भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) की कार्यप्रणाली : सुरक्षा से गुणवत्ता तक

भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) की कार्यप्रणाली : सुरक्षा से गुणवत्ता तक

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के ‘ कृषि, पर्यावरण – प्रदूषण और उससे संबंधित खतरे, कीटनाशक विषाक्तता का खतरा, FSSAI के दिशा – निर्देश और भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) , कीटनाशक विषाक्तता , कोडेक्स एलिमेंटेरियस , खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006, राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक ’ से संबंधित है।)

खबरों में क्यों ? 

  • हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने जड़ी-बूटियों और मसालों में कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) को 0.01 मिलीग्राम/किलोग्राम से बढ़ाकर 0.1 मिलीग्राम/किलोग्राम करने का निर्णय लिया है। 
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) के इस निर्णय ने वैज्ञानिकों और खाद्य विशेषज्ञों के बीच गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दी है, जिन्होंने इस निर्णय को अवैज्ञानिक, अतार्किक और अपुष्ट माना है।
  • इस बढ़ोतरी से स्वास्थ्य जोखिमों और भारतीय खाद्य उत्पादों के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव की आशंका बढ़ गई है। 
  • पहले, FSSAI ने कोडेक्स एलिमेंटेरियस द्वारा निर्धारित MRL का समर्थन किया था, जो भारतीय कीटनाशकों के लिए डेटा की कमी को स्वीकार करता था। 
  • हाल ही में FSSAI द्वारा जारी इस नए आदेश में, FSSAI ने MRL को दस गुना बढ़ा दिया है।

 

क्या होता है कीटनाशक विषाक्तता ? 

 

  • कीटनाशक विषाक्तता से तात्पर्य है कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग या दुरुपयोग के परिणामस्वरूप मनुष्यों और पशुओं में उत्पन्न होने वाले हानिकारक प्रभाव। इसे मुख्यतः दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: 
  • तीव्र विषाक्तता : यह तब होती है जब किसी व्यक्ति या पशु द्वारा कम समय में बड़ी मात्रा में कीटनाशक का सेवन किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप तुरंत स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • दीर्घकालिक विषाक्तता : यह लंबे समय तक छोटी मात्रा में कीटनाशकों के संपर्क में रहने से होती है। इसके परिणामस्वरूप कैंसर, हार्मोनल असंतुलन, और अन्य गंभीर बीमारियाँ जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ विकसित हो सकती हैं।
  • कीटनाशकों का उपयोग कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में किया जाता है, जिसमें कीटों को नष्ट करना और उनकी पुनरावृत्ति को रोकना शामिल है। हालांकि, इनका अत्यधिक या अनुचित उपयोग मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • भारत में कीटनाशकों का विनियमन “कीटनाशक अधिनियम, 1968” और “कीटनाशक नियम, 1971” के तहत किया जाता है। ये नियम कीटनाशकों के पंजीकरण, उत्पादन और बिक्री को नियंत्रित करते हैं और इन्हें भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा लागू किया जाता है। इसलिए, कीटनाशकों के उपयोग में सतर्कता और उचित विनियमन सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।

 

कीटनाशकों के प्रकार :

कीटनाशक विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं – 

  • कीटनाशक : कीड़ों और कीटों से पौधों की रक्षा के लिए उपयोग में लाए जाने वाले रसायन।
  • कवकनाशी : पौधों में कवक रोगों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन।
  • शाकनाशी : खरपतवारों को समाप्त करने या उनकी वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कृषि क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले रसायन।
  • जैव-कीटनाशक : जानवरों, पौधों, बैक्टीरिया आदि से प्राप्त जैविक मूल के कीटनाशक।
  • अन्य कीटनाशक : पादप वृद्धि नियामक, सूत्रकृमिनाशक (नेमाटीसाइड), कृंतकनाशक और धूम्रकारी (फ्यूमिगेंट)।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कीटनाशक विषाक्तता कृषि श्रमिकों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके प्रतिकूल प्रभावों में कैंसर, प्रजनन संबंधी समस्याएँ, प्रतिरक्षा तंत्र में बाधाएँ और तंत्रिका तंत्र पर दुष्प्रभाव होना शामिल शामिल है। 

 

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) :

 

 

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना 5 सितंबर 2008 को की गई थी। 
  • FSSAI का मुख्य कार्य पूरे भारत में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की जाँच करना और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। यह संस्था खाद्य पदार्थों में मिलावट पर नियंत्रण रखती है और खाद्य पदार्थों के आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और निगरानी के लिए वैज्ञानिक आधारित मानकों का निर्माण करती है। 
  • इसके अतिरिक्त, FSSAI खाद्य व्यवसायियों को प्रमाणन देने और खाद्य संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने का कार्य भी करती है।

 

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की संरचना : 

 

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) में प्रमुख सदस्यों की एक विशिष्ट संरचना होती है ।  
  • इसमें एक अध्यक्ष और 22 अन्य सदस्य शामिल होते हैं, जिनमें से कम से कम एक-तिहाई महिला सदस्य होने चाहिए। 
  • इन सदस्यों में विभिन्न क्षेत्रों के जैसे कि खाद्य विज्ञान, चिकित्सा, पोषण, और अन्य संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
  • FSSAI का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसका देश भर में क्षेत्रीय कार्यालय हैं। 
  • FSSAI के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसके अध्यक्ष ही इस संस्था के प्रमुख होते हैं। 
  • FSSAI के वर्तमान अध्यक्ष श्री राजेश भूषण हैं। 
  • इसके अलावा, FSSAI में विभिन्न विशेषज्ञ समितियाँ और पैनल भी होते हैं, जो खाद्य सुरक्षा और मानकों से संबंधित विशेष मुद्दों पर सलाह देने का कार्य करते हैं। 
  • FSSAI के सदस्यों की संरचना इस प्रकार डिजाइन की गई है कि यह खाद्य सुरक्षा और मानकों के क्षेत्र में विविधता और विशेषज्ञता को सुनिश्चित कर सके। 
  • इससे खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों को उच्च स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • FSSAI खाद्य सुरक्षा और मानकों से संबंधित सभी मामलों के लिए एक एकल संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य करता है, जिससे खाद्य पदार्थों के विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को नियंत्रित किया जा सके।

