राष्ट्रीय पोषण माह 2024

राष्ट्रीय पोषण माह 2024

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ जनसंख्या और उससे संबंधित मुद्दे , गरीबी और भूख से संबंधित मुद्दे , बच्चों से संबंधित मुद्दे और उसका समाधान , सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय , राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम , विश्व स्वास्थ्य संगठन , कुपोषण , एनीमिया , राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 ’ खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने मध्य प्रदेश के धार जिले में 1 सितम्बर 2024 को राष्ट्रीय पोषण माह 2024 का शुभारंभ किया। 
  • यह अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ आहार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है।
  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पोषण ट्रैकर पहल के लिए ई-गवर्नेंस 2024 (स्वर्ण) का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। 
  • यह पुरस्कार भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के डिजिटल पहल और इसके द्वारा पोषण से संबंधित आंकड़ों के ट्रैकिंग, डेटा के प्रबंधन और निगरानी में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए प्रदान किया गया है। अतः यह दोनों ही घटनाएँ भारत में इस मंत्रालय की सक्रियता और कुपोषण के खिलाफ उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

 

राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम : 

  • राष्ट्रीय पोषण माह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित होने वाला एक वार्षिक अभियान है। 
  • इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत में कुपोषण को समाप्त करना और बेहतर पोषण एवं स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना है। 
  • यह अभियान प्रत्येक वर्ष सितंबर के महीने में 01 सितम्बर से 30 सितम्बर तक मनाया जाता है।

 

राष्ट्रीय पोषण माह 2024 :

  • राष्ट्रीय पोषण माह 2024 का आयोजन 01 से 30 सितंबर तक किया जाएगा। इस वर्ष के मुख्य विषय निम्नलिखित हैं – 
  • एनीमिया
  • विकास निगरानी
  • पूरक आहार
  • पोषण भी पढ़ाई भी
  • बेहतर प्रशासन हेतु प्रौद्योगिकी
  • “एक पेड़ माँ के नाम” (वृक्षारोपण अभियान)

 

पोषण अभियान :

  • भारत में पोषण अभियान कार्यक्रम को मार्च 2018 में किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 वर्ष तक के बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने और कुपोषण को दूर करने के लिए शुरू किया गया था। 
  • इसका कार्यान्वयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है। 

 

पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य :

  • भारत में पोषण अभियान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पोषण के विषय में जागरूकता बढ़ाना, आहार पद्धतियों में सुधार करना, और बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं सहित कमजोर समूहों के बीच कुपोषण से निपटना है। 
  • यह कार्यक्रम / अभियान  ‘सुपोषित भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।

 

पोषण अभियान के तहत आयोजित होने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ :

इस अभियान के दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ और जन जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित किया  जाता है। उदाहरण के लिए – 

  • वृक्षारोपण अभियान।
  • पोषक तत्त्वों का वितरण। 
  • सामुदायिक पहुँच कार्यक्रमों का आयोजन करना। 
  • पोषण अभियान से संबंधित विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों का आयोजन करना।
  • जन – जागरूकता अभियानों के तहत विभिन्न प्रकार की शैक्षिक सत्र का आयोजन करना।

 

राष्ट्रीय पोषण माह 2024 का प्रमुख लक्ष्य :

 

 

राष्ट्रीय पोषण माह 2024 का प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित है – 

  • इस कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य पूरे भारत में स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) तथा जन्म के समय वजन में कमी को क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रतिवर्ष कम करना है।
  • इस योजना के तहत भारत में 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों में स्टंटिंग और कम वजन की समस्या को कम करना है।
  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस कार्यक्रम के तहत पूरे भारत में छोटे बच्चों (6-59 महीने) तथा 15-49 वर्ष की महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की व्यापकता को कम करना है।

 

पोषण अभियान के मुख्य घटक :

पोषण अभियान के मुख्य घटक निम्नलिखित है – 

ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण दिवस (VHSND) : यह कार्यक्रम लक्ष्य निर्धारण, क्षेत्रीय बैठकों और विकेंद्रीकृत योजना के माध्यम से समन्वय को बढ़ावा देता है।

एकीकृत बाल विकास सेवाएँ-सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (ICDS-CAS) : यह सॉफ्टवेयर और विकास निगरानी उपकरणों का उपयोग करके पोषण संबंधी स्थिति पर नज़र रखता है।

पोषण ट्रैकर :

  • यह एक मोबाइल ऐप है जो भारत में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण पर निगरानी रखता है।
  • यह आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं (AWW) के लिए एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में कार्य करता है, जो उनके हस्तक्षेपों की प्रगति और प्रभाव को दर्शाता है और वास्तविक समय में निगरानी की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह एक इंटरएक्टिव टूल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के आधार पर बच्चे के विकास को मापता है और प्राप्त डेटा के आधार पर सुधारात्मक कार्रवाई के सुझाव प्रदान करता है।

