भारत में गिग अर्थव्यवस्था : अवसरों और चुनौतियों की नई राह

भारत में गिग अर्थव्यवस्था : अवसरों और चुनौतियों की नई राह

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , औद्योगिक नीति , विकास से संबंधित मुद्दे , सामाजिक सुरक्षा एवं श्रम कल्याण , भारत में गिग अर्थव्यवस्था का योगदान और श्रम बाजार की गतिशीलता ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ गिग अर्थव्यवस्था, ई-श्रम पोर्टल, चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स द्वारा प्रकाशित श्वेत पत्र के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था के तहत आने वाली गिग अर्थव्यवस्था क्षेत्र में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) देखने को मिल सकती है। 
  • इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2024 के आखिरी तक इसका आकार 455 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा, जो भारत में आर्थिक विकास और रोजगार के नए अवसरों को उत्पन्न करेगा।

 

गिग अर्थव्यवस्था क्या होता है ?

 

  • गिग अर्थव्यवस्था वह श्रम बाजार है जिसमें अस्थायी, लचीले और अल्पकालिक रोजगार अवसर उपलब्ध होते हैं, जो मुख्य रूप से डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से संचालित होते हैं। 
  • इस व्यवस्था में पारंपरिक स्थिर और पूर्णकालिक नौकरियों के बजाय कार्य-आधारित अनुबंधों पर काम करने वाले व्यक्ति या कंपनियाँ शामिल होती हैं।
  • अर्थव्यवस्था के इस मॉडल/ प्रणाली में गिग श्रमिकों (या फ्रीलांसरों) को उनके द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य के लिए भुगतान किया जाता है। 
  • इसके प्रमुख कार्यक्षेत्रों में फ्रीलांसिंग, खाद्य वितरण सेवाएँ और डिजिटल कार्य शामिल होते हैं। 
  • गिग अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें श्रमिकों को अपनी कार्य-स्थल और समय का चयन करने की स्वतंत्रता मिलती है।
  • गिग अर्थव्यवस्था का प्रभाव श्रम बाजार में महिलाओं को विशेष रूप से लाभ पहुंचाता है, क्योंकि यह उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का संतुलन बनाने का अवसर देता है।
  • श्रम बाजार में गिग अर्थव्यवस्था के तहत यह महिलाओं को उनके कौशल विकास के लिए भी अनुकूल है, जिससे वे विभिन्न कार्यों में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकती हैं और अपनी आय में वृद्धि कर सकती हैं।
  • भारत के अर्थव्यवस्था के तहत आनेवाली व्यवसायों के लिए, गिग अर्थव्यवस्था लागत प्रभावी श्रम और विशिष्ट कौशल वाले श्रमिकों तक पहुँच प्रदान करती है, जिससे कंपनियाँ बिना दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के, परियोजनाओं की जरूरत के हिसाब से अपने कार्यबल का विस्तार कर सकती हैं।

 

भारत में गिग अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति : 

  • भारत में गिग अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में लगभग 7.7 मिलियन गिग श्रमिक थे, और वित्तीय – वर्ष 2029-30 तक यह संख्या बढ़कर 23.5 मिलियन तक पहुँचने की संभावना जताई जा रही है। इस क्षेत्र में विभिन्न कौशल स्तरों के श्रमिक और रोजगार शामिल हैं, जिनमें विशेष रूप से मध्यम-कुशल श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। गिग अर्थव्यवस्था के विस्तार में ई-कॉमर्स, परिवहन और वितरण जैसे प्रमुख क्षेत्र अहम भूमिका निभा रहे हैं, जो लचीले कार्य ढांचे की बढ़ती मांग से लाभान्वित हो रहे हैं।

 

भारत में गिग अर्थव्यवस्था के तेजी से वृद्धि के प्रमुख कारण :

 