 

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का प्रमुख कार्य और क्षेत्राधिकार :

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण जिनकी स्थापना खाद्य सुरक्षा और मानकों के नियमन के लिए भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है और जिसकी स्थापना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत की गई थी के प्रमुख कार्य एवं क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं –  

  1. खाद्य सुरक्षा के खतरों की पहचान करना : यह खाद्य खपत, संदूषण, और उभरते जोखिमों के संबंध में डेटा एकत्र करता है और खाद्य सुरक्षा के खतरों की पहचान करता है।
  2. लाइसेंसिंग और पंजीकरण प्रदान करना : यह खाद्य व्यवसायों से संबंधित लाइसेंस और पंजीकरण प्रदान करता है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  3. विनियमन और मानक निर्धारण करने का अधिकार :  FSSAI के पास खाद्य पदार्थों, उनके योजकों और संबंधित उत्पादों के लिए विनियमों और मानकों को निर्धारित करने का अधिकार होता है।
  4. मानकों में संशोधन और विस्तार करना :  FSSAI ने मीड (हनी वाइन) और अल्कोहलिक रेडी-टू-ड्रिंक (RTD) पेय पदार्थों, दूध वसा उत्पादों, हलीम आदि के मानकों में संशोधन किया है।
  5. निरीक्षण और निगरानी से संबंधित प्रवर्तन का अधिकार : यह संस्था खाद्य सुरक्षा कानूनों और विनियमों का प्रवर्तन करती है, जिसमें निरीक्षण और निगरानी शामिल है।
  6. खाद्य सुरक्षा मानकों के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास सुनिश्चित करना :  FSSAI खाद्य सुरक्षा मानकों के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए उत्तरदायी है और इसका अनुसंधान एवं विकास प्रभाग इस कार्य को संभालता है।
  7. व्यापार में सुगमता :  FSSAI ने खाद्य सुरक्षा और मानक नियमों को सरल और कारगर बनाने के लिए विभिन्न संशोधनों को मंजूरी दी है, जिससे व्यापार में सुगमता की सुविधा प्रदान होती है।

 

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के प्रमुख कार्यक्रम और अभियान : 

 

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम और अभियान आरंभ किया हुआ हैं। जो निम्नलिखित है – 

  • विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस : यह दिवस विश्व भर में खाद्य सुरक्षा के महत्व को उजागर करता है और लोगों को सुरक्षित खाद्य प्रथाओं के प्रति जागरूक करता है।
  • ईट राइट इंडिया : यह अभियान स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देने और खाद्य पदार्थों में पोषण मूल्य को समझने के लिए जन-जागरूकता फैलाने का प्रयास करता है।
  • ईट राइट स्टेशन : रेलवे स्टेशनों पर स्वस्थ और सुरक्षित खाद्य विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिए इस पहल की शुरुआत की गई है।
  • ईट राइट मेला : यह मेला खाद्य सुरक्षा, पोषण और स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों और प्रदर्शनियों का आयोजन करता है।
  • राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक : यह सूचकांक विभिन्न राज्यों में खाद्य सुरक्षा के मानकों का मूल्यांकन करता है और उन्हें रैंक प्रदान करता है।
  • RUCO (प्रयुक्त खाना पकाने के तेल का पुन: उपयोग) : इस पहल के तहत, प्रयुक्त खाना पकाने के तेल को इकट्ठा करके बायोडीजल में परिवर्तित किया जाता है।
  • खाद्य सुरक्षा मित्र : यह पहल खाद्य व्यवसायियों को खाद्य सुरक्षा के मानकों का पालन करने में सहायता प्रदान करती है।
  • 100 फूड स्ट्रीट्स : इस अभियान के अंतर्गत, चुनिंदा स्ट्रीट फूड क्षेत्रों को स्वच्छता और सुरक्षा के मानकों के अनुसार प्रमाणित किया जाता है। ये पहल न केवल भारत में खाद्य सुरक्षा के मानकों को बढ़ाती हैं, बल्कि लोगों को स्वस्थ खान-पान की ओर प्रेरित भी करती हैं।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के  स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के प्रभार में होता है।
  2. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण की रोकथाम (प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्टरेशन) अधिनियम, 1954 को प्रतिस्थापित किया है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें:

A. केवल 1 सही है।  

B. केवल 2 सही है।  

C. कथन 1 और 2 दोनों सही हैं।  

D. कथन 1 और 2 दोनों गलत हैं।

 उत्तर – विकल्प B

व्याख्या : 

  • कथन 1 गलत है, क्योंकि FSSAI केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन होता है, न कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के प्रभार में होता है। 
  • कथन 2 सही है, क्योंकि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण की रोकथाम अधिनियम, 1954 को प्रतिस्थापित किया है।

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों के समाधान के लिए अपनाई गई नीतियों को रेखांकित करते हुए यह विश्लेषण करें कि FSSAI के हालिया आदेश के तहत भारत में जड़ी-बूटियों और मसालों में कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) बढ़ाने से  कीटनाशक विषाक्तता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है ? (UPSC – 2022) ( शब्द सीमा – 250 अंक- 15 )

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