03 Dec मनरेगा कार्ड निरस्तीकरण : रोजगार के कानूनी अधिकारों का संघर्ष या सुधार ?
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , समावेशी विकास , रोजगार , भारत में सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ , विकास से संबंधित मुद्दे , मनरेगा और उससे संबंधित मुद्दे ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ मनरेगा योजना, ग्राम पंचायत, आधार-आधारित भुगतान प्रणाली, काम करने का कानूनी अधिकार, बेरोजगारी, बेरोजगारी भत्ता ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों?
- हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के तहत जॉब कार्डों से श्रमिकों के नाम हटाने में वृद्धि ने भारत में काम के अधिकार और उसके सही तरीके से लागू होने को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- वर्ष 2022-23 में अकेले 5.53 करोड़ से अधिक श्रमिकों को मनरेगा के जॉब कार्ड की सूची से बाहर कर दिया गयाहै , जो 2021-22 के मुकाबले 247% की वृद्धि को दर्शाता है।
मनरेगा योजना क्या है?
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को सितंबर 2005 में पारित किया गया था, ताकि मनरेगा योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कानूनी गारंटी सुनिश्चित किया जा सके।
- लक्ष्य : इस योजना का मुख्य उद्देश्य अकुशल शारीरिक श्रम में रुचि रखने वाले ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को हर वित्तीय वर्ष में 100 दिन का रोजगार प्रदान करना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका की सुरक्षा बढ़ सके।
पात्रता :
- लक्षित समूह : वह सभी ग्रामीण परिवार जो शारीरिक और अकुशल कार्य करने के इच्छुक हों।
- पंजीकरण : इच्छुक व्यक्ति ग्राम पंचायत में आवेदन प्रस्तुत करते हैं, जो सत्यापन के बाद परिवारों को पंजीकृत कर जॉब कार्ड जारी करते हैं।
- प्राथमिकता : नौकरी पाने वालों में कम से कम एक तिहाई महिलाएँ होनी चाहिए।
रोजगार की शर्तें :
- इस योजना के तहत कम से कम 14 दिनों तक लगातार रोजगार मिलना चाहिए, और प्रत्येक सप्ताह में अधिकतम छह कार्यदिवस होना चाहिए।
- रोजगार सुनिश्चित करने के तहत समय – सीमा का प्रावधान : इस योजना के तहत ग्राम पंचायत या ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी को आवेदक के गांव के 5 किलोमीटर के दायरे में 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध कराना होता है। 5 किलोमीटर से बाहर रोजगार प्रदान करने पर परिवहन और अन्य खर्चों के लिए 10% अतिरिक्त वेतन दिया जाता है।
- बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का प्रावधान : यदि मनरेगा के जॉब कार्ड धारक किसी श्रमिक को 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं मिलताहै , तो उसे बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है, जो पहले 30 दिनों के लिए मजदूरी का एक-चौथाई और उसके बाद कम से कम आधा होता है।
मनरेगा जॉब कार्ड हटाने के प्रमुख कारण क्या हैं ?
मनरेगा अधिनियम, 2005 की अनुसूची II, पैराग्राफ 23 के अनुसार, जॉब कार्ड को केवल विशेष और स्पष्ट शर्तों के तहत ही हटाया जा सकता है:
- स्थायी प्रवास : यदि कोई परिवार संबंधित ग्राम पंचायत से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो जाता है।
- डुप्लीकेट जॉब कार्ड : जब एक ही व्यक्ति के लिए एक से अधिक जॉब कार्ड पाये जाते हैं।
- जाली दस्तावेज : यदि जॉब कार्ड किसी नकली दस्तावेज़ के आधार पर जारी किया गया हो।
- क्षेत्र का पुनर्वर्गीकरण : यदि ग्राम पंचायत को नगर निगम में बदल दिया जाता है, तो उस क्षेत्र के सभी जॉब कार्ड हटा दिये जाते हैं।
- अन्य वैध कारण : जैसे “डुप्लीकेट आवेदक”, “फेक आवेदक” और “काम के लिए इच्छुक नहीं” जैसे कारण मनरेगा प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) में सूचीबद्ध हैं।
- आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) का प्रभाव : वर्ष 2022-23 में मनरेगा जॉब कार्ड विलोपन में वृद्धि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) के लागू होने के बाद हुई, जिसमें श्रमिकों को अपने आधार कार्ड को जॉब कार्ड से जोड़ना अनिवार्य हो गया। जिनके आधार कार्ड लिंक नहीं थे या गलत तरीके से लिंक थे, उनके जॉब कार्ड हटा दिए गए।
- विलोपन की प्रक्रिया : विलोपन के लिए प्रस्तावित श्रमिकों की सुनवाई दो स्वतंत्र व्यक्तियों की उपस्थिति में होनी चाहिए, और कारणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की जानी चाहिए। इसके बाद, कार्यवाही का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए और रिपोर्ट को ग्राम या वार्ड सभा के साथ साझा किया जाना चाहिए।
मनरेगा जॉब कार्ड हटाने के परिणाम :
