अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस बनाम स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग, 2025 रिपोर्ट

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस बनाम स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग, 2025 रिपोर्ट

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, स्वास्थ्य , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप,  स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग (SoWN), 2025 ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस, भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम, 1947, कार्यस्थल पर सामाजिक भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना ’ खण्ड  से संबंधित है।)

  

खबरों में क्यों?

 

 

  • हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 12 मई को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर “ स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग (SoWN), 2025 रिपोर्ट ” प्रकाशित की है। 
  • यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर नर्सिंग के क्षेत्र की वर्त्तमान स्थिति, उससे जुड़ी हुई चुनौतियों और प्रवृत्तियों का आकलन प्रस्तुत करती है।

 

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग (SoWN), 2025 रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं ?

 

  1. वैश्विक नर्सिंग कार्यबल में वृद्धि होना : दुनिया भर में नर्सों की संख्या 2018 के 27.9 मिलियन से बढ़कर 2023 में 29.8 मिलियन हो गई है। हालाँकि, इनमें से 78% नर्सें ऐसे देशों में कार्यरत हैं जहाँ विश्व की केवल 49% आबादी निवास करती है।
  2. नर्स – जनसंख्या अनुपात में असमानता का होना : वैश्विक स्तर पर प्रति 10,000 लोगों पर 37.1 नर्सें हैं। यूरोप में अफ्रीका और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों की तुलना में पाँच गुना अधिक नर्सें हैं, और उच्च आय वाले देशों में निम्न आय वाले देशों की तुलना में यह आँकड़ा 10 गुना अधिक है। 
  3. नर्सिंग के क्षेत्र में भविष्य का पूर्वानुमान : इस रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक नर्स कार्यबल 36 मिलियन तक पहुँच जाएगा। इससे 2023 में नर्सों की कमी 5.8 मिलियन से घटकर 4.1 मिलियन हो जाएगी। इस कमी का 70% हिस्सा अफ्रीका और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में केंद्रित रहेगा।
  4. अंतर्राष्ट्रीय प्रवास का प्रभाव : विश्व स्तर पर हर सात में से एक नर्स विदेश में पैदा हुई है। उच्च आय वाले देशों में यह आँकड़ा 23% तक पहुँच जाता है, जबकि उच्च मध्यम-आय वाले देशों में 8%, निम्न मध्यम-आय वाले देशों में 1% और निम्न आय वाले देशों में 3% है।
  5. नर्सों का विनियमन और मानसिक स्वास्थ्य : इस रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दुओं के अनुसार लगभग 92% देशों में नर्सों के लिए नियामक संस्थाएँ मौजूद हैं और 94% में न्यूनतम वेतन संबंधी कानून लागू हैं। फिर भी, केवल 42% देशों में नर्सों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सहायता उपलब्ध है।

 

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस : समर्पण और सेवा का वैश्विक सम्मान का प्रतीक :

 

 

  • हर वर्ष 12 मई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल नर्सों की करुणा, सेवा और योगदान को सराहा जाता है, बल्कि यह आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती का भी प्रतीक है।
  • फ्लोरेंस नाइटिंगेल, एक ब्रिटिश नर्स होने के साथ-साथ एक कुशल सांख्यिकीविद् और समाज सुधारक भी थीं। क्रीमियन युद्ध (1854-56) के दौरान ब्रिटिश और मित्र देशों के सैनिकों की निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें विशेष रूप से जाना जाता है। इसी दौरान उनकी मानवीय सेवा और रात में लैंप लेकर मरीजों की देखभाल करने के कारण उन्हें “लेडी विद द लैंप” की उपाधि मिली और उन्होंने वैश्विक स्तर पर नर्सिंग को एक पेशेवर पहचान दिलाई।
  • अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस आयोजन का नेतृत्व : इस दिवस का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (ICN) द्वारा किया जाता है। यह संस्था 130 से अधिक देशों के राष्ट्रीय नर्स संघों और 2.8 करोड़ से अधिक नर्सों का प्रतिनिधित्व करती है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (ICN) वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य नीति, गुणवत्तापूर्ण देखभाल, नर्सिंग के पेशे का विकास करना और एक सम्मानित वैश्विक नर्सिंग कार्यबल तैयार करना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025 का मुख्य विषय / थीम : “ हमारी नर्सें। हमारा भविष्य। नर्सों की देखभाल से अर्थव्यवस्थाएँ सशक्त होती हैं। ”
    यह विषय नर्सों के स्वास्थ्य, अधिकारों और कल्याण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह विषय इस मान्यता को भी बाल देता है कि सशक्त नर्सिंग प्रणाली, एक सशक्त राष्ट्र की नींव है।

