खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट 2024

खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट 2024

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 – ‘ सामाजिक न्याय के संदर्भ में फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024 ’  खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ वेस्ट एंड रिसोर्सेज़ एक्शन प्रोग्राम (WRAP), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP), सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 12.3, खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट 2024 खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख‘ दैनिक करेंट अफेयर्स   के अंतर्गत ‘ खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट 2024 ’  से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) और यूनाइटेड किंगडम स्थित गैर-लाभकारी संगठन वेस्ट एंड रिसोर्सेज़ एक्शन प्रोग्राम (WRAP) द्वारा संयुक्त रूप से खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट, 2024 जारी की गई है।
  • खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट, 2024 के अनुसार भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए ट्रैकिंग करने तथा इसकी निगरानी करने हेतु डेटा के बुनियादी ढाँचे में सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार करने की जरूरत है।
  • खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट पहली बार वर्ष 2021 में प्रकाशित किया गया था। 
  • वर्तमान में जारी किया गया यह रिपोर्ट एक बड़े डेटासेट पर आधारित है एवं  संपूर्ण  विश्व में बर्बाद होने वाले भोजन के बारे में एक अद्यतन जानकारी प्रदान करती है।
  • खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिपोर्ट संपुर्ण विश्व में भोजन की बर्बादी को रोकने के समाधान के रूप में सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से एक बहु – हितधारक सहयोग को विकसित करने की प्रणाली को अपनाने का सुझाव देती है।
  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक/ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2023 में भारत 125 देशों में से 111वें स्थान पर है, यह भारत में भुखमरी के गंभीर स्तर को दर्शाता है।

 

क्या है वेस्ट एंड रिसोर्सेज़ एक्शन प्रोग्राम (WRAP) : 

 

 

 

  • प्रतिवर्ष 30 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस आयोजित किया जाता है।
  • यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस के पहले प्रकाशित की गई है।
  • यह जलवायु कार्रवाई के उद्देश्य पर केंद्रित एक गैर-लाभकारी और गैर – सरकारी संगठन (NGO) है जो जलवायु संकट के कारणों से निपटने और पृथ्वी को संधारणीय भविष्य प्रदान करने की दिशा के लिए संपूर्ण विश्व में कार्य करता है।
  • यह रिपोर्ट भोजन की बर्बादी (Food Waste) को मानव खाद्य आपूर्ति शृंखला से हटाए गए भोजन और संबंधित अखाद्य हिस्सों के रूप में परिभाषित करती है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 2000 में यूनाइटेड किंगडम में हुई थी।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में एक ओर वैश्विक स्तर पर जहाँ संपूर्ण विश्व के परिवारों ने प्रतिदिन 1 बिलियन से अधिक ‘एक वक्त का भोजन’ बर्बाद किया है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर करीब 783 मिलियन लोग भुखमरी से प्रभावित या शिकार हुए हैं।
  • वर्ष 2022 में 1.05 बिलियन टन खाद्य अपशिष्ट उत्पन्न हुआ (अखाद्य भागों सहित), जो प्रति व्यक्ति 132 किलोग्राम था और उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कुल भोजन का लगभग पांचवां हिस्सा था।
  • वर्ष 2022 में बर्बाद हुए कुल भोजन में से 60 प्रतिशत घरेलू स्तर पर हुआ, जिसमें 28 प्रतिशत के लिए खाद्य सेवाएँ और 12 प्रतिशत के लिए खुदरा क्षेत्र जिम्मेदार रहा।
  • इसके अलावा, संपूर्ण जनसंख्या के एक तिहाई हिस्से को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा है।
  • ‘खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) रिटेल और उपभोक्ता (घरेलू एवं खाद्य सेवा) के यहां बर्बाद होने वाले भोजन व अनाज के अखाद्य हिस्सों की मात्रा को वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी करता है।
  • फसलों और पशुधन की कोई भी मात्रा जो मानव-खाद्य वस्तुएँ हैं, जो बिक्री स्तर के बिंदु के अतिरिक्त “प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कटाई के बाद/पशुधन पशु उत्पादन/आपूर्ति शृंखला से पूरी तरह से बाहर निकल जाती हैं को “फूड लॉस” कहा जाता है।
  • फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट वर्ष 2030 (SDG 12.3) तक भोजन की बर्बादी को आधा करने में राष्ट्र स्तरीय प्रगति का निगरानी करता है। 
  • SDG 12 का लक्ष्य सतत् उपभोग और उत्पादन प्रणाली को सुनिश्चित करना है।
  • यह सतत विकास लक्ष्य (SDG)-12.3 के दो संकेतकों को 2030 तक हासिल करने के लक्ष्य पर आधारित  है। ये दो संकेतक निम्नलिखित  हैं – 
  • SDG 12.3.1 (a): खाद्य हानि सूचकांक (Food Loss Index: FLI) इस संकेतक का उप – संकेतक है।
  • FLI फसल कटाई के बाद के नुकसान सहित उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में खाद्य हानि को कम करने में मदद करता है।
  • खाद्य और कृषि संगठन, FLI का संरक्षक है।
  • SDG 12.3.1 (b): FWI इस संकेतक का उप-संकेतक है।
  • FWI रिटेल और उपभोक्ता स्तर पर प्रति व्यक्ति वैश्विक खाद्य अपशिष्ट की मात्रा को कम करके आधा करने पर केंद्रित है।

