डॉ. मनमोहन सिंह : प्रधानमंत्री, नीति निर्माता और अर्थव्यवस्था के डॉक्टर

डॉ. मनमोहन सिंह : प्रधानमंत्री, नीति निर्माता और अर्थव्यवस्था के डॉक्टर

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था , महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व , 1991 के आर्थिक सुधारों का भारत के विकास पर प्रभाव , शासन में ईमानदारी , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ डॉ. मनमोहन सिंह , मुख्य आर्थिक सलाहकार , भारतीय रिजर्व बैंक, सूचना का अधिकार , पद्म विभूषण , भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता ’ खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो भारत में वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के मुख्य वास्तुकार थे। 
  • डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर, 2024 को 92 वर्ष की आयु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली में हुआ।

 

डॉ. मनमोहन सिंह : जीवनवृत्त और योगदान

 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :

  • डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह, पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) हुआ। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। 
  • उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की, और फिर कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया, जहाँ से उन्होंने डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की। 
  • उनकी डॉक्टरेट थीसिस 1951-1960 के बीच भारत के निर्यात प्रदर्शन पर केंद्रित थी, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके भविष्य के योगदान की दिशा तय की।

 

शैक्षणिक और साहित्यिक योगदान :

 

  • शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी शिक्षण का कार्य किया, जहाँ उन्होंने कई प्रमुख नीति निर्माताओं को मार्गदर्शन दिया।
  • उनके प्रमुख साहित्यिक योगदानों में भारत की निर्यात प्रवृत्तियाँ और आत्मनिर्भर विकास की संभावनाएँ शामिल हैं।

 

आर्थिक प्रशासन में योगदान :

 

  • डॉ. मनमोहन सिंह ने कई महत्त्वपूर्ण सरकारी पदों पर कार्य किया, जिनमें मुख्य आर्थिक सलाहकार, आर्थिक मामलों के सचिव, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 
  • भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में (1982-1985) उन्होंने वित्तीय स्थिरता और नीति अनुशासन पर विशेष रूप से जोर दिया।

 

वर्ष 1991 के आर्थिक सुधार के जनक :

 

 

  • वर्ष 1991 में, जब भारत वित्तीय संकट से जूझ रहा था, तब डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्तमंत्री के रूप में ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। 
  • प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के साथ मिलकर उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG सुधार) की नीति लागू की, जिसे ‘ राव-मनमोहन मॉडल ’ के रूप में जाना जाता है। 
  • इस दौरान रुपए का अवमूल्यन किया गया और लाइसेंस राज को समाप्त किया गया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।

 

प्रधानमंत्री के रूप में योगदान ( 2004 – 2014 ) :

 

  • डॉ. मनमोहन सिंह भारत के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेताओं में से एक रहे हैं, जिन्होंने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में 10 वर्षों तक शासन किया।
  • उन्हें प्रभावी शासन के साथ गठबंधन राजनीति को संतुलित करने के लिए जाना जाता था।
  • वे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद भारत के तीसरे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर, जो वर्तमान में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं) नेता थे, जिनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा। 

 

भारत के सतत आर्थिक विकास और सामाजिक विकास में डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान : 

 

 

  • डॉ. मनमोहन सिंह के प्रथम प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने सतत् आर्थिक विकास का अनुभव किया, जिसमें औसतन 8-9% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई। 
  • वर्ष 2007 में भारत विश्व की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा। 
  • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान डॉ. सिंह ने प्रभावी नेतृत्व प्रदान किया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को संकट से उबारा गया।
  • उनके पहले कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) जैसे महत्वपूर्ण कानून पारित किए गए। इन कानूनों ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को लाभ पहुँचाया और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की।
  • डॉ. सिंह के दूसरे कार्यकाल में कई प्रमुख विधायकों को पारित किया गया, जिनमें निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 शामिल हैं।
  • ये सभी कानून समानता, न्याय और पारदर्शिता पर केंद्रित थे, जिनसे भारतीय समाज में व्यापक रूप से सुधार हुआ।

 

विदेश नीति और वैश्विक संबंध :

 

  • डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते (2008) में अहम भूमिका निभाई, जिसने अमेरिका और अन्य देशों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग को बढ़ावा दिया। 
  • इसके अतिरिक्त, उन्होंने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया, जैसे कि साइप्रस में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (1993) और वियना में मानवाधिकार पर विश्व सम्मेलन (1993) में भारत का नेतृत्व किया।

 

सम्मान और पुरस्कार :

  • डॉ. मनमोहन सिंह को उनके अद्वितीय योगदान के लिए देश और विदेश में भी कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। 
  • उन्हें पद्म विभूषण (1987), जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंचुरी अवार्ड (1995), और वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्री पुरस्कार (एशिया मनी, 1993, 1994) और यूरो मनी, 1993 इत्यादि जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 
  • इसके अलावा, उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से एडम स्मिथ पुरस्कार (1956) और राइट पुरस्कार (1955) भी प्रदान किया गया है।