 

भारत में नर्सिंग की वर्तमान स्थिति : 

 

  • नर्सों की संख्या और जनसंख्या के अनुपात में असमानता होना : भारत में प्रति 1,000 लोगों पर केवल 1.9 नर्सें उपलब्ध हैं, जबकि WHO का मानक 3 नर्सें प्रति 1,000 जनसंख्या का है। यह स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
  • नर्सिंग कार्यबल और उसका नियमन : देश में भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) के साथ 3.3 मिलियन से अधिक नर्सें पंजीकृत हैं। INC स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र निकाय है, जिसकी स्थापना भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम, 1947 के तहत की गई थी। यह देश में नर्सिंग शिक्षा व प्रैक्टिस के नियमन का कार्य करती है।
  • भारत में नर्सिंग शिक्षा और उसके विस्तार की वर्तमान स्थिति : हाल ही में सरकार ने वर्ष 2025 तक 157 नए नर्सिंग कॉलेज स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे B.Sc. नर्सिंग पाठ्यक्रम की 15,700 नई सीटें जुड़ेंगी। यह कदम नर्सिंग कार्यबल को सशक्त बनाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

भारतीय नर्सिंग क्षेत्र में बुनियादी संरचना की मुख्य चुनौतियाँ : 

 

 

  1. कार्य की अधिकता का अत्यधिक दबाव और संसाधनों की कमी का होना : वर्तमान में देश में प्रति 1,000 नागरिकों पर मात्र 1.9 नर्सें उपलब्ध हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित 3 नर्स प्रति 1,000 जनसंख्या के मानक से काफी पीछे है। हालाँकि भारतीय नर्सिंग परिषद के अनुसार 3.3 मिलियन नर्सें पंजीकृत हैं, यह भारत की 1.4 अरब से अधिक जनसंख्या के लिए अपर्याप्त है। वर्ष 2010 के एक अनुमान के अनुसार, भारत को 2.4 मिलियन अतिरिक्त नर्सों की आवश्यकता है। यह कमी मौजूदा नर्सों पर अत्यधिक मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक दबाव डालती है, जिससे थकान, बर्नआउट और सेवा की गुणवत्ता में गिरावट देखी जाती है।
  2. शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों का भौगोलिक असंतुलन का होना : भारत में नर्सों की नियुक्ति में स्पष्ट भौगोलिक असंतुलन है। अधिकांश नर्सें शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में केंद्रित हैं, जिससे ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी बनी हुई है।
  3. प्रशिक्षण और कौशल विकास में कमी का होना : भारत में नर्सिंग प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार तो हो रहा है, सरकार ने नर्सिंग शिक्षा के विस्तार की दिशा में प्रयास किए हैं। लेकिन, फिर भी अधिकांश नर्सें सतत् व्यावसायिक प्रशिक्षण (Continuing Professional Development) से वंचित रहती हैं। विशेषज्ञता आधारित शिक्षा और नवीन तकनीकी प्रशिक्षण की सीमित पहुँच के कारण वे कई बार उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने में असमर्थ रहती हैं।
  4. अपर्याप्त वेतन का मिलना और सामाजिक मान्यता और स्व की पहचान का अभाव होना : भारत में नर्सों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों की तुलना में कम वेतन प्राप्त होता है। स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ होते हुए भी, उनका योगदान कई बार अनदेखा या कमतर आँका जाता है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति बल्कि पेशेवर मनोबल को भी प्रभावित करता है।
  5. लैंगिक भेदभाव का शिकार होना और कार्यस्थल पर सामाजिक भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना : भारत में विशेष रूप से महिला नर्सों को लैंगिक पूर्वाग्रह, असम्मान, और कार्यस्थल पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है — चाहे वह मरीज हों, सहकर्मी हों या वरिष्ठ अधिकारी। इसके अतिरिक्त संसाधनों की कमी या चिकित्सकों की अनुपस्थिति के लिए भी अक्सर नर्सों को दोषी ठहराया जाता है। उत्पीड़न के अधिकांश मामले रिपोर्ट नहीं होते, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  6. उच्च प्रवासन (प्रतिभा पलायन) : वर्तमान समय में लगभग 640,000 भारतीय नर्सें विदेशों में काम कर रही हैं। बेहतर वेतन, काम करने की अच्छी परिस्थितियाँ और करियर में आगे बढ़ने के अवसरों की तलाश में बड़ी संख्या में प्रशिक्षित नर्सें दूसरे देशों में चली जाती हैं, जिससे भारत के स्वास्थ्य सेवा कार्यबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 

