09 Apr अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर विज़िबिलिटी दिवस : अधिकार, संघर्ष और पहचान
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 1 के अंतर्गत ‘ सामाजिक न्याय, भारत में ट्रांसजेंडर से संबंधित मुद्दे और उससे संबंधित कल्याण योजनाएँ, भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019, उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020, लैगिंक डिस्फोरिया , उच्च न्यायालय, आधार कार्ड , जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 , अनुच्छेद 21 , ट्रांसजेंडर पहचान पत्र ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ होने वाली भेदभाव और हिंसा के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु 31 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर विज़िबिलिटी दिवस मनाया जाता है।
- उभयलिंगी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने वाले अधिनियम, 2019 के लागू होने के बावजूद, यह समुदाय अभी भी अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है, जो कानूनी प्रावधानों और वास्तविक परिस्थितियों के बीच के गहरे अंतर को उजागर करता है।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए यह परिवर्तन उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और इसके तहत बने उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 द्वारा संभव है, जो उन्हें ऐसे परिवर्तनों की अनुमति प्रदान करता है।
उभयलिंगी / ट्रांसजेंडर व्यक्ति से क्या अभिप्राय है ?
- उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर अथवा उभयलिंगी व्यक्ति वह होता है जिसकी लैंगिक पहचान जन्म के समय निर्धारित लिंग से सुमेलित नहीं होती है।
- जनसंख्या : वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, उनकी जनसंख्या लगभग 4.8 मिलियन है। इसमें इंटरसेक्स भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, जेंडर-क्वीर और सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता वाले व्यक्ति जैसे किन्नर, हिजड़ा, आरावानी और जोगता शामिल हैं।
- LGBTQIA+ का हिस्सा : ट्रांसजेंडर व्यक्ति LGBTQIA+ समुदाय का हिस्सा हैं, जिन्हें संक्षिप्त नाम में “T” द्वारा दर्शाया गया है।
- LGBTQIA+ एक संक्षिप्ति (शब्दों के प्रथम अक्षरों से बना शब्द) है जो लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल का प्रतिनिधित्व करता है।
- “+” उन अनेक अन्य अस्मिताओं को दर्शाता है जिनकी पहचान प्रकिया और अवबोधन वर्तमान में जारी है।
- इस संक्षिप्ति में निरंतर परिवर्तन जारी है और इसमें नॉन-बाइनरी और पैनसेक्सुअल जैसे अन्य पद भी शामिल किये जा सकते हैं।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 से संबंधित मुख्य तथ्य :
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 से संबंधित मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं:
- ट्रांसजेंडर की परिभाषा : ट्रांसजेंडर वे व्यक्ति होते हैं जिनका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता। इसमें ‘इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति’ और ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति’ शब्दों को स्पष्ट किया गया है, ताकि लिंग परिवर्तन सर्जरी या चिकित्सा उपचार के बिना भी ट्रांसजेंडर पुरुष और महिलाएं इसमें शामिल हो सकें।
- भेदभाव का निषेध : यह विधेयक शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल और सार्वजनिक सुविधाओं में भेदभाव को रोकता है। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को यात्रा, संपत्ति और कार्यालयों में समान अधिकार प्रदान करता है।
- पहचान प्रमाण पत्र : यह विधेयक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अपनी लिंग पहचान पर अधिकार प्रदान करता है। इसके तहत, जिला मजिस्ट्रेट बिना मेडिकल परीक्षण के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- चिकित्सा देखभाल : इस विधेयक में HIV की निगरानी, चिकित्सा देखभाल, लैंगिक पुनर्निर्धारण सर्जरी, और बीमा कवरेज जैसी स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने का प्रावधान है।
- राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद : सरकार को सलाह देने और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिकायतों का समाधान करने के लिए एक राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद स्थापित की गई है।
- अपराध और दंड का प्रावधान : इस विधेयक के तहत बलपूर्वक श्रम, दुर्व्यवहार और अधिकारों से वंचित करने जैसे अपराधों के लिए 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
भारत में ट्रांसजेंडरों के समक्ष मुख्य समस्याएँ :
भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है –
- सामाजिक बहिष्कार का शिकार होना : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज में अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके लिए सामाजिक जीवन में भागीदारी मुश्किल हो जाती है और वे अकेलेपन का अनुभव करते हैं। सार्वजनिक स्थानों, जैसे शौचालय और आश्रय स्थल, में भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिलता, जिसके कारण वे उत्पीड़न और हिंसा का शिकार होते हैं।
- शिक्षा में भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शिक्षा में भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उनकी पढ़ाई अधूरी रहती है। उनकी साक्षरता दर केवल 46% है, जो राष्ट्रीय औसत (74%) से कम है।
- शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ना और बेघर होना : परिवारों द्वारा अस्वीकार किए जाने और आवास की कमी के कारण कई ट्रांसजेंडर लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हो जाते हैं। उन्हें शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, साथ ही मादक पदार्थों की लत जैसी समस्याओं का भी सामना करते हैं।