 

भारत के वर्तमान राजनेताओं को डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व से सीखने योग्य महत्वपूर्ण बातें : 

 

नीति की व्यावहारिकता और शैक्षणिक दृष्टिकोण :

  • डॉ. मनमोहन सिंह का गहरा आर्थिक ज्ञान यह सुनिश्चित करता था कि उनके द्वारा किए गए फैसले कठोर सिद्धांतों और वास्तविक डेटा पर आधारित होते थे, जिससे उनकी नीतियाँ दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करती थीं। उन्होंने हमेशा शैक्षणिक उत्साह को व्यावहारिक समाधान के रूप में लागू किया, जो उनके कार्यक्रमों को स्थिर और प्रभावी बनाता था।

 

संवाद और विचारों का आदान-प्रदान से सहकार्य का महत्व :

  • डॉ. मनमोहन सिंह की नेतृत्व शैली संवाद और शिक्षा पर आधारित थी। वे अपने विचारों के लिए खुले रहते थे और विभिन्न क्षेत्रों से विचारों को स्वीकार करते हुए एक परामर्शात्मक दृष्टिकोण अपनाते थे, जिससे उनकी नीतियाँ ज्यादा समावेशी और प्रभावी बनती थीं।

 

सिद्धांतों और व्यावहारिकता के बीच का संतुलन स्थापित करना :

  • डॉ. मनमोहन सिंह ने राजनीतिक और सामाजिक स्वीकार्यता को ध्यान में रखते हुए सुधारों को धीरे-धीरे लागू किया, जैसे कि 1991 में किए गए आर्थिक उदारीकरण के चरणबद्ध उपाय। इससे यह सिद्ध होता है कि उन्होंने सिद्धांतों का पालन करते हुए व्यावहारिकता को भी प्राथमिकता दी।

 

समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता :

  • डॉ. मनमोहन सिंह ने सामाजिक समानता और समावेशी विकास के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और शिक्षा के अधिकार अधिनियम जैसे अधिकार आधारित पहल किए, जिनसे समाज के हर वर्ग के लिए अवसर सुनिश्चित हुए। साथ ही, उन्होंने बाज़ार-उन्मुख सुधारों का भी समर्थन किया, जो देश की आर्थिक वृद्धि के लिए आवश्यक थे।

 

ईमानदारी और नैतिक नेतृत्व :

  • डॉ. सिंह ने अपनी ईमानदारी और नैतिकता के साथ नेतृत्व किया। वे भ्रष्टाचार और अनैतिकता के मामलों में हमेशा स्पष्ट रहे, जैसे कि हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाले (1992) के संदर्भ में उनके इस्तीफे की तत्परता ने यह प्रदर्शित किया कि वे अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देते थे।

 

संस्थाओं को मजबूत करना :

  • डॉ. सिंह का मानना था कि मजबूत संस्थाएँ देश की नीति को सही दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और योजना आयोग जैसी प्रमुख संस्थाओं को सशक्त किया, ताकि नीतियाँ स्वतंत्र रूप से और राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुसार लागू की जा सकें।

 

प्रतिकूल परिस्थितियों में भी शांतिपूर्वक नेतृत्व करना :

  1. राजनीतिक चुनौतियों और असफलताओं के बावजूद, डॉ. सिंह ने हमेशा शांत और संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा। 
  2. उनकी आलोचनाओं और विरोधों के बावजूद, उन्होंने उन्हें अवसरों में बदलने में सफलता पाई। 
  3. वर्ष 2014 में चुनावी हार को भी वे सम्मानपूर्वक संभालते हुए अपने नेतृत्व की स्थिरता और गरिमा बनाए रखते थे। 
  4. इससे यह सीखने को मिलता है कि कठिन समय में भी संयम बनाए रखना और स्थिति का सही तरीके से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण होता है।
  5. इन पहलुओं से यह स्पष्ट होता है कि डॉ. मनमोहन सिंह का नेतृत्व सिद्धांत, व्यावहारिकता, नैतिकता और संस्थागत सशक्तिकरण का आदर्श उदाहरण था, जिससे आज भी सीख ली जा सकती है।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं इंडियन एक्सप्रेस।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. डॉ. मनमोहन सिंह के दूसरे प्रधानमंत्री कार्यकाल में कौन सा महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया गया था?

  1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
  2. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
  3. सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)
  4. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013

उपर्युक्त में से कौन सा विकल्प सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. केवल 1 और 2 

D. केवल 1 और 4 

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. डॉ. मनमोहन सिंह के सार्वजानिक जीवन और राजनीतिक योगदान को देखते हुए, क्या वर्तमान भारत के राजनेताओं को उनकी नेतृत्व शैली और आर्थिक नीतियों से सीखने की आवश्यकता है? यदि हाँ, तो कैसे उनकी नीतियों और उनके आर्थिक दृष्टिकोण को आज के भारत में लागू किया जा सकता है? तर्कसंगत चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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