 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) : 

 

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) पर्यावरण पर कार्य करने वाली एक अग्रणी वैश्विक प्राधिकरण है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1972 में स्टॉकहोम घोषणा के माध्यम से की गई थी।
  • इसका मुख्यालय केन्या के नैरोबी में स्थित है।
  • UNEP खाद्य अपशिष्ट सूचकांक (FWI) का संरक्षक है।
  • यह भविष्य की पीढ़ियों से पर्यावरण की देखभाल में समझौता किए बिना उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रेरित करना, सूचित करना और सक्षम बनाना है और विभिन्न राष्ट्रों एवं नागरिकों  के बीच की साझेदारी को प्रोत्साहित करना है।

इस रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु : 

 

 

 

 

  • खाद्य अपशिष्ट में कम असमानता : खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट, 2024 उच्च – आय, उच्च – मध्यम आय और निम्न – मध्यम आय वाले देशों में, घरेलू खाद्य अपशिष्ट के औसत स्तर में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष केवल 7 किलोग्राम का अंतर देखा गया है।
  • खाद्य अपशिष्ट और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन : खाद्य हानि और अपशिष्ट वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (Global Greenhouse Gas- GHG) उत्सर्जन का 8-10% अर्थात् विमानन क्षेत्र के कुल उत्सर्जन के लगभग 5 गुना से अधिक उत्पन्न करते हैं। यह तब होता है जब मानवता का एक तिहाई हिस्सा खाद्य असुरक्षा का सामना करता है
  • भोजन की बर्बादी का स्तर : वर्ष 2022 में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों ने 1.05 बिलियन टन भोजन बर्बाद किया यानी खुदरा, खाद्य सेवा और घरेलू स्तर पर उपभोक्ताओं को उपलब्ध भोजन का पाँचवाँ हिस्सा (19%) बर्बाद हुआ। खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agricultural Organization-FAO) के अनुमान के अनुसार, यह फसल के बाद से लेकर खुदरा बिक्री तक, आपूर्ति शृंखला में लुप्त/नष्ट हो जाने वाले विश्व के 13% भोजन के अतिरिक्त है।
  • शहरी – ग्रामीण असमानताएँ : मध्यम आय वाले देशों में शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच भिन्नता दिखाई देती है, ग्रामीण क्षेत्रों में आम तौर पर भोजन की कम बर्बादी होती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बचे हुए खाद्य पदार्थों को पालतू जानवरों, पशुओं के चारे और घरेलू खाद में अधिक उपयोग किया जाता है।
  • तापमान और खाद्य अपशिष्ट के बीच सहसंबंध : गर्म देशों में प्रति व्यक्ति घरेलू भोजन की बर्बादी संभवतः अधिक ताज़े खाद्य पदार्थों के सेवन के परिणामस्वरूप ज़्यादा होती है जिसमें बड़ी मात्रा में अनुपयुक्त घटक शामिल होते हैं और सुदृढ़ कोल्ड चेन की कमी होती है। उच्च मौसमी तापमान, अत्यधिक गर्मी की घटनाएँ और अनावृष्टि भोजन को सुरक्षित रूप से संग्रहित करना, संसाधित करना, परिवहन करना तथा बेचना अधिक चुनौतीपूर्ण बना देता है, जिससे प्रायः भोजन की एक बड़ी मात्रा बर्बाद हो जाती है या नष्ट हो जाती है।
  • प्रगति को ट्रैक करने के लिए पर्याप्त प्रणाली का अभाव : कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वर्ष 2030 तक भोजन की बर्बादी को आधा करने के सतत् विकास लक्ष्य 12.3 को पूरा करने के लिए खुदरा तथा खाद्य सेवाओं में प्रगति को ट्रैक करने हेतु पर्याप्त प्रणालियों का अभाव है। वर्तमान में, केवल चार G20 देशों (ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूके, यूएस) और यूरोपीय संघ के पास वर्ष 2030 तक प्रगति को ट्रैक करने के लिए खाद्य अपशिष्ट अनुमान उपलब्ध हैं।
  • डेटा में भिन्नता और उपराष्ट्रीय अनुमान : भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भोजन की बर्बादी के संबंध में व्यापक राष्ट्रीय डेटा में एक व्यापक अंतर हैं, जो यह बताता है कि खाद्य अपशिष्ट परिदृश्य के स्पष्ट आँकड़ों को अधिक समावेशी बनाने की जरूरत है।