- सामाजिक असहिष्णुता और ट्रांसफोबिया के कारण हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ना : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सामाजिक असहिष्णुता और ट्रांसफोबिया के कारण हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ट्रांसफोबिया का अर्थ है ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति नकारात्मक सोच, डर, घृणा या पूर्वाग्रह।
- अवसाद और आत्महत्या के विचारों जैसी मनोवैज्ञानिक संकटों और मानसिक समस्याओं का सामना पड़ना : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता की कमी के कारण वे चिंता, अवसाद और आत्महत्या के विचारों जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं।
- ट्रांसजेंडरों का नकारात्मक सार्वजनिक चित्रण : मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर ट्रांसजेंडरों का नकारात्मक चित्रण उनके प्रति सामाजिक अस्वीकृति और हिंसा को बढ़ावा देता है।
आगे की राह :
- सामाजिक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता : सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को महत्वपूर्ण सेवाएं जैसे कि नि:शुल्क विधिक सहायता, सहायक शिक्षा, और अन्य सामाजिक अधिकार प्रदान की जाएं।
- शिक्षा में समावेशिता को सुनिश्चित करना : भारत में सरकार को यह आवश्यक है कि स्कूलों में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए उत्पीड़न-रोधी और रैगिंग-रोधी नीतियाँ लागू की जाएं, ताकि उनके साथ होने वाले भेदभाव और हिंसा में कमी लाई जा सके।
- नीति-निर्माण में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की भागीदारी को सुनिश्चित करना : सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को नीति-निर्माण की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, ताकि उनकी विशिष्ट समस्याओं का समाधान हो सके और उन्हें समाज में समान अवसर मिल सकें।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर प्रदान करना : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अपनी आजीविका और करियर को सशक्त बनाने के लिए सुलभ वित्तीय सहायता और आसान ऋण उपलब्ध कराए जाने चाहिए, जिससे वे आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बन सकें।
- सार्वजनिक जागरूकता फैलाने के लिए सार्वजनिक शिक्षा अभियानों को चलाने की आवश्यकता : सरकार को ट्रांसजेंडर मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सार्वजनिक शिक्षा अभियान चलाने चाहिए, ताकि असहिष्णुता को कम किया जा सके और ट्रांसजेंडरों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण में बदलाव लाया जा सके।
- विधिक ढाँचे को सशक्त बनाने की जरूरत : उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए ताकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समय पर कल्याणकारी सेवाएँ मिल सकें।
- लैंगिक-समावेशी नीतियों के तहत आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना : लैंगिक-समावेशी नीतियाँ, विविधता पर आधारित भर्ती प्रक्रिया, और वित्तीय योजनाएँ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के तौर पर, टाटा स्टील जैसे बड़े संस्थान इसे बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कार्यबल में शामिल करने की आवश्यकता : विश्व बैंक की 2021 की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि अगर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कार्यबल में शामिल किया जाए, तो देश की GDP में 1.7% तक वृद्धि हो सकती है।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को संवेदनशीलता प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता : स्वास्थ्य सेवाओं में लैंगिक-पुष्टि उपचार (Gender-Affirming Treatments) को शामिल किया जाना चाहिए और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए समर्पित क्लीनिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तारित करना आवश्यक है।
- शिक्षण संस्थानों और कार्यस्थलों में लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की जरूरत : शिक्षण संस्थानों और कार्यस्थलों में लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना, विभिन्न मीडिया में ट्रांसजेंडर समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना और कूवगम महोत्सव जैसे सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
“मैं भी मानव हूँ (I Am Also Human)” जैसे जागरूकता अभियान समाज में पूर्वाग्रहों को चुनौती देने के लिए आवश्यक हैं। - अंतर्राष्ट्रीय अनुभव से सीख लेकर लैंगिक-तटस्थ नीतियों और भेदभाव-विरोधी कानूनों को अपनाकर ट्रांसजेंडर अधिकारों को सशक्त बनाने की जरूरत : भारत, अर्जेंटीना, कनाडा और यूके जैसे देशों से प्रेरणा लेकर लैंगिक पहचान की स्व-घोषणा, लैंगिक-तटस्थ नीतियों और भेदभाव-विरोधी कानूनों को अपनाकर ट्रांसजेंडर अधिकारों को सशक्त बना सकता है।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 9th April 2025
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कौन सा अधिकार दिया गया है?
- अपनी लिंग पहचान पर आधारित प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार
- सभी सार्वजनिक कार्यालयों में ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए विशेष आरक्षण
- किसी भी प्रकार के उत्पीड़न से सुरक्षा का अधिकार
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग शौचालय और आश्रय स्थल का अधिकार
उपर्युक्त में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 2 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 के संदर्भ में भारत में ट्रांसजेंडर अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक समावेशन, कर्नाटक उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय और सरकारी प्रयासों पर चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Q. 2. कानूनी प्रगति के बावजूद भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। उनके समावेशन के लिए किन उपायों की आवश्यकता है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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