10 Jul विश्व ज़ूनोसिस दिवस 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली , भारत का स्वास्थ्य एवं रक्षा प्रौद्योगिकी , वैज्ञानिक खोज और नवाचार ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग, लुई पाश्चर , जूनोटिक और गैर – जूनोटिक रोग ,सार्वजनिक स्वास्थ्य , स्वच्छता और पशुपालन प्रथाएँ , वन हेल्थ दृष्टिकोण , वेक्टर नियंत्रण ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ विश्व ज़ूनोसिस दिवस 2024 ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग ने विश्व ज़ूनोसिस दिवस के उपलक्ष्य में एक इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया।
- इस सत्र की अध्यक्षता केन्द्रीय पशुपालन तथा डेयरी विभाग के सचिव (AHD) ने की।
विश्व जूनोसिस दिवस :
- विश्व जूनोसिस दिवस को हर साल 6 जुलाई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाले जूनोसिस रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
- इस दिन को विशेष रूप से फ्रांसीसी जीवविज्ञानी लुई पाश्चर की उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए भी मनाया जाता है, जिन्होंने 1885 में रेबीज का पहला सफल टीका विकसित किया था।
- जूनोसिस रोग वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और परजीवी के कारण फैल सकते हैं, और इनमें रेबीज, एंथ्रेक्स, इन्फ्लूएंजा, निपाह, कोविड-19, ब्रुसेलोसिस और तपेदिक जैसे रोग शामिल हैं।
जूनोटिक और गैर-जूनोटिक रोग :
जूनोटिक रोग :
- ज़ूनोसिस संक्रामक रोग हैं जो जानवरों एवं मनुष्यों के बीच स्थानांतरित हो सकते हैं, जैसे रेबीज़, एंथ्रेक्स, इन्फ्लूएंजा (H1N1 और H5N1), निपाह, कोविड-19, ब्रूसेलोसिस तथा तपेदिक।
- ये रोग विभिन्न रोगजनकों के कारण होते हैं, जिनमें जीवाणु, विषाणु, परजीवी, और कवक शामिल हैं। हालाँकि, सभी पशु रोग जूनोटिक नहीं होते हैं।
गैर-जूनोटिक रोग :
- कई बीमारियाँ मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा किए बिना पशुधन को प्रभावित करती हैं। ये गैर-जूनोटिक रोग प्रजाति-विशिष्ट हैं और मनुष्यों को संक्रमित नहीं कर सकते हैं। उदाहरणों में फुट एंड माउथ डिज़ीज, पेस्टे डेस पेटिट्स रूमिनैंट्स (PPR), लम्पी स्किन डिज़ीज, क्लासिकल स्वाइन फीवर, और रानीखेत रोग शामिल हैं
- सभी रोगों में से लगभग 60% ज़ूनोटिक हैं और 70% उभरते संक्रमण जानवरों से उत्पन्न होते हैं।
- भारत में वैश्विक पशुधन तथा मुर्गीपालन की संख्या क्रमशः 11% और 18% है। इसके अतिरिक्त, भारत विश्व स्तर पर दूध का सबसे बड़ा उत्पादक और अंडे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
जूनोटिक रोगों का प्रभाव :
जूनोटिक रोगों का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डाल सकता है। जो निम्नलिखित है –
- सार्वजनिक स्वास्थ्य : जूनोटिक रोगों के प्रसार के कारण रुग्णता और मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है। यह महामारी पैदा करने की क्षमता रखता है।
- आर्थिक : जूनोटिक रोगों से जुड़ी लागतें भी हो सकती हैं, जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल, पशु वध और व्यापार प्रतिबंधों से संबंधित।
- सामाजिक : जूनोटिक रोगों से जुड़ा भय और कलंक भी हो सकता है। इसके अलावा, आजीविका पर भी प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से कृषि और पशुपालन पर।
रोकथाम और नियंत्रण :
ज़ूनोटिक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं –
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टीकाकरण :
- गोजातीय बछड़ों के लिए ब्रुसेल्ला टीकाकरण के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है।
- रेबीज टीकाकरण के लिए भी राज्यों को सहायता (ASCAD) के तहत अभियान शुरू किया गया है।
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स्वच्छता और पशुपालन प्रथाएँ :
- रोगों के प्रसार को रोकने के लिए अच्छी स्वच्छता और उचित पशुपालन प्रथाओं को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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वेक्टर नियंत्रण :
- इसके तहत रोग फैलाने वाले वेक्टरों को नियंत्रित करने के उपाय किए जाते हैं और रोग फैलाने वाले वेक्टरों को नियंत्रित करने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
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एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण / वन हेल्थ दृष्टिकोण :
- इसके तहत मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को ध्यान में रखते हुए वन हेल्थ दृष्टिकोण के माध्यम से सहयोगात्मक प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
- इसके तहत पशु चिकित्सकों, चिकित्सा पेशेवरों और पर्यावरण वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है ताकि जूनोटिक रोगों का व्यापक रूप से समाधान किया जा सके।
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जनता को शिक्षित और जागरूक करना :
- जूनोटिक और गैर-जूनोटिक रोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने से अनुचित भय को कम किया जा सकता है और पशु स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति अधिक सूचित दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- जूनोसिस रोगों के प्रति जागरूकता और उनके नियंत्रण के लिए सार्वजनिक जागरूकता, स्वास्थ्य शिक्षा और प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम आवश्यक है।
इन उपायों के माध्यम से, जूनोटिक रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है और एक स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है।
स्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. विश्व ज़ूनोसिस दिवस के संबध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- जूनोसिस रोग जानवरों से मनुष्यों में फ़ैलाने वाला रोग है।
- जूनोसिस रोग के नियंत्रण के सार्वजनिक जागरूकता, स्वास्थ्य शिक्षा और प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम आवश्यक होता है।
- सभी पशु रोग जूनोटिक रोग नहीं होते हैं।
- जूनोटिक रोग से महामारी फैल सकता है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी ।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1.चर्चा कीजिए कि जूनोटिक बीमारियों से जुड़े जोखिमों को कम करने और सभी के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोगात्मक प्रयास और वन हेल्थ दृष्टिकोण क्यों आवश्यक हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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