  1. डिजिटल विस्तार का होना : भारत में 936 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से ग्रामीण इलाकों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। इस डिजिटल विस्तार ने गिग अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत आधार तैयार किया है।
  2. स्मार्टफोन की उपलब्धता और उसका बढ़ता उपयोग : भारत में वर्तमान समय में लगभग 650 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं, और स्मार्टफोन की घटती कीमतों के कारण स्मार्टफोन अब निम्न आय वर्ग के लिए भी सुलभ हो गए हैं, जिससे इंटरनेट का उपयोग और गिग कार्य में तेजी से वृद्धि हो रही है।
  3. स्टार्टअप और ई-कॉमर्स का विकास और प्रसार : स्टार्टअप और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में विकास के लिए लचीले श्रमिकों की आवश्यकता बढ़ी है, जो गिग अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रहे हैं। सामग्री निर्माण, विपणन, और लॉजिस्टिक्स जैसे कार्यों में गिग श्रमिकों की मांग बढ़ रही है।
  4. उपभोक्ता सुविधा की बढ़ती मांग : शहरी क्षेत्रों में खासकर वितरण और ग्राहक सेवा क्षेत्रों में खाद्य वितरण और त्वरित सेवाओं की बढ़ती मांग ने गिग श्रमिकों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।
  5. कम लागत पर श्रम उपलब्धता का होना : औपचारिक रोजगार के अवसरों की कमी के कारण, गिग श्रमिकों के लिए तैयार अर्द्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों का एक बड़ा समूह उत्पन्न हुआ है, जिससे इन प्लेटफार्मों को कम मजदूरी पर और खराब कार्य परिस्थितियों के बावजूद भी कम लागत पर श्रमिक उपलब्ध हो रहे हैं।
  6. उच्च बेरोजगारी और आर्थिक दबाव का होना : बढ़ती बेरोज़गारी, अल्पकालिक रोजगार, आय असमानताएँ और बढ़ती जीवन लागत के कारण लोग गिग कार्य को जीविका और विकास का एक प्रमुख साधन मानने लगे हैं।
  7. बदलती कार्य प्राथमिकताएँ : युवा पीढ़ी कार्य-जीवन संतुलन और लचीलापन को ज्यादा महत्व देती है, और वे ऐसे गिग कार्य को चुनते हैं जिसमें परियोजना चयन, कम घंटों में कार्य करने का लचीलापन होने से और दूरस्थ क्षेत्रों में कार्य करने की सुविधा होती है। इससे लोग गिग अर्थव्यवस्था से जुड़े कार्यों को चुनते हैं।

 

भारत में गिग अर्थव्यवस्था का रोजगार सृजन में योगदान : 

 

  • वर्ष 2030 तक, गिग अर्थव्यवस्था द्वारा भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1.25% का योगदान होने और लगभग 90 मिलियन नए रोजगार अवसरों का सृजन होने की संभावना है। 
  • इस अवधि तक, गिग श्रमिकों की संख्या भारत के कुल कार्यबल का 4.1% तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे यह भारतीय श्रम बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा।
  • गिग अर्थव्यवस्था विशेष रूप से टियर-II और टियर-III शहरों में श्रमिकों के लिए वैकल्पिक आय स्रोत प्रदान करती है, जहाँ विकास तेज़ी से हो रहा है। 
  • महिलाओं को आय के नए अवसर मिलते हैं, जिससे उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता और कार्यबल में समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मिलता है। 
  • भारत में गिग अर्थव्यवस्था में पहले उच्च आय वाले पेशेवरों और सलाहकारों का प्रभुत्व था, लेकिन अब यह क्षेत्र प्रवेश स्तर के श्रमिकों और लचीले कार्य विकल्पों के इच्छुक युवाओं के बीच भी लोकप्रिय हो गया है।
  • आधुनिक तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), पूर्वानुमान विश्लेषण और डिजिटल नवाचार के माध्यम से, गिग अर्थव्यवस्था रोजगार सृजन और आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक बनने के लिए तैयार है।

 

भारत में गिग श्रमिकों को समक्ष मुख्य चुनौतियाँ :

 

  1. नौकरी की असुरक्षा : गिग श्रमिकों में स्थिरता की कमी एक प्रमुख चिंता का विषय है, विशेष रूप से अकुशल श्रमिकों के बीच। लगभग 20% गिग श्रमिक इसे सबसे बड़ी समस्या मानते हैं, और सुरक्षा गार्ड जैसे श्रमिकों को अनियमित आय के कारण वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
  2. गिग श्रमिकों को विलंबित भुगतान के कारण होने वाले असंतोष का सामना करना : भारत में करीब 25% से अधिक गिग श्रमिक विलंबित भुगतान की समस्या का सामना करते हैं, जिससे उन्हें वित्तीय तनाव से बचने के लिए समय पर और पारदर्शी भुगतान चक्र की आवश्यकता महसूस होती है।
  3. आय में अस्थिरता : गिग कार्य में आय अप्रत्याशित होती है, जो मांग, प्रतिस्पर्धा और मौसमी प्रवृत्तियों पर निर्भर करती है। इससे वित्तीय योजना बनाना कठिन हो जाता है, और श्रमिकों को ऋण या क्रेडिट की सुविधा सीमित मिलती है।
  4. गिग श्रमिकों के लिए एक ठोस कानूनी और विनियामक ढाँचे का अभाव : भारत में गिग श्रमिकों के लिए एक ठोस कानूनी और विनियामक ढाँचे का अभाव है, जिसके कारण उन्हें उचित वेतन, कार्य परिस्थितियाँ और अधिकारों की सुरक्षा के बिना शोषण का सामना करना पड़ता है। गिग श्रमिक अक्सर असंगठित श्रमिकों के बीच आते हैं, जिससे उन्हें स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन और बीमा जैसे लाभों तक पहुँचने में कठिनाई होती है।
  5. कौशल और व्यक्तित्व विकास में सहायक होना : गिग श्रमिक, खासकर युवा और महत्वाकांक्षी लोग, कौशल विकास के अवसरों की कमी की शिकायत करते हैं। वे ऐसी नौकरियों की तलाश में हैं, जो उनके कॅरियर को आगे बढ़ाने में मदद कर सकें।

