मानव विकास सूचकांक 2025

मानव विकास सूचकांक 2025

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के अंतर्गत ‘ कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानव विकास सूचकांक और भारत के लिये इसके निहितार्थ, समावेशी विकास, मानव संसाधन, मानव विकास चुनौतियों से निपटने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ मानव विकास सूचकांक 2025, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, बहुआयामी गरीबी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, लैंगिक समानता, महिलाओं से संबंधित मुद्दे ’ खण्ड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों?

 

 

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट 2025 में भारत को 193 देशों और क्षेत्रों में 130वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। 
  • इस वर्ष की रिपोर्ट का शीर्षक “ए मैटर ऑफ चॉइस: पीपल एंड पॉसिबिलिटीज इन द एज ऑफ एआई” है, जिसमें यह बताया गया है कि भारत ने भले ही निरंतर प्रगति की हो, परंतु सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ अभी भी इसकी मानव विकास उपलब्धियों को सीमित कर रही हैं।

 

मानव विकास रिपोर्ट 2025 से संबंधित प्रमुख तथ्य : 

 

वैश्विक परिदृश्य : 

  1. मानव विकास में ठहराव की स्थिति : वैश्विक मानव विकास सूचकांक (HDI) की वृद्धि दर 1990 के बाद से सबसे कम रही है (सिर्फ 2020-21 की महामारी अवधि को छोड़कर)। यदि महामारी से पहले की रफ्तार बनी रहती, तो अधिकतर देश 2030 तक ‘बहुत उच्च’ HDI स्तर तक पहुँच सकते थे; अब इसमें कई वर्षों की देरी संभावित है।
  2. मानव विकास रिपोर्ट 2025 में शीर्ष और निम्न प्रदर्शन करने वाले देश : आइसलैंड ने 0.972 HDI स्कोर के साथ सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है, जबकि दक्षिण सूडान 0.388 स्कोर के साथ सबसे नीचे रहा।
  3. असमानता का बढ़ता दायरा : अमीर और गरीब देशों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है। जहाँ उच्च HDI वाले देश लगातार प्रगति कर रहे हैं, वहीं निम्न HDI वाले देश स्थिरता से जूझ रहे हैं।
  4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का बढ़ता प्रसार : यह रिपोर्ट बताती है कि AI का प्रसार तेजी से हो रहा है और विश्व स्तर पर हर पाँच में से एक व्यक्ति पहले से ही AI उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है।
  5. रोजगार पर AI का बढ़ता प्रभाव : जहाँ 60% लोग मानते हैं कि AI नए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, वहीं आधे लोगों को डर है कि यह उनकी मौजूदा नौकरियों को खत्म या बदल सकता है।
  6. मानव-केंद्रित AI की आवश्यकता : मानव विकास रिपोर्ट 2025 इस बात पर जोर देती है कि समावेशी और मानव-केंद्रित AI नीतियाँ जरूरी हैं, ताकि AI असमानता बढ़ाने या नौकरियाँ छीनने के बजाय मानव विकास में सकारात्मक योगदान दे सके।

 

मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग :

 

  1. भारत की HDI स्थिति : भारत ने 2022 में 133वें स्थान से तरक्की करते हुए 2023 में 130वाँ स्थान हासिल किया, जहाँ उसका HDI मान 0.676 से बढ़कर 0.685 हो गया।
  2. विकास की श्रेणी : देश अभी भी “मध्यम मानव विकास” वर्ग में है, हालाँकि वह “उच्च मानव विकास” (HDI ≥ 0.700) की सीमा के करीब पहुँच रहा है।
  3. क्षेत्रीय आधार पर तुलना : भारत के पड़ोसी देशों में चीन (78वाँ), श्रीलंका (89वाँ) और भूटान (125वाँ) भारत से आगे हैं, जबकि बांग्लादेश (130वाँ) भारत के समकक्ष है। नेपाल (145वाँ), म्यांमार (150वाँ) और पाकिस्तान (168वाँ) भारत से निचले पायदान पर हैं।

 

प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति :

 

  1. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि : भारत में जीवन प्रत्याशा 1990 के 58.6 वर्ष से बढ़कर 2023 में 72 वर्ष हो गई है, जो अब तक का उच्चतम स्तर है और महामारी के बाद एक मजबूत सुधार को दर्शाता है।
  2. स्वास्थ्य पहलों का योगदान : यह प्रगति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रयासों से संभव हुई है।
  3. शिक्षा का विस्तार : भारत में स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों में वृद्धि हुई है, अब बच्चों से औसतन 13 वर्ष तक स्कूल में रहने की उम्मीद है, जो 1990 में 8.2 वर्ष थी।
  4. शिक्षा नीतियों का प्रभाव : शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और समग्र शिक्षा अभियान जैसी पहलों ने शिक्षा तक पहुँच को बेहतर बनाया है, हालाँकि गुणवत्ता और सीखने के परिणामों पर अभी भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
  5. आय में वृद्धि : भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) 1990 में 2,167 अमेरिकी डॉलर (PPP पर) से चार गुना बढ़कर 2023 में 9,046 अमेरिकी डॉलर हो गई।
  6. भारतीय बहुआयामी गरीबी में कमी आना : इसके अतिरिक्त, 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले, जिससे HDI में सुधार हुआ।
  7. AI कौशल में अग्रणी : भारत स्व-रिपोर्टेड AI कौशल की उच्चतम पैठ के साथ एक वैश्विक AI लीडर के रूप में उभर रहा है।
  8. AI अनुसंधान में वृद्धि : भारतीय AI शोधकर्ताओं का अनुपात 2019 में लगभग शून्य से बढ़कर अब 20% हो गया है, जो देश में ही अनुसंधान गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

