18 Jul अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के 132वें सत्र में भारत की भागीदारी
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हित्तों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय , अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन , भारत का विज़न 2030 , अमृत काल विज़न 2047 ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के 132वें सत्र में भारत की भागीदारी ’ खंड से संबंधित है। )
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में भारतीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने लंदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization – IMO) की परिषद के 132वें सत्र में भाग लिया है।
- लंदन में आयोजित यह सत्र समुद्री परिचालनों में मानवीय तत्त्वों के समाधान जैसे ज्वलंत मुद्दे को प्रभावित करने वाले जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया था।
- भारत, जो अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार और परिचालन में बड़ी रुचि रखता है, ने IMO परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में नाविकों के परित्याग जैसे ज्वलंत मुद्दे पर जोर दिया। नाविक वे लोग होते हैं जो जहाजों पर काम करते हैं या जो समुद्र में नियमित रूप से यात्रा करते हैं।
- इसके अलावा, भारत ने संयुक्त त्रिपक्षीय कार्य समूह में IMO का प्रतिनिधित्व करने वाली आठ सरकारों में से एक के रूप में अपनी जगह सुनिश्चित की है, जो नाविकों के मुद्दों और समुद्री परिचालनों में मानवीय तत्व के समाधान के लिए समर्पित है।
- हाल ही में भारतीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने समुद्री अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के 132वें सत्र का प्रमुख निर्णय और प्रस्ताव :
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के अन्य प्रस्तावित सदस्य देशों में फिलीपींस, थाईलैंड, लाइबेरिया, पनामा, ग्रीस, अमेरिका और फ्रांस शामिल हैं।
- लाल सागर, अदन की खाड़ी तथा आस-पास के क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार और परिचालन में व्यवधानों से संबंधित चिंताओं पर भी विचार किया गया, जिससे शिपिंग और व्यापार लॉजिस्टिक्स पर प्रभाव पड़ रहा है।
- भारत ने सतत् समुद्री परिवहन के लिए दक्षिण एशियाई उत्कृष्टता केंद्र (SACE-SMarT) के लिए अपना प्रस्ताव दोहराया।
- इस क्षेत्रीय केंद्र का उद्देश्य भारत और दक्षिण एशिया में समुद्री क्षेत्र को तकनीकी रूप से उन्नत, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और डिजिटल रूप से कुशल उद्योग में बदलना है।
- यह केंद्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण और डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन :
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है जो वैश्विक शिपिंग को विनियमित करने और जहाजों के कारण होने वाले समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए जिम्मेदार है1।
- IMO की स्थापना 1948 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के बाद हुई थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर यह 1958 में अस्तित्व में आया था।
- इसमें 175 सदस्य देश है और तीन सहयोगी सदस्य देश हैं।
- इसका मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड किंगडम में स्थित है।
- भारत ने 1959 में IMO में शामिल होने का निर्णय लिया था और इसमें शामिल हुआ था।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की भूमिका :
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) एक महत्वपूर्ण संगठन है जो समुद्री परिवहन के क्षेत्र में नियामक और नेतृत्व की भूमिका निभाता है। यह संगठन विश्वभर में समुद्री सुरक्षा, जलयान और जलमार्गों के विकास के लिए मान्यता प्राप्त है।
IMO की मुख्य भूमिका निम्नलिखित है –
- समुद्री परिवहन उद्योग के लिए निष्पक्ष और प्रभावी नियामक ढाँचा तैयार करना : IMO का मुख्य उद्देश्य समुद्री परिवहन उद्योग के लिए निष्पक्ष और प्रभावी नियामक ढाँचा तैयार करना है। यह ढाँचा विभिन्न देशों के बीच समुद्री सुरक्षा, जलयान और जलमार्गों के नियमों को समायोजित करने में मदद करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुगमता और सुरक्षित बनाना : IMO द्वारा निर्धारित नियम और मानकों के अनुसार, समुद्री यातायात को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए काम किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री दिवस का आयोजन करना : IMO हर साल सितंबर के प्रत्येक अंतिम गुरुवार को विश्व समुद्री दिवस मनाता है, जिसका उद्देश्य समुद्री गतिविधियों के महत्व को उजागर करना है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की संरचना और कार्य :
