18 Jan भारत का संविधान और समाज : ऑनर किलिंग के खिलाफ संघर्ष
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था , भारतीय संविधान , सामाजिक न्याय , ऑनर किलिंग से निपटने के लिए आवश्यक सुधार , न्यायिक दृष्टिकोण और विधिक प्रावधान ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ ऑनर किलिंग , मूल अधिकार , लिंगानुपात ,भारतीय न्याय संहिता (BNS) , विधि आयोग , सर्वोच्च न्यायालय , राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़े ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत के तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ लड़कियों को उनके परिवारवालों ने केवल इस कारण गोली मार दी कि वे अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करना चाहती थीं, जो उनके परिवार की इच्छा के खिलाफ था।
ऑनर किलिंग किसे कहते हैं ?
- ऑनर किलिंग एक ऐसी हत्या को कहते हैं जो पारिवारिक, जाति, धार्मिक या सामुदायिक प्रतिष्ठा के सम्मान की रक्षा के नाम पर की जाती है। यह हत्या अक्सर परिवार के किसी सदस्य, खासकर महिला, द्वारा अपने चयन के जीवनसाथी के साथ विवाह करने पर की जाती है, जो भारत में पारंपरिक पारिवारिक व्यवस्था या सामाजिक मानकों के खिलाफ होता है। यह कृत्य सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक दबावों के तहत किया जाता है। यह भारत में परिवार के तथाकथित “ नाक के सम्मान ” की रक्षा के नाम पर किया जाता है।
भारत में ऑनर किलिंग से संबंधित प्रमुख आँकड़े :
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में 2019 और 2020 में ऑनर किलिंग की घटनाएँ 25-25 थीं, जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 33 हो गई। हालांकि, वास्तविक आँकड़े इससे कहीं अधिक हो सकते हैं।
ऑनर किलिंग का प्रमुख कारण :
- भारतीय सामाजिक व्यवस्था का जातिवादी होना : जाति व्यवस्था का उल्लंघन होने के डर से हिंसा को बढ़ावा मिलता है, विशेषकर जब विवाह अंतर्जातीय या समान गोत्र में होता है।
- भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक सोच : महिलाओं को अपने जीवनसाथी के चुनाव का अधिकार नहीं दिया जाता, और विवाह को पारिवारिक सम्मान से जोड़ा जाता है।
- खाप पंचायतों का मौजूद होना : भारत में ये पंचायतें जातिगत मानदंडों के उल्लंघन पर हत्या तक का दंड देती हैं।
- भारत में लैंगिक अनुपात में असंतुलन होना : महिला-पुरुष अनुपात में असंतुलन के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती है।
- सामाजिक स्थिति में तथाकथित प्रतिष्ठा का होना : पारिवारिक सम्मान को व्यक्तिगत इच्छाओं और निर्णयों से परे प्राथमिकता दी जाती है।
भारत में ऑनर किलिंग के परिणाम :
- मूल अधिकारों और मानवाधिकार का उल्लंघन होना : ऑनर किलिंग जीवन के मूल अधिकारों का उल्लंघन करती है और पितृसत्तात्मक संरचनाओं को मजबूती देती है।
- मनोविज्ञान संबंधी अभिघात और दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने संबंधी सामाजिक प्रभाव : इससे जीवित बचे परिवार और समुदाय गहरे मानसिक आघात से जूझते हैं।
- विधिसम्मत शासन संचालन का प्रभावित होना : भारत में ऑनर किलिंग के खिलाफ प्रभावी कानून की कमी और समाज में अपराधियों के समर्थन के कारण अपराधी दंड से बच जाते हैं।
- सामाजिक व्यवस्था में व्याप्त सांस्कृतिक पिछड़ापन : यह महिलाओं के शिक्षा और रोजगार के अधिकारों में रुकावट डालता है।
- ऑनर किलिंग का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव : इस तरह की हिंसा वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में देखी जाती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय संबंध प्रभावित होते हैं।
- ऑनर किलिंग को सामान्य हत्या के रूप में माने जाने का प्रावधान होना : भारत में ऑनर किलिंग को भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत सामान्य हत्या के रूप में ही माना जाता है, क्योंकि इसे विशेष रूप से संबोधित करने के लिए कोई अलग कानून नहीं है।
भारत में ऑनर किलिंग के विरुद्ध विधायी प्रयास :
- वर्ष 2011 में “विधिविरुद्ध जमाव का प्रतिषेध (वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप) विधेयक” पेश किया गया था, जो जाति पंचायतों द्वारा की जाने वाली अवैध सभाओं और हस्तक्षेपों पर रोक लगाने का प्रयास था, लेकिन यह विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था।
- भारतीय विधि आयोग की 242वीं रिपोर्ट (2012) में ऑनर किलिंग के खिलाफ स्पष्ट कानूनी दिशा-निर्देशों की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
भारत में ऑनर किलिंग की रोकथाम हेतु मुख्य विधिक प्रावधान :
- भारतीय दंड संहिता की धारा 299-304 : इस धारा के तहत हत्या और मानव वध के दोषियों को दंडित किया जाता है। इसमें हत्या और आपराधिक मानव वध के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा हो सकती है।
- सदोष मानव वध : जब किसी व्यक्ति की मृत्यु लापरवाही या आपराधिक उद्देश्य के कारण होती है, तो उसे दोषी माना जाता है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 307 : भारत में ऑनर किलिंग के मामले में इस धारा के तहत हत्या के प्रयास करने वाले को 10 वर्ष तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 308 : इस धारा के तहत गैर-इरादतन हत्या के प्रयास के लिए तीन वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 34 और 35 : इन धाराओं के तहत, जब एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा आपराधिक कृत्य किया जाता है, तो उन सभी को दंडित किया जा सकता है।