इस कार्यक्रम के तहत लाभार्थी समूहों का पंजीकरण करना : 

राष्ट्रीय पोषण आहार योजना के तहत आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता निम्नलिखित 6 प्रकार के लाभार्थियों को पंजीकृत कर सकते हैं – 

  • गर्भवती महिलाएँ।
  • स्तनपान कराने वाली माताएँ।
  • 0-6 माह के बच्चे।
  • 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे।
  • 3-6 वर्ष के बच्चे।
  • आकांक्षी जिलों के लिए विशेष रूप से 14-18 वर्ष तक की किशोरियाँ।

 

एनीमिया :

  • एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से कम होती है या इन कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की सांद्रता कम हो जाती है। 
  • हीमोग्लोबिन, जो कि लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रमुख प्रोटीन है, शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुँचाने का कार्य करता है। 
  • एनीमिया के कारण शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन का प्रवाह प्रभावित होता है, जिससे थकान, कमजोरी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

 

एनीमिया होने का मुख्य कारण :

  • एनीमिया के प्रमुख कारणों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी विशेष रूप से आयरन, फोलेट, विटामिन B12, और विटामिन A शामिल हैं। इन पोषक तत्वों का अपर्याप्त सेवन या उनके अवशोषण में कमी एनीमिया का मुख्य कारण बनती है।

 

एनीमिया का वैश्विक स्तर पर प्रसार :

  • वैश्विक स्तर पर, लगभग 6-59 महीने की आयु के 40% बच्चे और लगभग 37% गर्भवती महिलाएँ एनीमिया से प्रभावित हैं। यह आंकड़े एनीमिया की व्यापकता को दर्शाते हैं और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव को स्पष्ट करते हैं।

 

भारत में एनीमिया के प्रसार की वर्तमान स्थिति :

भारत में एनीमिया की व्यापकता गंभीर चिंता का विषय है। भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (वर्ष 2019-21) के अनुसार:

  • भारत में यह किशोर लड़कों (15-19 वर्ष की आयु वर्ग में) में एनीमिया की दर 31.1% है ।
  • किशोर लड़कियों में यह दर 59.1% है।
  • गर्भवती महिलाओं (15-49 वर्ष) में एनीमिया की दर 52.2% है।
  • 6-59 महीने की आयु के बच्चों में एनीमिया की दर 67.1% है। भारत में एनीमिया के ये आंकड़े व्यापक प्रभाव और इसके सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को स्पष्ट करते हैं। एनीमिया की रोकथाम और उपचार के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा, और नियमित स्वास्थ्य जांच शामिल हैं।

 

आगे की राह : 

 

  • सतत निगरानी और मूल्यांकन किया जाना : इस अभियान की प्रगति की सतत निगरानी और मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि लक्ष्यों को समय पर प्राप्त किया जा सके।
  • स्थानीय समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल करना सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना : राष्ट्रीय पोषण अभियान की सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्थानीय समुदायों को इस अभियान में सक्रिय रूप से शामिल करना आवश्यक है।
  • तकनीकी सहायता और नवाचारों का उपयोग किया जाना : पोषण संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए तकनीकी सहायता और नवाचारों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत : सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाना आवश्यक है ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पोषण संबंधी सेवाएँ पहुँचाई जा सकें।
  • राष्ट्रीय पोषण माह अभियान का उद्देश्य केवल कुपोषण को समाप्त करना नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण करना है। इस दिशा में निरंतर प्रयास और सामूहिक भागीदारी से ही हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

 

स्रोत: पी.आई.बी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q. 1.राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित होने वाला एक वार्षिक अभियान है।
  2. यह अभियान प्रत्येक वर्ष सितंबर के महीने में 01 सितम्बर से 30 सितम्बर तक मनाया जाता है।
  3. भारत में पोषण अभियान कार्यक्रम को वर्ष 2018 में शुरू किया गया था।
  4. राष्ट्रीय पोषण माह 2024 का मुख्य विषय है – पोषण भी पढ़ाई भी और एक पेड़ माँ के नाम। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं 

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – D. 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. राष्ट्रीय पोषण माह 2024 एनीमिया के मामलों को कम करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किया गया एक जन जागरूकता अभियान है, लेकिन भारत में वर्ष 2030 तक ‘ एनीमिया मुक्त भारत ’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी कौन – कौन से कार्य करने की आवश्यकता है ? तर्कसंगत रूप से स्पष्ट करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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