 

भारत के मानव विकास सूचकांक के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियाँ :

 

  • असमानता का गहरा प्रभाव : भारत के मानव विकास सूचकांक (HDI) में असमानता के कारण भारी गिरावट आई है, जो लगभग 30.7% है। यह इस क्षेत्र के देशों में सबसे अधिक नुकसानों में से एक है।
  • लैंगिक विषमताएँ : महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी (41.7%) और राजनीतिक क्षेत्र में उनका प्रतिनिधित्व अभी भी वांछित स्तर से कम है।
  • आशा की किरण : 106वाँ संविधान संशोधन, जो विधायिका में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करता है, एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) : मानव विकास की उत्प्रेरक शक्ति :

 

  1. उत्पादकता और आर्थिक प्रगति का इंजन : AI में उत्पादकता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की क्षमता है, और वैश्विक स्तर पर 70% उत्तरदाता इसके सकारात्मक प्रभाव को लेकर आशावादी हैं। नियमित कार्यों के स्वचालन के माध्यम से, AI विनिर्माण, सेवाओं और कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों को नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है।
  2. भारतीय अर्थव्यवस्था में AI का योगदान : गूगल की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 33.8 लाख करोड़ रुपये का योगदान कर सकता है, जो 2028 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने और GDP में 20% का योगदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  3. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में सुधार : रेडियोलॉजी में, AI सटीकता बढ़ाता है और उन असामान्यताओं का पता लगाता है जिन्हें मानवीय आँखें चूक सकती हैं, जबकि ऑन्कोलॉजी में यह रोगी डेटा के आधार पर व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ बनाने में सहायक है।
  4. स्वास्थ्य सेवा में AI की भूमिका : AI नैदानिक कार्यप्रवाहों को सुव्यवस्थित करता है, संसाधनों के आवंटन को अनुकूलित करता है और खासकर वंचित क्षेत्रों में दूरस्थ निगरानी तथा टेलीमेडिसिन का समर्थन करता है।
  5. चिकित्सा शिक्षा में क्रांति : AI वर्चुअल रियलिटी (VR) और अनुकूलित शिक्षा के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के कौशल में वृद्धि हो रही है।
  6. शिक्षा का कायाकल्प : AI अनुकूलित प्लेटफार्मों के माध्यम से व्यक्तिगत शिक्षण को संभव बनाता है, जिसमें विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में AI ट्यूटर्स और चैटबॉट्स से वास्तविक समय में सहायता मिलती है।
  7. शिक्षकों के लिए सहायक : यह शिक्षकों को छात्रों की प्रगति को ट्रैक करने और सीखने की कमियों को अधिक प्रभावी ढंग से पहचानने में भी मदद करता है।
  8. शासन में पारदर्शिता एवं सशक्तिकरण : AI भारत में सार्वजनिक सेवा वितरण को सरल बना रहा है, दक्षता में सुधार कर रहा है, पारदर्शिता बढ़ा रहा है और कल्याणकारी योजनाओं में धोखाधड़ी का पता लगाने में मदद कर रहा है।
  9. डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने में सहायक : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित MuleHunter.AI जैसे उपकरण, म्यूल बैंक खातों से जुड़े डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने में सहायक हैं।
  10. बहुभाषी संचार को बढ़ावा देना और भाषाई समावेशन : सरकार की भाषिनी परियोजना बहुभाषी संचार को बढ़ावा देती है, जो विभिन्न भाषाई समूहों तक नीतियों की पहुँच में सहायक है।
  11. असमानता का निवारण और समावेशन को प्रोत्साहन : AI उपकरण सेवा वितरण में कमियों की पहचान कर सकते हैं और विशेष रूप से वंचित समुदायों के लिए इन कमियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। मानव-केंद्रित डिजाइन के मार्गदर्शन में, AI अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित कर सकता है।

 

भारत द्वारा मानव विकास की राह में आने वाली चुनौतियों में समाधान की राह : 

 

 