भारत में नर्सिंग क्षेत्र को सशक्त बनाने की राह : 

 

 

  1. भारत में नर्सिंग क्षेत्र को प्रभावी और सक्षम बनाने के लिए केवल नर्सों की संख्या बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है और बहुआयामी प्रयास ज़रूरी हैं।
  2. इसके लिए मानव संसाधन में रणनीतिक निवेश, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण की पहुँच, और सतत व्यावसायिक विकास को प्राथमिकता देना होगा।
  3. भारत में नर्सिंग क्षेत्र को प्रभावी बनाने के लिए कार्यस्थलों पर नर्सों के साथ सम्मानजनक और सुरक्षित व्यवहार सुनिश्चित करना, उन्हें निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बनाना और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बेहद ज़रूरी है। 
  4. देश में नर्सिंग क्षेत्र को प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों के माध्यम से प्रशिक्षण को प्रभावी और सुलभ बनाकर उनके कौशल को लगातार उन्नत किया जाना चाहिए।
  5. देश में जब नर्सों को गरिमा, अवसर और समर्थन मिलता है, तब वे अपने कार्य में न केवल अधिक प्रेरित होती हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में भी सुधार लाती हैं। इन प्रयासों से ही यह क्षेत्र देश की स्वास्थ्य सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभा सकेगा।
  6. इस प्रकार, एक समर्थ, सशक्त और सम्मानित नर्सिंग प्रणाली ही भारत को एक स्वस्थ, समावेशी और टिकाऊ स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा में अग्रसर कर सकती है।

 

स्त्रोत – द हिन्दू।

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 14th May 2025

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. यह प्रतिवर्ष 12 मई को मनाया जाता है। 
  2. यह दिवस केवल भारत में मनाया जाता है।
  3. इस दिवस का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (ICN) द्वारा किया जाता है। 
  4. अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025 का मुख्य विषय –  “हमारी नर्सें। हमारा भविष्य। नर्सों की देखभाल से अर्थव्यवस्थाएँ सशक्त होती हैं।” है।

नीचे दिए गए कूट के माध्यम से सही विकल्प का चयन करें :

A. केवल 1, 2 और 3

B. केवल 1, 3 और 4

C. इनमें से कोई नहीं

D. उपरोक्त सभी

उत्तर – B 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. “स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग (SoWN), 2025 रिपोर्ट” के प्रमुख निष्कर्षों को रेखांकित करते हुए, भारत में नर्सिंग क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, उससे संबंधित मुख्य चुनौतियाँ और इसके सशक्तिकरण के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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