 

खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024 की प्रमुख सिफारिशें : 

 

 

 

  • G20 देशों की भागीदारी : घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य अपशिष्ट के संबंध में जागरूकता तथा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक उपभोक्ता रुझानों पर अपने प्रभाव का लाभ उठाते हुए, सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 12.3 को प्राप्त करने के लिए G20 देशों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं नीति विकास में अग्रणी भूमिका निभाने हेतु प्रोत्साहित करना।
  • सार्वजनिक निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना : भोजन की बर्बादी और जलवायु तथा जल तनाव पर इसके प्रभावों को कम करने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnerships- PPP) को अपनाने को प्रोत्साहित करें, लक्ष्य-माप-अधिनियम दृष्टिकोण के माध्यम से एक साझा लक्ष्य को सहयोग करने तथा वितरित करने हेतु सरकारों, क्षेत्रीय एवं उद्योग समूहों को एक साथ लाना।
  • खाद्य अपशिष्ट सूचकांक का उपयोग : खाद्य अपशिष्ट को लगातार मापने के लिये खाद्य अपशिष्ट सूचकांक का उपयोग करने हेतु देशों का समर्थन, मज़बूत राष्ट्रीय आधार रेखाएँ विकसित करना और SDG 12.3 की दिशा में प्रगति को ट्रैक करना। इसमें विशेष रूप से खुदरा और खाद्य सेवा क्षेत्रों में व्यापक खाद्य अपशिष्ट डेटा संग्रह की कमी को संबोधित करना शामिल है।
  • सभी क्षेत्रों में सहयोगात्मक प्रयास : वर्ष 2030 तक वैश्विक खाद्य बर्बादी को आधा करके SDG 12.3 हासिल करने के लिए सटीक माप, नवीन समाधान और सामूहिक कार्रवाई के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए, खाद्य बर्बादी को कम करने के प्रयासों में सहयोग करने हेतु सरकारों, शहरों, खाद्य व्यवसायों, शोधकर्त्ताओं से आग्रह करने की आवश्यकता है।

 

खाद्य पदार्थों की बर्बादी को रोकने से संबंधित किए जा रहे प्रमुख प्रयास : 

 

 

 

  • संवैधानिक प्रावधान : भारतीय संविधान में भोजन के अधिकार के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन के मौलिक अधिकार की व्याख्या मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार को शामिल करने के लिए किया जाता है, जिसमें भोजन और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं का अधिकार शामिल है।
  • बफर स्टॉक / सुरक्षित भंडार :  भारतीय खाद्य निगम (FCI) का मुख्य कार्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न की खरीद और विभिन्न स्थानों पर उसके गोदामों में भंडारण करना है। इसके बाद आवश्यकतानुसार यहाँ से राज्य सरकारों को खाद्यान की आपूर्ति की जाती है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (NFSA) : यह खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण का कल्याणकारी से अधिकार – आधारित दृष्टिकोण में परिवर्तित होने का प्रतीक है। 
  • NFSA 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को निम्नलिखित योजना के तहत शामिल करता है – 
  • अंत्योदय अन्न योजना : इसके अंतर्गत सबसे निर्धन लोग शामिल हैं, इन्हें प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।
  • प्राथमिकता वाले परिवार (PHH) : PHH श्रेणी के अंतर्गत आने वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। ( UPSC CSE- 2018)

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो “गरीबी रेखा से नीचे” (बी.पी.एल.) श्रेणी में आते हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किए जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया मानी जायेंगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छः महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन को घर ले जाने की हक़दार हैं।
  4. वैश्विक भुखमरी सूचकांक/ग्लोबल हंगर इंडेक्स, भारत में भुखमरी के गंभीर स्तर को दर्शाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

A. केवल 1, 2 और3

B. केवल 2 और 4 

C. केवल 2, 3 और 4

D. केवल 1 और 3

 

उत्तर – B

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q. 1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख और कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है ?

Q.2. भारत में भुखमरी की समस्या से जूझने के बावजूद, वैश्विक स्तर पर बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों की बर्बादी होती है। भारत में आपूर्ति शृंखला में खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कारणों का विश्लेषण करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में सतत् खाद्य आपूर्ति प्रणाली के लिए व्यावहारिक समाधान क्या हो सकता है ?  (UPSC CSE – 2021 )

 

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