 

भारत में गिग वर्कर्स के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलें : 

 

 

  1. सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 : इस अधिनियम के तहत गिग वर्कर्स को एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में मान्यता दी गई है, और उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभों की सुविधा देने की योजना बनाई गई है। हालांकि, इसके विशेष नियम और कार्यान्वयन के लिए अभी भी राज्यों द्वारा अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
  2. ई-श्रम पोर्टल : यह पोर्टल श्रमिकों की जानकारी एकत्र करने और उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  3. प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना : इस योजना के तहत गिग श्रमिकों और अन्य असंगठित श्रमिकों को पेंशन की सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  4. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMSBY) : यह योजना गिग श्रमिकों के लिए जीवन बीमा कवर प्रदान करती है, जिससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिलती है।

 

राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलें : 

  1. राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण एवं कल्याण) अधिनियम, 2023 : यह कानून राज्य में गिग श्रमिकों के पंजीकरण और उनके कल्याण के लिए जरूरी प्रावधान करता है।
  2. कर्नाटक में गिग वर्कर्स पर विधेयक : कर्नाटक राज्य में गिग श्रमिकों से संबंधित विधेयक कर्नाटक में गिग श्रमिकों के लिए औपचारिक पंजीकरण, शिकायत निवारण तंत्र और पारदर्शी अनुबंधों को अनिवार्य करता है, हालांकि इसमें गिग श्रमिकों को स्वतंत्र ठेकेदार के रूप में वर्गीकृत करने की दिशा में कुछ विवाद भी हैं, जो उन्हें प्रमुख श्रम सुरक्षा से बाहर रखता है।

 

समाधान / आगे की राह :

 

 

  1. कौशल विकास का उन्नयन और कौशल निर्माण पहलों को बढ़ावा देना : कौशल निर्माण पहलों को बढ़ावा देना तथा व्यावसायिक संस्थानों के साथ सहयोग करना, ताकि गिग श्रमिकों को उच्च वेतन वाली नौकरियों एवं उद्यमशील उपक्रमों में जाने के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया जा सके।
  2. कानूनी रूप से सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता : भारत को कैलिफोर्निया और नीदरलैंड जैसे देशों से प्रेरणा लेते हुए गिग श्रमिकों को कर्मचारियों के रूप में पुनः वर्गीकृत करने पर विचार करना चाहिए, ताकि उन्हें न्यूनतम वेतन, विनियमित कार्य घंटे और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुरक्षा मिल सके।
  3. प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान और एक प्रभावी फीडबैक तंत्र स्थापित किया जाना जरूरी : भारत में एक प्रभावी फीडबैक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए, जो गिग श्रमिकों को प्लेटफार्मों द्वारा शोषण या भेदभाव जैसी समस्याओं की रिपोर्ट करने का अवसर दे, जिससे एक न्यायपूर्ण कार्य वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
  4. एक पोर्टेबल लाभ प्रणाली को लागू करना : भारत में गिग श्रमिकों के लिए एक पोर्टेबल लाभ प्रणाली लागू करना अत्यंत आवश्यक है, जिसके तहत श्रमिक बिना किसी नियोक्ता के बंधन के स्वास्थ्य बीमा, पेंशन योजनाओं और बेरोज़गारी लाभ जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकें, जो गिग श्रमिकों के कल्याण में एक महत्वपूर्ण सुधार कर सकता है।
  5. गिग अर्थव्यवस्था में कल्याण को प्राथमिकता देने संबंधी कंपनियों की पहल : अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ज़ोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियाँ गिग श्रमिकों के कार्य अनुभव को बेहतर बनाने के लिए सुरक्षा गियर, विश्राम क्षेत्र और पानी की सुविधा जैसी सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। गिग अर्थव्यवस्था में कल्याण को प्राथमिकता देने से इस क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि को सुनिश्चित किया जा सकता है।

 

स्रोत- पीआईबी एवं बिजनेस स्टैण्डर्ड।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. गिग अर्थव्यवस्था में महिलाओं को किस प्रकार से लाभ प्राप्त होता है?

  1. इससे उनके आय में वृद्धि का मौका मिलता है।
  2. इसके तहत महिलाएं  बिना किसी शैक्षिक योग्यता के कार्य कर सकती हैं।
  3. यह उन्हें व्यक्तिगत और उनके पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाने का अवसर प्रदान करता है।
  4. महिलाओं को गिग कार्य में पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में काम करने की गारंटी मिलती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में गिग अर्थव्यवस्था के विस्तार से रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में किस प्रकार का योगदान हो सकता है? इस संदर्भ में गिग श्रमिकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और इससे संबंधित नीतिगत सुधारों पर चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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