30 Jan वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, शिक्षा, बच्चों से संबंधित मुद्दे, भारत में प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित मुख्य चिंताएँ, मानव संसाधन, कौशल विकास, वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 के प्रमुख निष्कर्ष ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024, प्रारंभिक शिक्षा, मौलिक अधिकार, डिजिटल साक्षरता, आँगनवाड़ी, पीएम श्री स्कूल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में, गैर सरकारी संगठन ‘ प्रथम फाउंडेशन ‘ द्वारा भारत के ग्रामीण इलाकों के छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन पर आधारित वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 प्रकाशित की गई है।
- इस रिपोर्ट में वर्ष 2024 में 605 ग्रामीण जिलों के कुल 17,997 गाँवों में किए गए व्यापक सर्वेक्षण का आंकलन किया गया है।
- वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 में 3 से 16 वर्ष की आयु के कुल 649,491 बच्चों के डेटा को शामिल किया गया है, और 5 से 16 वर्ष तक के 5 लाख से अधिक बच्चों के पढ़ाई और गणितीय, अंकगणितीय ज्ञान की क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया है।
ASER क्या है ?
- ASER (Annual Status of Education Report) एक राष्ट्रीय स्तर पर संचालित, नागरिक नेतृत्व वाली एक व्यापक घरेलू सर्वेक्षण पहल है, जो विशेष रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा और उनके अधिगम के स्तर का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है।
- इसकी शुरुआत 2005 में हुई थी, और तब से यह ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रवृत्तियों और प्रमुख चुनौतियों का निरंतर अवलोकन करती आई है।
- इस रिपोर्ट को हर वर्ष के उद्देश्य, फोकस और विस्तार के आवश्यकतानुसार अनुकूलित किया जाता है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा के वास्तविक हालात का सही मूल्यांकन किया जा सके।
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) का फोकस / केंद्रित क्षेत्र :
- नामांकन की स्थिति के आधार पर सुधारों और चुनौतियों का विश्लेषण करना : ASER स्कूल और प्री-स्कूल के नामांकन को ट्रैक करता है, और प्रत्येक राज्य तथा आयु समूह के आधार पर सुधारों और चुनौतियों का विश्लेषण करता है।
- अधिगम के परिणामों तथा अंकगणितीय क्षमताओं के मूल्यांकन करना : इस वार्षिक रिपोर्ट का मुख्य फोकस बच्चों की पढ़ने और अंकगणितीय क्षमताओं के मूल्यांकन पर होता है, ताकि यह समझा जा सके कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा की प्रगति कैसी है।
- डिजिटल साक्षरता पर ध्यान केंद्रित करना : वर्ष 2024 की इस रिपोर्ट में बच्चों के स्मार्टफोन उपयोग और तकनीकी कौशलों जैसे कि अलार्म सेट करना, इंटरनेट ब्राउज़िंग, और संदेश भेजने आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 का मुख्य निष्कर्ष :
- प्री-प्राइमरी (3-5 वर्ष) : आंगनवाड़ी और प्रीस्कूलों में नामांकन में लगातार वृद्धि हुई है। उदाहरण स्वरूप, 3 वर्ष की आयु में बच्चों का नामांकन 2018 में 68.1% था, जो 2024 में बढ़कर 77.4% हो गया है।
- प्राथमिक शिक्षा (6-14 वर्ष) : भारत में प्राथमिक स्कूलों में नामांकन का प्रतिशत वर्ष 2022 में 98.4% था, जो अब वर्ष 2024 में 98.1% रह गया है। हालांकि सरकारी स्कूलों में नामांकन में 7.9% की गिरावट आई है।
- बड़े बच्चे (15-16 वर्ष) : इस आयु वर्ग के बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है, वर्ष 2018 में यह दर 13.1% थी, जो वर्ष 2024 में घटकर 7.9% हो गई है।
- डिजिटल साक्षरता का उपयोग : भारत में लगभग 90% बच्चों के पास स्मार्टफोन तक पहुँच है, और उनमें से अधिकांश सोशल मीडिया के लिए इसका उपयोग करते हैं।
- साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में वृद्धि : भारत में 80% से अधिक स्कूलों में FLN (बुनियादी साक्षरता और अंकगणितीय कौशल) गतिविधियाँ लागू की गई हैं।
- शिक्षकों की उपस्थिति और स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं में सुधार होना : छात्र और शिक्षक दोनों की उपस्थिति में सुधार हुआ है। इसके अलावा, स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय और पेयजल की उपलब्धता में भी सुधार देखा गया है।
- भारत के स्कूली शिक्षा पर कोविड-19 प्रभाव : महामारी के बाद से शिक्षा के परिणामों में राज्य-स्तरीय भिन्नताएँ देखी गई हैं। कुछ राज्यों में कक्षा III के बच्चों के पढ़ने की क्षमता में कमी आई है, जबकि अधिकांश राज्यों में अंकगणित में सुधार हुआ है।
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) का महत्त्व :
- भविष्य की शिक्षा का आधार प्रदान करना : भारत में वर्तमान प्रारंभिक शिक्षा भविष्य में उच्च शिक्षा और करियर जैसे पढ़ाई, लेखन, गणित और समस्या समाधान के लिए आवश्यक मूलभूत कौशल प्रदान करती है।
- सामाजिक कौशल का विकास को बढ़ावा देना : यह बच्चों को सहपाठियों और शिक्षकों के साथ बेहतर संवाद, टीम वर्क और सहानुभूति जैसे सामाजिक कौशल सिखाती है।
- व्यक्तिगत एवं भावनात्मक आत्मविश्वास और प्रेरणा को बढ़ावा देना : भारत में प्रारंभिक शिक्षा बच्चों में आत्मविश्वास और प्रेरणा को बढ़ावा देती है, जिससे वे अपनी क्षमता और रचनात्मकता को पहचान सकते हैं।
