27 May भारत में 46वीं ‘अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक ‘ (ATCM 46) तथा ‘ पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक ‘ (CEP 26) का आयोजन
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के ‘ महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान और संगठन ’, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक, पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं (CEP 26) बैठक ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत में 46वीं ‘अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक ‘ (ATCM 46) तथा ‘ पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक ‘ (CEP 26) का आयोजन ’ से संबंधित है। )
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के केरल के कोच्चि में 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (ATCM 46) और पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक (CEP 26) का 20-30 मई, 2024 के दौरान आयोजित की जा रही है।
- यह बैठक विश्व स्तर पर अंटार्कटिका में पर्यावरणीय प्रबंधन और वैज्ञानिक सहयोग पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
- इस बैठक का आयोजन भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत गोवा स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) द्वारा किया जा रहा है।
- अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक को ‘ अंटार्कटिक संसद ’ के रूप में भी जाना जाता है।
अंटार्कटिक संधि क्या है ?
अंटार्कटिक संधि, जिसे शीत युद्ध के चरम काल में 1 दिसंबर 1959 को वाशिंगटन डी.सी. में 12 देशों ने हस्ताक्षरित किया था, यह एक महत्वपूर्ण संधि और एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो इस संधि के मूल हस्ताक्षरकर्ता देशों पर सन 1961 से ही प्रभावी या लागू है।
इस संधि के मूल हस्ताक्षरकर्ता देश निम्नलिखित हैं –
- अर्जेंटीना
- ऑस्ट्रेलिया
- बेल्जियम
- चिली
- फ्रांस
- जापान
- न्यूजीलैंड
- नॉर्वे
- दक्षिण अफ्रीका
- यू.एस.एस.आर.
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- इस संधि का उद्देश्य अंटार्कटिका महाद्वीप के शांतिपूर्ण उपयोग और वैज्ञानिक अन्वेषण को सुनिश्चित करना है।
- भारत ने 1983 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए और उसी वर्ष भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र ‘दक्षिण गंगोत्री’ की स्थापना की गई।
- वर्तमान में, इस संधि के 56 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत भी शामिल है, जो एक सलाहकार सदस्य के रूप में कार्य करता है।
- अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (ATCM) का मुख्य उद्देश्य अंटार्कटिका के संरक्षण, वैज्ञानिक अन्वेषण, और शांतिपूर्ण उपयोग के लिए वैश्विक संवाद की सुविधा प्रदान करना है।
- भारत ने अंतिम बार 2007 में नई दिल्ली में ATCM की मेजबानी की थी।
- यह बैठक कानून, रसद, शासन, विज्ञान, पर्यटन, और दक्षिणी महाद्वीप के अन्य पहलुओं पर चर्चा करने का एक मंच प्रदान करती है।
अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक में भारत का मुख्य एजेंडा :
अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक में भारत का मुख्य एजेंडा निम्नलिखित है –
- शांतिपूर्ण शासन की प्राथमिकता : भारत अंटार्कटिका में शांतिपूर्ण शासन के महत्व को उजागर करेगा, यह बताते हुए कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों को महाद्वीप की सुरक्षा और संसाधनों पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
- पर्यटन पर नियंत्रण : एक नए कार्य समूह के माध्यम से, भारत अंटार्कटिका में पर्यटन को विनियमित करने की दिशा में कार्य करेगा, जिसमें नीदरलैंड, नॉर्वे और अन्य यूरोपीय देश भी शामिल होंगे।
- नए अनुसंधान स्टेशन की स्थापना : भारत द्वारा आयोजित अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक के कोच्चि बैठक में, भारत ‘मैत्री II’ नामक नए अनुसंधान स्टेशन के निर्माण की योजना प्रस्तुत करेगा, जिसके लिए ए.टी.सी.एम. की मंजूरी आवश्यक है।
- संसाधनों का सतत प्रबंधन : इस बैठक में अंटार्कटिका के संसाधनों के सतत प्रबंधन पर चर्चा होगी, जिसमें जैव विविधता पूर्वेक्षण, सूचना और डेटा का आदान-प्रदान, अनुसंधान, सहयोग और क्षमता निर्माण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी शामिल किया गया हैं।
अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक की प्रमुख विशेषताएँ :
अंटार्कटिक संधि ने अंटार्कटिका को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में स्थापित किया है जो वैश्विक भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से अलग और सबसे बहुत दूर है, जिसे ‘नो मैन्स लैंड’ कहा जाता है। इस संधि की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
- शांतिपूर्ण उद्देश्य : अंटार्कटिका का इस्तेमाल केवल शांतिपूर्ण गतिविधियों के लिए होगा, अंटार्कटिका महाद्वीप के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का सैन्यीकरण या किलेबंदी की अनुमति नहीं होगी।
- वैज्ञानिक स्वतंत्रता : अंटार्कटिका महाद्वीप में अंटार्कटिक संधि से जुड़े सभी हस्ताक्षरकर्ता देशों को वैज्ञानिक अनुसंधान की स्वतंत्रता होगी।
- सहयोग और डेटा साझाकरण : अंटार्कटिक संधि से जुड़े सभी हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देशों को वैज्ञानिक कार्यक्रमों के लिए योजनाएं साझा करनी चाहिए और एकत्रित डेटा को स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।
