अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस ( International Abhidhamma Day- IAD ) 2024

अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस ( International Abhidhamma Day- IAD ) 2024

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ प्राचीन भारत का इतिहास , भारतीय कला एवं संस्कृति , भारत के सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ महात्मा बुद्ध , अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस 2024 , भारत सरकार द्वारा पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्रदान करना , त्रिपिटक , विनय पिटक , सुत्त पिटक , अभिधम्म पिटक ’ खंड से संबंधित है।) 

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में 17 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन, में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस 2024 का आयोजन भारत के संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के संयुक्त सहयोग के द्वारा किया गया था।
  • भारत के प्रधानमंत्री ने 17 अक्टूबर को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस 2024 समारोह में भाग लिया और बुद्ध की शिक्षाओं के माध्यम से पूरे देश और दुनिया को शांति का संदेश दिया। 

 

अभिधम्म दिवस : 

  • अभिधम्म दिवस एक महत्वपूर्ण बौद्ध उत्सव है जो गौतम बुद्ध के तावतींसा स्वर्ग से उतरने की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने अभिधम्म की शिक्षा दी थी। 
  • यह पर्व बुद्ध के मानव जगत में वापस लौटने और अपने शिष्यों के साथ इन उन्नत शिक्षाओं को साझा करने का प्रतीक है।

 

अभिधम्म दिवस का ऐतिहासिक महत्व :

  • कहानियों के अनुसार, देवताओं और अपनी मां को अभिधम्म की शिक्षा देते हुए स्वर्ग में समय बिताने के बाद, भगवान बुद्ध उत्तर प्रदेश के संकासिया नामक स्थान पर पृथ्वी पर लौट आए।
  • इस महत्वपूर्ण घटना को चिह्नित करने के लिए अशोक का हाथी स्तंभ अभी भी इस स्थान पर खड़ा है। यह दिन बौद्ध वर्षावास, वासा के अंत के साथ भी मेल खाता है, यह वह समय है जब भिक्षु और भिक्षुणियाँ अपने आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक स्थान पर या मठों में रहते हैं।
  • परंपरा के अनुसार, ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने तीन महीने तावतींसा स्वर्ग में बिताए और अपनी मां माया को अभिधम्म की शिक्षा दी, जिनका निधन हो गया था और वहीं उनका पुनर्जन्म हुआ था। 

 

 

धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ :

  • अभिधम्म दिवस सातवें चंद्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और यह वस्सा काल के अंत का प्रतीक है। 
  • इसे बौद्ध धर्म के थेरवादी परंपरा को मानने वाले बौद्ध भक्त या थेरवादी बौद्ध देशों जैसे म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और श्रीलंका में भक्ति के साथ मनाया जाता है।
  • यह दिन बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जिसमें वे बुद्ध की शिक्षाओं को आत्मसात करते हैं और सामाजिक सेवा एवं आध्यात्मिक उन्नति में संलग्न होते हैं। 
  • इस दिन, बौद्ध धर्मावलंबी और बौद्ध भक्त विभिन्न धार्मिक प्रथाओं के लिए मंदिरों में एकत्रित होते हैं।

यह दिन बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए निम्नलिखित अवसर प्रदान करता है – 

  • बुद्ध की शिक्षाओं, विशेषकर अभिधम्म, जो बौद्ध मनोविज्ञान और दर्शन पर केंद्रित है, के प्रति अपनी समझ को गहरा करना।
  • उदारता, बुद्धिमत्ता और प्रेमपूर्ण दयालुता के गुणों को विकसित करना।
  • दान के कार्य करना, जैसे मठों, धर्मार्थ संगठनों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या धन दान करना।
  • भिक्षा देना : भिक्षुओं और भिक्षुणियों को भिक्षा प्रदान करना।
  • धर्मग्रंथों का पाठ : अभिधम्म पर उपदेश सुनना और ध्यान लगाना।

 

बौद्ध धर्म के ज्ञान को संरक्षित करने की कुंजी के रूप में पाली भाषा : 

