08 Jan सावित्रीबाई फुले जयंती 2025 : भारत में शिक्षा और समानता की क्रांति की अग्रदूत
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 1 के अंतर्गत ‘ भारतीय इतिहास महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, सामाजिक-सांस्कृतिक सुधार आंदोलन , सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले की विरासत ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय समाज में जाति और लिंग आधारित भेदभाव , सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले , डॉ. बी.आर. अम्बेडकर , महात्मा गांधी , सत्यशोधक समाज (द ट्रुथ-सीकर्स सोसाइटी) ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 3 जनवरी, 2025 को सावित्रीबाई फुले को उनकी 193वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले, जो 19वीं सदी के प्रमुख समाज सुधारक थे, भारत के सामाजिक और शैक्षिक इतिहास में एक विशेष स्थान रखते हैं।
- इन दोनों ने तत्कालीन भारतीय समाज में महिला शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और जातिवाद तथा लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया था।
- सावित्रीबाई को भारत में महिला शिक्षा एवं महिला सशक्तिकरण के दिशा में कार्य करने के लिए तत्कालीन पारंपरिक भारतीय समाज के विरोध का सामना करना पड़ा, जिसमें पत्थरबाजी और दुर्व्यवहार जैसी कठिनाइयाँ भी शामिल थीं।
सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले :
- भारत में वर्ष 1840 में, जब बाल विवाह सामान्य रूप से प्रचलित और सर्वमान्य था, उस समय मात्र 10 साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह ज्योतिराव से हुआ, जो उस समय 13 वर्ष के थे।
- बाद के समय में इस युगल जोड़ी ने बाल विवाह का विरोध किया और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।
ज्योतिराव फुले का जीवनवृत्त :
- ज्योतिराव फुले एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक, विचारक और लेखक थे। वे जातिवाद और समाज में असमानता के खिलाफ थे, और उन्हें ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है।
- शिक्षा : वर्ष 1841 में, फुले ने पुणे के स्कॉटिश मिशनरी हाई स्कूल में दाखिला लिया और वहीं अपनी शिक्षा पूरी की।
- विचारधारा : उनकी सोच स्वतंत्रता, समानता और समाजवाद पर आधारित थी। वे थॉमस पाइन की किताब ‘द राइट्स ऑफ मैन’ से प्रेरित थे, और मानते थे कि सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए महिलाओं और निचली जातियों को शिक्षा देना जरूरी है।
- प्रमुख कार्य : फुले ने 1855 में ‘तृतीया रत्न’ और 1873 में ‘गुलामगिरि’ जैसे महत्वपूर्ण कार्य लिखे। उन्हें 1888 में ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई।
समाज सुधार की दिशा में किया गया कार्य :
- सन 1848 में, उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को पढ़ाना शुरू किया और फिर दोनों ने पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्वदेशी स्कूल खोला।
- ज्योतिराव फुले ने विधवाओं के लिए आश्रम बनाए और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।
- वे लैंगिक समानता में विश्वास करते थे और अपनी सभी समाज सुधार गतिविधियों में अपनी पत्नी को शामिल करते थे। फुले ने 1852 तक तीन स्कूल खोले, लेकिन 1858 तक इन्हें बंद कर दिया गया।
- ज्योतिराव ने उच्च जातियों की रूढ़िवादी सोच का विरोध किया और 1868 में सभी जातियों के लिए सामूहिक स्नानागार का निर्माण किया। उन्होंने समानता की भावना को बढ़ावा देने के लिए सभी जातियों के साथ भोजन भी किया।
- उनकी जागरूकता अभियान ने डॉ. बी.आर. आंबेडकर और महात्मा गांधी को प्रभावित किया, जिन्होंने जातिवाद के खिलाफ बड़ा कदम उठाया।
- ज्योतिराव फुले ने ही भारत में सबसे पहली बार ‘दलित’ शब्द का प्रयोग किया, भारतीय समाज में जो जातिवाद से पीड़ित लोगों/ वर्गों को दर्शाता है।
सावित्रीबाई फुले का जीवनवृत्त :
- जन्म : सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हाशिए पर रहने वाले माली समुदाय में हुआ। उनका विवाह ज्योतिराव फुले से हुआ, जिन्होंने उनकी शिक्षा का जिम्मा लिया।