- कार्य करने के अधिकार का उल्लंघन : “कार्य करने के लिए इच्छुक नहीं” के आधार पर श्रमिकों के नाम हटाना उनके विधिक अधिकारों का उल्लंघन है।
- असंगत प्रक्रिया : जॉब कार्ड हटाने के कारणों में कई बार ग्राम सभा की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती, जो कि इस अधिनियम का उल्लंघन है।
- सत्यापन की कमी : कई श्रमिक बिना उचित सत्यापन के हटाए गए, जिससे कई बार गलत तरीके से नाम हटाए जाते हैं।
- वंचित समुदाय पर प्रभाव : विशेष रूप से उच्च ग्रामीण बेरोजगारी दर के कारण “कार्य करने के लिए इच्छुक नहीं” जैसे कारणों से श्रमिकों का नाम हटाना उनकी आजीविका के अवसरों को प्रत्यक्ष रूप से कम करता है।
- डेटा-संचालित चिंताएँ : विलोपन की बढ़ोतरी एबीपीएस के बढ़ते प्रभाव के साथ मेल खाती है, जो यह संकेत करता है कि विलोपन अनुपालन उद्देश्यों से प्रेरित हो सकता है, न कि वास्तविक कारणों से। अतः इस योजना के तहत विलोपन के पीछे असली कारणों की बजाय अनुपालन और सिस्टम के प्रोत्साहन हो सकते हैं।
मनरेगा से संबंधित परियोजनाएँ :
- जल एवं भूमि विकास : संरक्षण और संचयन।
- वनरोपण और सूखा निवारण : वृक्षारोपण।
- सिंचाई और कृषि अवसंरचना : नहरें, तालाब, और सिंचाई।
- ग्रामीण संपर्कता : सड़कें और पुलिया।
- स्वच्छता और स्वास्थ्य : शौचालय और अपशिष्ट प्रबंधन।
- ग्रामीण बुनियादी ढाँचा : सामुदायिक केंद्र और भंडारण केंद्र।
- रोजगार से संबंधित परियोजनाएँ : खाद बनाना, पशुधन आश्रय, मत्स्य पालन।
- प्रतिबंध : भारत में मनरेगा ठेकेदारों और श्रमिक-विस्थापन मशीनों का उपयोग निषिद्ध है।
समाधान / आगे की राह :
- सत्यापन प्रक्रिया में मनरेगा अधिनियम और मास्टर सर्कुलर प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जाना : मनमाने या अनुचित तरीके से नाम हटाने की घटनाओं को कम करने और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए यह आवश्यक है कि चयन प्रक्रिया में मनरेगा अधिनियम, 2005 और मास्टर सर्कुलर प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जाए।
- पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और स्वतंत्र एजेंसियों के द्वारा लेखापरीक्षा सुनिश्चित किया जाना : इस योजना में पारदर्शिता और निरंतरता बनाए रखने के लिए, जॉब कार्ड हटाने के कारणों और रिकॉर्ड में किसी भी हेरफेर की समय-समय पर स्वतंत्र एजेंसियों या तीसरे पक्ष द्वारा लेखापरीक्षा की जानी चाहिए।
- एक स्पष्ट, प्रभावी और सुलभ शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करना आवश्यक : श्रमिकों को नाम हटाए जाने के मामलों में सही निवारण प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट, प्रभावी और सुलभ शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करना आवश्यक है, ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।
- ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण : यह सुनिश्चित किया जाए कि नाम हटाने की सभी प्रक्रिया की समीक्षा ग्राम सभा द्वारा की जाए और उसकी मंजूरी ली जाए, जैसा कि मनरेगा अधिनियम, 2005 में स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है।
- MIS प्रणाली में सुधार और उसको उन्नत किया जाना अत्यंत जरूरी : मनरेगा जॉब कार्ड की सही ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग को सुनिश्चित करने के लिए MIS प्रणाली को उन्नत किया जाए, जिसमें वास्तविक समय की अधिसूचना और सख्त रिपोर्टिंग सुविधाएं शामिल हों।
- डेटा विश्लेषण और समय पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित किया जाना : मनरेगा श्रमिकों के जॉब कार्ड के विलोपन की प्रवृत्तियों और अनियमितताओं का समय पर पता लगाने के लिए डेटा विश्लेषण का इस्तेमाल किया जाए, ताकि त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके।
स्रोत- द हिंदू।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में मनरेगा जॉब कार्ड निरस्तीकरण का क्या असर हो सकता है?
- इससे बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।
- इससे शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर में वृद्धि हो सकता है।
- इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
- इससे सामाजिक असमानताएँ बढ़ सकती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 4
B. केवल 2 और 4
C. इनमें से कोई नहीं
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ” मनरेगा जॉब कार्ड निरस्तीकरण भारत में रोजगार के कानूनी अधिकारों के संघर्ष का परिणाम है या इसे एक सुधार के रूप में देखा जा सकता है?” इस कथन के संबंध में भारत सरकार की मनरेगा से संबंधित नीतियों और उसके प्रभावों की चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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