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) एक विशिष्ट एजेंसी है जो संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत जलयानों के यातायात को नियंत्रित करने के लिए अधिकृत है।
- इसे 1982 तक “अंतर-सरकारी समुद्री सलाहकारी संगठन” (Maritime Consultative Organization / IMCO) कहा जाता था।
- IMO की सदस्यों की सभा (Assembly) द्वारा शासित होती है, जिसकी बैठक द्विवार्षिक रूप से होती है और जिसमें 40 सदस्यों की एक परिषद होती है।
- इस परिषद को दो वर्ष की अवधि के लिए विधानसभा द्वारा चुना जाता है।
- IMO की सर्वोच्च शासी निकाय असेंबली है, जो संगठन के कार्य की निगरानी के लिए जिम्मेदार है।
- यह समुद्री सुरक्षा और प्रदूषण की रोकथाम के मामले में सरकारों को सिफारिशें करने के अलावा असेंबली के कार्यों का निष्पादन करती है।
- IMO के कार्य पांच समितियों और विभिन्न उपसमितियों के माध्यम से संचालित होते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, प्रस्तावों और दिशा-निर्देशों के विकास और उनके अनुपालन के लिए जिम्मेदार होती हैं।
भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) :
- भारत समुद्री मामलों के प्रति अपनी निरंतर प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए IMO (International Maritime Organization) परिषद की श्रेणी-बी में बना हुआ है।
- IMO के साथ भारत का सक्रिय जुड़ाव देश की समुद्री क्षमताओं और वैश्विक समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत का विज़न 2030 :
- भारत के विज़न 2030 का एक प्रमुख लक्ष्य IMO में अपने प्रतिनिधित्व को बढ़ाना है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए IMO लंदन में स्थायी प्रतिनिधियों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। यह कदम अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नियमों और मानकों को आकार देने में भारत की भूमिका को मजबूत करेगा और वैश्विक समुद्री सुरक्षा में भारत के योगदान को बढ़ाएगा।
अमृत काल विज़न 2047 :
- अमृत काल विज़न 2047 भारत की वैश्विक समुद्री उपस्थिति को मजबूत करने के लिए एक व्यापक रणनीति की रूपरेखा तैयार करता है।
- भारत का यह दृष्टिकोण भारत के समुद्री हितों की रक्षा और वैश्विक समुद्री परिवहन में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए कई पहलुओं को शामिल करता है।
भारत द्वारा प्रारंभ की गई प्रमुख पहलें :
- समर्पित IMO सेल की स्थापना करना : एक विशेष IMO सेल की स्थापना की जाएगी, जो IMO के साथ सभी संचार और समन्वय का प्रबंधन करेगी। यह सेल भारत की समुद्री नीतियों और IMO के नियमों के बीच तालमेल सुनिश्चित करेगा।
- IMO मुख्यालय में स्थायी प्रतिनिधि की नियुक्ति : IMO मुख्यालय में एक स्थायी प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाएगी, जो भारत की ओर से IMO में प्रतिनिधित्व करेगा और सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगा।
- BIMSTEC मास्टर प्लान का कार्यान्वयन : बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) मास्टर प्लान को लागू किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री सहयोग को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और आर्थिक विकास में योगदान देना है।
निष्कर्ष :
- भारत की IMO के साथ जुड़ाव और उपरोक्त पहलों का कार्यान्वयन देश की समुद्री क्षमताओं को बढ़ावा देगा और वैश्विक समुद्री परिवहन में भारत की भूमिका को और अधिक महत्वपूर्ण बनाएगा।
- भारत की यह रणनीति न केवल राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री परिचालन से जुड़े विभिन्न हित्तधारकों और वैश्विक समुदायों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
Download plutus ias current affairs Hindi med 18th July 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसमें 40 सदस्यों की एक परिषद होती है।
- इसका मुख्यालय लंदन में स्थित है।
- IMO का मुख्य उद्देश्य समुद्री परिवहन उद्योग के लिए निष्पक्ष और प्रभावी नियामक ढाँचा तैयार करना है।
- भारत इसमें सन 1959 शामिल हुआ था।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1 . अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन की संरचना और कार्यों का वर्णन करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत का इससे सक्रिय रूप से जुड़ाव भारत की समुद्री क्षमताओं और वैश्विक समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए किस प्रकार अत्यंत महत्वपूर्ण है ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत कीजिए। ( UPSC – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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