- शिक्षा : सावित्रीबाई ने अहमदनगर में अमेरिकी मिशनरी सिंथिया फरार के साथ और पुणे के नॉर्मल स्कूल में दो शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में दाखिला लिया।
- महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य : 1852 में, सावित्रीबाई ने ‘महिला सेवा मंडल’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना था। उन्होंने एक महिला सभा आयोजित की, जिसमें सभी जातियों के लोगों को आमंत्रित किया गया और उन्हें एक साथ मंच पर बैठने के लिए प्रेरित किया।
- साहित्यिक योगदान : उन्होंने 1854 में ‘काव्या फुले’ और 1892 में ‘बावन काशी सुबोध रत्नाकर’ प्रकाशित की। अपनी कविता ‘गो, गेट एजुकेशन’ में उन्होंने उत्पीड़ित समुदायों को शिक्षा प्राप्त करने और उत्पीड़न से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित किया।
- समाज सुधार की दिशा में किया गया प्रमुख कार्य : उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। 1873 में उन्होंने पहला सत्यशोधक विवाह आयोजित किया, जिसमें दहेज, ब्राह्मण पुजारी या ब्राह्मणवादी रीति-रिवाजों का पालन नहीं किया गया।
सावित्रीबाई फुले की विरासत :
- सन 1848 में, फुले दंपत्ति ने पुणे में लड़कियों, शूद्रों और अति-शूद्रों के लिए एक स्कूल खोला। 1850 के दशक में, उन्होंने नेटिव फीमेल स्कूल (पुणे) और ‘द सोसाइटी फॉर प्रोमोटिंग द एजुकेशन ऑफ महार’ नामक शैक्षिक ट्रस्ट की स्थापना की, जिसमें कई स्कूल शामिल थे। सन 1853 में, उन्होंने गर्भवती विधवाओं के लिए सुरक्षित प्रसव केंद्र खोला और शिशुहत्या की प्रथा को समाप्त करने के लिए काम किया।
- लैंगिक मुद्दों पर काम : 1863 में, ज्योतिराव और सावित्रीबाई ने बालहत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की, जो कन्या भ्रूण हत्या और गर्भवती ब्राह्मण विधवाओं की मदद करने के लिए था। यह भारत का पहला गृह था।
- सत्यशोधक समाज : 24 सितंबर, 1873 को, उन्होंने और उनके पति ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इसका उद्देश्य समाज में सामाजिक परिवर्तनों को बढ़ावा देना और प्रचलित परंपराओं, जैसे बाल विवाह, दहेज, अंतर-जातीय विवाह, विधवा पुनर्विवाह आदि का उन्मूलन करना था। सत्यशोधक समाज का मुख्य उद्देश्य निचली जातियों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को शिक्षा देना और समाज की शोषक परंपराओं से अवगत कराना था।
- सामाजिक योगदान : 19वीं सदी के समाज सुधारक ज्योतिराव फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगिरी में सामाजिक उत्पीड़न की आलोचना की और समानता और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 08th Jan 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले द्वारा स्थापित सत्यशोधक समाज का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- सभी जातियों को समान शिक्षा प्रदान करना
- बाल विवाह, दहेज और जातिवाद जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करना
- केवल उच्च जातियों की भलाई के लिए काम करना
- समाज में अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना
उपर्युक्त में से कितने कथन सही है ?
A. केवल एक
B. केवल दो
C. केवल तीन
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – C
व्याख्या:
- सभी जातियों को समान शिक्षा प्रदान करना, बाल विवाह, दहेज और जातिवाद जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करना और समाज में अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना।
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले द्वारा 19वीं सदी के भारतीय समाज में महिला शिक्षा, महिला – सशक्तिकरण, जातिवाद और लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ किए गए संघर्षों के प्रमुख पहलुओं की व्याख्या करते हुए यह बताएं कि उनके योगदानों ने तत्कालीन भारतीय समाज को कैसे प्रभावित किया और उनके विचारों ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर और महात्मा गांधी को किस प्रकार प्रभावित किया? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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