  • पाली भाषा , जिसे हाल ही में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है, बौद्ध साहित्य के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाली का उपयोग बुद्ध के समय से उनके उपदेशों को संरक्षित करने के लिए किया गया है और यह बौद्ध ग्रंथों के त्रिपिटक या “त्रिगुण टोकरी” का मूल है।

 

त्रिपिटक में शामिल हैं :

  1. विनय पिटक : मठवासी नियमों का प्रमुख संकलन।
  2. सुत्त पिटक : बुद्ध और उनके प्रमुख शिष्यों के प्रवचनों का संकलन।
  3. अभिधम्म पिटक : नैतिकता और मनोविज्ञान पर दार्शनिक शिक्षाएँ अथवा नैतिकता और मनोविज्ञान पर दार्शनिक शिक्षाओं का संकलन।
  4. अभिधम्म की शिक्षा बुद्ध की अन्य शिक्षाओं से अलग है क्योंकि यह चीजों को अधिक गहराई से समझाती है। 
  5. सुत्त पिटक में जहाँ सरल भाषा का प्रयोग किया गया है, वहीं अभिधम्म में वास्तविकता को व्यक्त करने का अधिक तकनीकी तरीका अपनाया गया है।
  6. यह जन्म, मृत्यु और हमारे मन के काम करने के तरीके के बारे में बात करता है, ताकि अनुयायियों को जीवन को अधिक विस्तृत तरीके से समझने में मदद मिल सके, ये विचार बौद्धों को मन को समझने और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाने में मदद करते हैं। 
  7. ऐसा माना जाता है कि बुद्ध ने सबसे पहले इन शिक्षाओं को अपनी माँ सहित देवताओं के साथ साझा किया था

 

बौद्ध धर्म से संबंधित पाली भाषा में लिखी गई अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ :

  1. जातक कथाएँ : बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियाँ।
  2. अष्टशालिनी और सम्मोहविनोदनी : अभिधम्म दर्शन की जटिल शिक्षाओं की व्याख्या।
  3. धम्मपद और धम्मचक्कपवत्तन सुत्त : प्रमुख बौद्ध ग्रंथ।

 

बौद्ध धर्म की ऐतिहासिकता और आधुनिक समय में उसकी प्रासंगिकता : 

  • भारत, बौद्ध धर्म की जन्मभूमि रही है और उस आध्यात्मिक धरोहर को संजोए हुए है जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया और अपने उपदेशों को तत्कालीन लोगों और अपने शिष्यों के साथ साझा किया। 
  • इन उपदेशों ने गौतम बुद्ध के समय के तत्कालीन मानव से लेकर वर्तमान समय के आधुनिक मानव के विचारों और समझ पर गहरा प्रभाव डाला है। 
  • भारत के बिहार राज्य में स्थित बोधगया जैसे पवित्र स्थल बुद्ध के निर्वाण की यात्रा के जीवंत प्रतीक के रूप आज भी अवस्थित है और बौद्ध धर्म के प्रतीकों के रूप में काम करते हैं।
  • बौद्ध धर्म सिर्फ एक धर्म नहीं है, बल्कि यह एक दर्शन, एक जीवन शैली और एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। 
  • इसकी उत्पत्ति भारत में हुई और यह आज भी दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है।
  • अभिधम्म बौद्ध दर्शन का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो मानसिक अनुशासन, आत्म-जागरूकता और नैतिक आचरण पर केंद्रित है। 
  • पाली भाषा में लिखे गए अभिधम्म ग्रंथ बौद्ध मनोविज्ञान और दर्शन को गहराई से समझने में मदद करते हैं। 
  • ये ग्रंथ न केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बल्कि सभी के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं, जो प्राचीन बौद्ध ज्ञान और शिक्षाओं को आज तक संरक्षित किए हुए हैं।
  • हर साल 17 अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस इस दार्शनिक परंपरा की समृद्धि को उजागर करता है। 
  • यह दिन अभिधम्म के शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर जोर देता है, जो वर्तमान समय के मनुष्यों के लिए मानसिक और नैतिक अनुशासन का मार्गदर्शन करती है। 
  • इसके साथ ही, यह भारत की बौद्ध धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करता है।
  • आज के तनावपूर्ण जीवन में, अभिधम्म की शिक्षाएं शांति और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम कर सकती हैं। 
  • अभिधम्म दिवस ध्यान, आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है। 
  • यह बौद्ध धर्म के मूल मूल्यों को मजबूत करता है, जिसमें करुणा और ज्ञान की खोज शामिल है।