भारत में ऑनर किलिंग से संबंधित प्रमुख न्यायिक निर्णय :
- लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2006) : सर्वोच्च न्यायालय ने ऑनर किलिंग को एक क्रूर कृत्य मानते हुए इसके अपराधियों के लिए कड़ी सजा की आवश्यकता पर जोर दिया। कोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा की निंदा की।
- उत्तर प्रदेश राज्य बनाम कृष्णा मास्टर (2010) : उत्तर प्रदेश राज्य बनाम कृष्णा मास्टर केस में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऑनर किलिंग के आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और जघन्य अपराधों के लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया था।
- अरुमुगम सेरवाई बनाम तमिलनाडु राज्य (2011) : अरुमुगम सेरवाई बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि माता-पिता अपने बच्चों के अंतरजातीय विवाह को लेकर उन्हें धमका या परेशान नहीं कर सकते। कोर्ट ने सरकार को अंतरजातीय दंपतियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने और उत्पीड़न रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था।
- शक्ति वाहिनी केस (2018) : इस केस में भारत के उच्चत्तम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि ऑनर किलिंग मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और ऐसे अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को पारिवारिक खतरों का सामना कर रहे दंपतियों को सुरक्षा प्रदान करने और विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करने का निर्देश दिया था।
समाधान की राह :
- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप नए कानूनों को बनाने की आवश्यकता : ऑनर किलिंग के खिलाफ एक विशेष कानून की आवश्यकता है जो ऑनर किलिंग के खिलाफ लक्षित सुरक्षा प्रदान करे, जवाबदेही सुनिश्चित करे, कानूनी प्रक्रियाओं को मानकीकृत करे, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप हो और सामाजिक बदलाव को बढ़ावा दे।
- सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति में और चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाना : भारत में ऑनर किलिंग के दोषियों को कम से कम पाँच वर्षों तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इससे यह संदेश जाएगा कि ऐसे व्यक्ति सार्वजनिक पदों पर नहीं हो सकते और उनकी गतिविधियों को समाज में स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह कदम पंचायतों और जातिगत भेदभाव से उत्पन्न हिंसा को रोकने में सहायक होगा।
- विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने की अत्यंत आवश्यकता : ऑनर किलिंग के मामलों में त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाना चाहिए। इससे न्याय में देरी कम होगी और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी।
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में संशोधन करने की अत्यंत आवश्यकता : भारत में विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में संशोधन करके विवाह पंजीकरण की अवधि को एक महीने से घटाकर एक सप्ताह किया जाना चाहिए, ताकि विवाह के दौरान उत्पन्न होने वाले खतरों और हिंसा से बचा जा सके।
- ऑनर किलिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की एवं भारतीय दंड संहिता में एक नया प्रावधान जोड़े जाने की अत्यंत आवश्यकता : भारतीय दंड संहिता में एक नया प्रावधान जोड़ा जाए, जिसमें ऑनर किलिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए और इसके लिए सजा का निर्धारण किया जाए, ताकि न्यायिक प्रणाली को ऐसे अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने और उन्हें रोकने में मदद मिल सके।
स्त्रोत – केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का आधिकारिक वेबसाईट, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) एवं इंडियन एक्सप्रेस।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 18th Jan 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ऑनर किलिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसके तहत भारतीय दंड संहिता में नया प्रावधान जोड़ा जाना चाहिए।
- भारत में महिलाओं को अपने पसंद से विवाह करने के अधिकार को रद्द करना चाहिए।
- भारत में केवल परंपरागत विवाह विधियों का पालन करना चाहिए।
- भारत में विशेष विवाह पंजीकरण की अवधि घटानी चाहिए।
उपर्यक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 1 और 4
C. केवल 2 और 3
D. केवल 2 और 4
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में ऑनर किलिंग के प्रमुख कारणों, परिणाम, विधायी प्रयास, सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख निर्णयों को रेखांकित करते हुए भारत में ऑनर किलिंग के उन्मूलन हेतु समाधानों पर चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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