब्दावली का विकास बाधित होता है।
- प्रचार और प्रसार करना : वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली का व्यापक प्रचार और प्रसार करना आवश्यक है। हालांकि, इसे सभी शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी विभागों और आम जनता तक पहुँचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
- संसाधनों की कमी : भारत में इस आयोग के समक्ष विभिन्न भाषाओं में शब्दावली के विकास और उसके प्रचार-प्रसार के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। इसमें वित्तीय संसाधन, विशेषज्ञों की कमी और तकनीकी संसाधनों की कमी शामिल है।
- भारत की सार्वभौमिकता और सांस्कृतिक बारीकियाँ : विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भों में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों की स्वीकार्यता और समझ में भिन्नता हो सकती है। आयोग को शब्दावली को स्थानीय सांस्कृतिक और सामाजिक संवेदनाओं के अनुरूप बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
- डिजिटल और तकनीकी विकास की गति एवं तकनीकी चुनौतियाँ : डिजिटल युग में, शब्दावली आयोग को नई तकनीकी परिदृश्यों और डिजिटल प्लेटफार्मों के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता होती है। डिजिटल डेटा प्रबंधन, शब्दावली के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण, और ऑनलाइन संसाधनों को प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। तकनीकी विकास की गति बहुत तेज है, और नई-नई तकनीकों के साथ नए शब्द भी आते रहते हैं। इन नए शब्दों का त्वरित अनुवाद और मानकीकरण करना इस आयोग के समक्ष एक चुनौती है।
- सहयोग और समन्वय की कमी : भारत में विभिन्न राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ समन्वय और सहयोग की कमी भी इस आयोग के समक्ष एक बड़ी चुनौती है, जिसमे सुधार के लिए सभी हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग आवश्यक है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग को निरंतर प्रयासरत रहना होगा और नई-नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी।
आगे की राह :
- डिजिटल रूप में विस्तार करना : बहुभाषी पोर्टल को और अधिक उपयोगकर्ता-मित्रवत बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग कर इसका और अधिक विस्तार किया जा सकता है।
- शैक्षिक संस्थानों के साथ सहयोग और साझेदारी : विभिन्न भाषा संस्थानों, विश्वविद्यालयों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ साझेदारी करके बहुभाषी पोर्टल पर शब्दावली को अद्यतित और मानकीकृत किया जा सकता है।
- नए विषयों का समावेश और नियमित अपडेट्स करना : विज्ञान और तकनीक के नए क्षेत्रों में भी शब्दावली का विकास किया जाए और बहुभाषी पोर्टल को नियमित रूप से अपडेट किया जाना चाहिए ताकि नई तकनीकी शब्दावली को भी इसमें शामिल किया जा सके।
- भाषा प्रशिक्षकों और विशेषज्ञों को शामिल किया जाना : बहुभाषी पोर्टल पर वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली को सही तरीके से अनुवादित करने के लिए भाषा प्रशिक्षकों और विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए।
- उपयोगकर्ताओं से फीडबैक प्राप्त करना : बहुभाषी पोर्टल उपयोगकर्ताओं से फीडबैक प्राप्त कर के पोर्टल की गुणवत्ता और उपयोगिता की पहुँच को सभी तक आसानी से और सरल तरीके से बढ़ाया जा सकता है।
निष्कर्ष :
- वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग का बहुभाषी पोर्टल भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके सफल कार्यान्वयन से न केवल भारतीय भाषाओं को मान्यता मिलेगी, बल्कि विभिन्न वर्गों के लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त बनाया जा सकेगा। इस पोर्टल के माध्यम से भारतीय भाषाओं को वैश्विक ज्ञान के साथ जोड़ा जा सकता है, जो भारतीय समाज की भाषा विविधता को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिसे इसके माध्यम से भाषा की बाधाओं को दूर कर उच्च शिक्षा और शोध को और अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया जा सकता है।
स्रोत- द हिंदू एवं पीआईबी।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसकी स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के खंड (4) के तहत की गई थी।
- भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में मैथिली और डोंगरी को मिलाकर कुल 24 आधिकारिक भारतीय भाषा शामिल है।
- इस आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- बहुभाषी पोर्टल वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों के लिए एक केंद्रीय कोष के रूप में कार्य करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने कथन सही है ?
A. केवल एक
B. केवल दो
C. केवल तीन
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – C
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. “2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रि भाषा सूत्र पर जोर दिया गया है। इसी के अनुरूप भारत सरकार ने भाषा की समस्या को दूर करने के लिए हाल ही में बहुभाषा पोर्टल लॉन्च किया है, लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है।” इस कथन को विस्तार से समझाइए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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