 

निष्कर्ष : 

  1. बौद्ध धर्म का ऐतिहासिक महत्व आज भी प्रासंगिक है। अभिधम्म जैसी प्राचीन शिक्षाएं आधुनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने और एक अधिक सार्थक जीवन जीने में हमारी मदद कर सकती हैं। 
  2. भारत, बौद्ध धर्म की जन्मभूमि के रूप में, इस धरोहर को संरक्षित करने और इसे दुनिया के साथ साझा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  3. इसीलिए तो पूरी दुनिया में आज भी बुद्ध को “ एशिया का प्रकाश – पुंज ” कहा जाता है, क्योंकि बुद्ध ने पूरी दुनिया के मानवता को युद्ध के बदले मध्यम मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हुए “ शांति और अहिंसा ” का पाठ पढ़ाकर पूरी मानवता के लिए सुरक्षित और शांति का मार्ग प्रशस्त किया है।
  4. जब – जब संपूर्ण विश्व में जहाँ कहीं भी विस्तारवादी नीतियों के तहत हिंसा और युद्ध जारी रहेगा, तब – तब बुद्ध के द्वारा दिए गए शांति का मार्ग संपूर्ण मानवता को बचाने हमारे सामने एक प्रकाश – पुंज के रूप में हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा और इस बात की भी वकालत करता रहेगा कि – “ किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कभी भी और कहीं भी हिंसा और युद्ध का मार्ग उचित नहीं है। अगर इस विश्व को अशांति और युद्ध से बचाना हो तो बुद्ध के द्वारा दिए गए मध्यम मार्ग और शांति का संदेश ही संपूर्ण मानवता की रक्षा कर सकता है।” 
  5. जब – जब मानवता को बचाने का सवाल खड़ा होगा , तब – तब बुद्ध के द्वारा दिए गए संदेश हर अंधियारे में एक प्रकाश – पुंज के रूप में संपूर्ण मानवता को बचाने के लिए निर्भय और निडर होकर हमारा मार्ग – प्रशस्त करता रहेगा। अतः बुद्ध हर समय सापेक्ष में प्रासंगिक और कालातीत रहेंगे। 

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस 2024 के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/ से कथन सही है / हैं?

  1. यह दिवस भगवान बुद्ध के अभिधम्म ग्रंथों के अध्ययन और प्रचार को समर्पित है।
  2. यह दिवस बौद्ध धर्म के दर्शन के गहन अध्ययन को प्रोत्साहित करता है।
  3. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म को अन्य धर्मों के ऊपर स्थापित करना है।
  4. यह दिवस शांति, करुणा और ज्ञान के मूल्यों को बढ़ावा देता है।
  5. यह दिवस भारत सरकार द्वारा पहली बार मनाया गया था।

उपर्युक्त कथनों के संदर्भ में कूट के माध्यम से उत्तर का चयन कीजिए।

A.केवल 1, 2 , 3 और 4 

B. केवल 1, 2 और 4 

C. केवल 2 , 3 , 4 और 5 

D. उपरोक्त सभी कथन। 

उत्तर – B

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस 2024 के आयोजनों और चर्चाओं के संदर्भ में, आधुनिक जीवन शैली के मनोविज्ञान और दर्शन से बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का क्या संबंध है? चर्चा कीजिए कि क्या बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांत वर्तमान समय के मानव के मनोवैज्ञानिक संघर्षों और जीवन के उद्देश्यों को समझने में सहायक हो सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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