  1. लैंगिक समानता की ओर अग्रसर होना : भारत को लैंगिक समानता को वास्तविकता बनाने के लिए 106वें संविधान संशोधन को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा, जो विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करता है, और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सशक्त बनाना होगा।
  2. महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण करना : प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया और डिजिटल फ्रीलांसिंग प्लेटफार्मों जैसी वित्तीय योजनाओं तक महिलाओं की पहुँच बढ़ाकर उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। महिला कार्यबल में भागीदारी बढ़ाने के लिए लचीले रोजगार के अवसर, कौशल विकास कार्यक्रम, क्रेच सुविधाओं का प्रावधान और विज्ञान ज्योति जैसी पहलों के माध्यम से STEM क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  3. लैंगिक हिंसा के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा और महिलाओं को व्यापक सहायता प्रदान करने का समर्थन करना : कानूनी सुधारों में लैंगिक हिंसा, बाल विवाह और कार्यस्थल पर भेदभाव के खिलाफ सख्त कानूनों का कार्यान्वयन शामिल होना चाहिए। हिंसा का सामना कर रही महिलाओं को व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए निर्भया फंड और वन स्टॉप सेंटरों को मजबूत करना भी महत्वपूर्ण है।
  4. असमानता की खाई को पाटने की जरूरत : बढ़ती असमानता, जो भारत के 2023 के गिनी गुणांक 0.410 में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, से निपटने के लिए सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और जन धन योजना जैसी समावेशी पहलों को और मजबूत करना चाहिए।
  5. दीर्घकालिक समावेशी विकास को सुनिश्चित करना : ये कार्यक्रम आय असमानता को कम करने में मदद करते हैं, लेकिन दीर्घकालिक रणनीतियों में भूमि अधिकारों में सुधार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित करना भी शामिल होना चाहिए। समावेशी विकास नीतियों के लिए सतत विकास लक्ष्य 10 को बढ़ावा देना और समान विकास के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का प्रभावी उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
  6. स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार को प्राथमिकता देने की जरूरत : भारत को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश बढ़ाना होगा और सभी के लिए पोषण सुनिश्चित करने के लिए पोषण अभियान जैसी योजनाओं को प्राथमिकता देनी होगी। इसके अलावा, शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार, NEP 2020 के तहत पाठ्यक्रम में सुधार और तकनीक-आधारित शिक्षा उपकरणों का उपयोग सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है।
  7. डिजिटल और वित्तीय समावेशन के लिए AI का सदुपयोग करने की जरूरत : सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि AI का उपयोग ई-स्वास्थ्य निगरानी, ई-लर्निंग और कृषि सलाहकार सेवाओं जैसी समावेशी सेवाओं के लिए किया जाए, और पारदर्शी नीतियों के माध्यम से नैतिक शासन सुनिश्चित किया जाए।
  8. रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत : रोजगार सृजन की नीतियों को विनिर्माण, हरित अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित होना चाहिए, साथ ही उभरते क्षेत्रों के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर भी ध्यान देना चाहिए। जन धन योजना, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) और डिजिटल साक्षरता अभियान जैसी पहलों के माध्यम से डिजिटल और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

निष्कर्ष :

 

  • भारत के मानव विकास सूचकांक में लगातार प्रगति लोगों-केंद्रित विकास में इसके दीर्घकालिक निवेश को दर्शाती है। हालाँकि, अपनी मानवीय क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए, भारत को न केवल एक नैतिक अनिवार्यता के रूप में बल्कि सतत प्रगति के लिए एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में भी असमानता का सामना करना होगा। मानव विकास सूचकांक 2025 स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि समावेशन कोई विकल्प नहीं है – यह अपरिहार्य है।
  • भारत की मानव विकास यात्रा में अब तक की प्रगति सराहनीय है, लेकिन भविष्य की दिशा स्पष्ट है कि समावेशिता और समान अवसर अब विकल्प नहीं, बल्कि यह अनिवार्यता हैं।
  • मानव विकास रिपोर्ट 2025 यही दर्शाती है कि सतत् और संतुलित प्रगति के लिए देश को नीति, संसाधन और दृष्टिकोण — तीनों स्तरों पर बदलाव लाना होगा।

स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू। 

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 08th May 2025

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. मानव विकास रिपोर्ट 2025 का शीर्षक क्या है? 

  1. मानव विकास में प्रगति 
  2. असमानता और मानव विकास 
  3. ए मैटर ऑफ चॉइस: पीपल एंड पॉसिबिलिटीज इन द एज ऑफ एआई 
  4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानव भविष्य

उत्तर – C

Q.2. मानव विकास रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत की मानव विकास में प्रगति को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

  1. सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ
  2. जीवन प्रत्याशा में गिरावट
  3. शिक्षा में सुधार
  4. बहुआयामी गरीबी में कमी

उपर्युक्त में से कौन सा विकल्प सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 1, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – B 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. चर्चा कीजिए कि मानव विकास रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत की HDI रैंकिंग में सुधार के बावजूद उसे किन सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उसका समाधान कैसे किया जा सकता है? ( शब्द सीमा – 250 अंक- 15) 

 

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