- परमाणु प्रतिबंध : अंटार्कटिक संधि के तहत अंटार्कटिका महाद्वीप में किसी भी प्रकार के परमाणु परीक्षण या रेडियोधर्मी अपशिष्ट का निपटान प्रतिबंधित है।
- शासन का आधार : अंटार्कटिक संधि के तहत अंटार्कटिका महाद्वीप में सभी शासन और गतिविधियों के लिए एक आधार प्रदान करती है, जो इस धरती पर पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है।
ये विशेषताएं अंटार्कटिका को एक अनूठा और संरक्षित क्षेत्र बनाती हैं, जहां विज्ञान और शांति का प्रचार होता है।
अंटार्कटिका में भारत की उपस्थिति :
अंटार्कटिक संधि में भारत की स्थिति और भूमिका : भारत सन 1983 से अंटार्कटिक संधि के एक प्रमुख सदस्य के रूप में, इस महाद्वीप के प्रबंधन और संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों में अपना मत देने का अधिकार रखता है।
इस संधि में शामिल 56 देशों में से 29 को सलाहकार दल का दर्जा प्राप्त है।
अंटार्कटिका महाद्वीप में भारतीय अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन :
- दक्षिणी गंगोत्री : भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन, जो 1983 में क्वीन मौड लैंड में स्थापित किया गया था और 1990 तक संचालित हुआ।
- मैत्री : सन 1989 में शिरमाचेर ओएसिस में स्थापित, यह स्टेशन अभी भी कार्यशील है और गर्मियों में 65 और सर्दियों में 25 लोगों को आवास प्रदान करता है।
- भारती : सन 2012 में प्रिड्ज़ खाड़ी तट पर स्थापित, यह स्टेशन समुद्र विज्ञान और भूवैज्ञानिक अध्ययन पर केंद्रित है और इसरो द्वारा भी उपयोग में लाया जाता है।
- मैत्री II : भारत अपने ही पुराने मैत्री स्टेशन के निकट एक नया स्टेशन, मैत्री II का निर्माण कर रहा है, जिसके 2029 तक संचालित होने की संभावना है।
- अंटार्कटिक अधिनियम 2022 : वर्ष 2022 में भारत ने अंटार्कटिक संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए अंटार्कटिक अधिनियम को अंगीकार किया, जिससे इस क्षेत्र में भारत की वैज्ञानिक और पर्यावरणीय भूमिका को और अधिक सुदृढ़ किया गया।
इस प्रकार, भारत अंटार्कटिका में अपनी वैज्ञानिक उपस्थिति और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को निरंतर मजबूत कर रहा है।
समाधान / भविष्य की राह :
अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (ATCM) और पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP) की बैठकों का भविष्य और आगे की राह निम्नलखित है –
- भारत ने मई 2024 में 46वीं ATCM और 26वीं CEP की मेजबानी की, जो केरल के कोच्चि में आयोजित की गई थी1।
- इस बैठक में अंटार्कटिका के संरक्षण के प्रयासों में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाया गया और यह भारत के एक जिम्मेदार वैश्विक हितधारक के रूप में उभरने का प्रतीक है।
- इस बैठक के एजेंडे में अंटार्कटिका में अनियमित पर्यटन का विरोध और इसे नियंत्रित करने के लिए एक नियामक ढांचे की शुरुआत करने का प्रस्ताव शामिल था।
- अंटार्कटिका की अपनी कोई स्वदेशी आबादी नहीं है और इसकी अबाधित बर्फ और भौगोलिक अलगाव इसे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाते हैं2। इसलिए, इस बैठक में पर्यटन को नियंत्रित करने और अंटार्कटिका की अनूठी जैव विविधता को संरक्षित करने के उपायों पर भी चर्चा की गई।
- भारत 1983 से अंटार्कटिक संधि का एक सलाहकार दल रहा है और इस बैठक की मेजबानी ने भारत की इस भूमिका को और भी मजबूत किया है।
- भारत और अंटार्कटिक संधि में शामिल अन्य देशों को भी भविष्य में अंटार्कटिका की शुद्धता और इसके रहस्यों को संरक्षित करने के लिए साझा प्रयास करने होंगे।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. अंटार्कटिक संधि के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भारत सन 1983 से अंटार्कटिक संधि के एक प्रमुख सदस्य और एक सलाहकार पक्ष के रूप में, भारत के पास मतदान का अधिकार है और वह अंटार्कटिक शासन से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेता है।
- अंटार्कटिक संधि, अंटार्कटिका महाद्वीप पर किसी भी प्रकार के सैन्य गतिविधियों और किलेबंदी पर प्रतिबंध लगाती है।
- अंटार्कटिक संधि के तहत अंटार्कटिका के निर्दिष्ट क्षेत्रों में परमाणु परीक्षण और रेडियोधर्मी अपशिष्ट पदार्थों के निपटान की अनुमति है।
- अंटार्कटिक संधि के तहत परामर्शदात्री दल वे राष्ट्र हैं जिनके पास अंटार्कटिक संधि प्रणाली के अंतर्गत पूर्ण मतदान अधिकार और निर्णय लेने की शक्तियां हैं।
उपर्युक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल एक
B. केवल दो
C. केवल तीन
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – C
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. अंटार्कटिक संधि क्या है और उसके प्रमुख प्रावधानों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि बढ़ते वैश्विक भू-तापन के फलस्वरूप अंटार्कटिक महाद्वीप के ग्लेशियरों का पिघलना और आर्कटिक की बर्फ किस प्रकार पृथ्वी पर मौसम और जलवायु के स्वरूपों और मनुष्य की गतिविधियों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालते हैं? तर्कसंगत मत प्रस्तुत कीजिए। ( UPSC CSE – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक -15)
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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