- बच्चों के सूक्ष्म और मोटर कौशल में सुधार करने में सहायक होना : भारत के स्कूलों में आयोजित होनेवाली खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियाँ बच्चों के सूक्ष्म और स्थूल मोटर कौशल को बेहतर बनाती हैं।
- नागरिक जिम्मेदारियाँ, सामाजिक जागरूकता और सामाजिक कर्तव्यों के बारे में सीखना : स्कूलों में बच्चे स्वच्छता, नागरिक जिम्मेदारियाँ और सामाजिक कर्तव्यों के बारे में सीखते हैं, जिससे वे भविष्य में जागरूक नागरिक बनते हैं।
- शिक्षा में निवेश से दीर्घकालिक रूप से पड़ने वाला आर्थिक प्रभाव : प्रारंभिक शिक्षा में निवेश से दीर्घकालिक आर्थिक विकास, नवाचार और उत्पादकता में वृद्धि होती है।
मुख्य चुनौतियाँ :
- अपर्याप्त स्कूल अवसंरचना होना : भारत के 14.71 लाख स्कूलों में से 1.52 लाख में बिजली की सुविधा नहीं है, जिससे प्रौद्योगिकी का उपयोग जैसे कंप्यूटर और इंटरनेट के उपयोग करने में कठिनाई होती है।
- शौचालयों की कमी होना : इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 67,000 स्कूलों में, जिनमें से 46,000 सरकारी हैं, कार्यशील शौचालयों का अभाव है। दिव्यांगों के लिए शौचालय केवल 33.2% स्कूलों में उपलब्ध हैं, और उनमें से अधिकांश क्रियाशील नहीं हैं।
- प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच का होना : भारत के विभिन्न राज्यों के सरकारी स्कूलों में केवल 43.5% के पास कंप्यूटर हैं, जबकि निजी स्कूलों में यह आंकड़ा 70.9% है।
- छात्र – शिक्षक अनुपात में कमी होना : भारत में लगभग 1 लाख स्कूल ऐसे हैं जिनमें केवल एक शिक्षक ही है, जो गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं होता।
- भारत में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विभाजन का व्याप्त होना : भारत में जाति, वर्ग, ग्रामीण-शहरी भेदभाव और लैंगिक असमानताएँ शिक्षा की गुणवत्ता और वितरण को प्रभावित करती हैं।
- क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री की कमी के कारण भारत में भाषा – संबंधी समस्याओं का होना : भारत के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री की कमी के कारण, हिंदी और अंग्रेजी में दक्षता न रखने वाले बच्चों के लिए शिक्षा तक पहुँच सीमित हो जाती है।
भारत में शिक्षा से संबंधित प्रमुख सरकारी पहल :
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संवर्धित शिक्षा कार्यक्रम
- सर्व शिक्षा अभियान
- प्रज्ञाता
- मध्याह्न भोजन योजना
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
- पीएम श्री स्कूल योजना
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020
समाधान / आगे की राह :
- शिक्षा की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत : सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से वंचित वर्गों के लिए शिक्षा की सुलभता सुनिश्चित करने हेतु तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।
- अंशकालिक शिक्षा के तहत विशेष शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए जाने की जरूरत : उन बच्चों के लिए विशेष शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए जिन्हें काम करने या घरेलू सहायता की आवश्यकता होती है।
- साक्षरता कार्यक्रम के तहत साक्षरता अभियानों को विस्तार करने की आवश्यकता : स्कूल छोड़ चुके बच्चों के लिए साक्षरता अभियानों का विस्तार किया जाना चाहिए।
- जवाबदेही और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की जरूरत : शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार के लिए ज़िला स्कूल बोर्डों की स्थापना और स्कूल निरीक्षकों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए।
- स्कूलों की उपलब्धता और उस तक पहुँच को सुनिश्चित करने की जरूरत : विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या बढ़ाकर, 1 किलोमीटर के अंदर शिक्षा का अवसर सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- अभिभावकों को जागरूक एवं शिक्षित करने की जरूरत : अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए, खासकर बालिकाओं के संदर्भ में, ताकि वे शिक्षा के प्रभाव को समझ सकें।
स्त्रोत – इंडियन एक्सप्रेस।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 30th Jan 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 में भारत की शिक्षा व्यवस्था में कौन-सी प्रमुख चुनौती को चिन्हित किया गया है?
- अपर्याप्त स्कूल अवसंरचना।
- शिक्षा के लिए पर्याप्त सरकारी निधि का होना।
- छात्रों का उच्च विद्यालय में नामांकन।
- सामाजिक विभाजन और लैंगिक असमानताएँ।
उपर्युक्त में से कौन सा विकल्प सही उत्तर है ?
A. केवल 1 और 4
B. केवल 2 और 3
C. केवल 2 और 4
D. केवल 1 और 3
उत्तर – A.
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 के अनुसार, भारत के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की स्थिति, उसके प्रमुख निष्कर्ष, प्रमुख चुनौतियाँ और शिक्षा सुधार के लिए किए गए सरकारी प्रयासों के बारे में आपके क्या विचार हैं? इसके समाधान के लिए आप कौन से उपाय सुझाएंगे ? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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