06 Jun विश्व पर्यावरण दिवस 2025
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के ‘ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, पर्यावरण – प्रदूषण, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और उससे संबंधित पहल ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ विश्व पर्यावरण दिवस और जैव विविधता, संयुक्त राष्ट्र महासभा, स्टॉकहोम कन्वेंशन, COP, अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट, सिंगल यूज़ प्लास्टिक (SUP), एक पेड़ माँ के नाम पहल ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में, 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस (WED) मनाया गया, जिसकी वैश्विक मेज़बानी इस बार दक्षिण कोरिया (कोरिया गणराज्य) ने की। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने ‘अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट’ के तहत ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के अंतर्गत एक बरगद का पौधा लगाया।
- यह दिन पर्यावरणीय चेतना बढ़ाने तथा वैश्विक समुदाय को सतत विकास की दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 5 जून को पूरे विश्व भर में मनाया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 क्या है?
- विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सन 1972 में की गई थी।
- इस विषय पर पहली बार चर्चा मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन द्वारा आयोजित पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित पहले प्रमुख वैश्विक शिखर सम्मेलन में की गई थी।
- सन 1973 में अपनी स्थापना के बाद से, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) इस आयोजन का नेतृत्व कर रहा है। यह ऐतिहासिक सम्मेलन वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का मुख्य थीम / विषय था – “प्लास्टिक प्रदूषण को हराना” (Beat Plastic Pollution)। इसका प्रमुख उद्देश्य प्लास्टिक की बढ़ती समस्या पर जागरूकता फैलाना और इसके समाधान के लिए ‘Refuse, Reduce, Reuse, Recycle’ जैसे टिकाऊ उपायों को प्रोत्साहित करना है।
- प्लास्टिक प्रदूषण न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता क्षरण और मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालता है। आँकड़ों के अनुसार, हर वर्ष करीब 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जल स्रोतों में समा जाता है, और भारत अकेले 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न करता है – जो वैश्विक प्लास्टिक कचरे का लगभग 20% है।
- इससे उत्पन्न माइक्रोप्लास्टिक मिट्टी और जल दोनों को प्रदूषित करते हैं, जबकि ईंधन जलाने से 5.8 मिलियन टन से अधिक विषैले प्रदूषक वातावरण में घुलते हैं। इस प्रदूषण की वैश्विक आर्थिक लागत 300 से 600 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच आँकी गई है।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान : प्रकृति को नमन – मातृत्व का सम्मान :
- विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा ‘अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट’ के तहत ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को आगे बढ़ाया गया। इस पहल की खासियत यह है कि इसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी माँ के सम्मान में एक पौधा लगाता है – यह भावनात्मक पहल मातृत्व और प्रकृति के पोषण गुणों को एक साथ जोड़ती है।
- यह इस बात का भी प्रतीक है कि जिस तरह पेड़ जीवन को पोषित और पालते हैं, ठीक वैसे ही माताएँ भी करती हैं। इस पहल की शुरुआत विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून, 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी।
- इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना, वन क्षेत्र में वृद्धि करना और माताओं को सम्मान देते हुए सतत विकास का समर्थन करना है।
- विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विश्व रिकॉर्ड उपलब्धि के संदर्भ में 22 सितंबर, 2024 को, प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिक कार्य बल ने जैसलमेर में मात्र एक घंटे में 5 लाख से अधिक पौधे लगाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
पर्यावरणीय स्थिरता में भारत का योगदान :
भारत ने पर्यावरणीय स्थिरता के लिए निम्नलिखित योगदान दिए हैं:
- मिशन LiFE (Lifestyle for Environment) : यह एक वैश्विक पहल है जो लोगों को सतत जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
- राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM) : इसका लक्ष्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण को बढ़ाना और अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP) : इसके तहत वर्ष 2020 तक 21.47 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण किया गया है।
- राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना : यह भारत की जैवविविधता की रक्षा और संवर्धन के लिए एक रणनीतिक ढांचा प्रदान करती है।
- नगर वन योजना (शहरी वन योजना) : यह शहरों और कस्बों के भीतर छोटे शहरी वन या “नगर वन” विकसित करने पर केंद्रित है।
- स्कूल नर्सरी योजना : यह योजना स्कूलों को अपनी नर्सरी विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- CAMPA कोष : वनरोपण और पुनर्जनन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
- आर्द्रभूमि संरक्षण और जैवविविधता संरक्षण : भारत अपने रामसर स्थलों की संख्या को दिन – ब – दिन बढ़ा ही रहा है, जिसके तहत कर्नाटक और तमिलनाडु में नए स्थल शामिल किये गए हैं। वेटलैंड्स ऑफ इंडिया पोर्टल वेटलैंड्स प्रबंधकों और हितधारकों के लिए ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करता है और बहुमूल्य जानकारी एवं संसाधन प्रदान करता है। ये सभी पहल भारत की पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं और विभिन्न स्तरों पर वनरोपण, जैवविविधता संरक्षण, और आर्द्रभूमि प्रबंधन में योगदान करती हैं।
वन एवं वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की वर्तमान स्थिति :
- वन एवं वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत ने पिछले 15 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें शुद्ध वन क्षेत्र में वृद्धि के मामले में वह विश्व में तीसरे स्थान पर है।
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2021 के अनुसार, देश का कुल वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है।
- भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष और प्रोजेक्ट एलीफेंट के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया है , जिससे वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।
- ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ की शुरुआत वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और बंजर वन भूमि के पुनरुद्धार के लिए की गई है, जो जलवायु कार्रवाई पहल में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
- मैंग्रोव पुनरुद्धार के लिए, भारत सरकार ने तटीय राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए विभिन्न उपाय किए हैं।
- राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के तहत ‘मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण एवं प्रबंधन’ नामक एक केंद्रीय क्षेत्र योजना भी लागू की गई है।
- केंद्रीय बजट 2023-24 में मैंग्रोव पहल (MISHTI) की घोषणा की गई, जो तटीय पर्यावास और ठोस आमदनी के लिए मैंग्रोव को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए है।
- एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध के संदर्भ में, सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के माध्यम से 2016 के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में संशोधन किया है, जिसमें चिह्नित एकल-उपयोग प्लास्टिक के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध शामिल है।
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए, जनवरी 2023 में 19,744 करोड़ रुपए के निवेश के साथ शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इस मिशन का लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना है, जो जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करेगा, अर्थव्यवस्था को कार्बन-मुक्त करेगा और वैऔर वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को गति प्रदान करेगी।
जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की वैश्विक स्तर पर शुरू किया गया प्रमुख पहल :
- भारत ने सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता के लिए वैश्विक गठबंधन (Global Alliance for Circular Economy and Resource Efficiency- GACERE) और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन पैनल (International Resource Panel- IRP) के साथ मिलकर काम किया है।
- इन मंचों के माध्यम से, भारत ने वैश्विक और न्यायसंगत चक्रीय अर्थव्यवस्था के परिवर्तन और सतत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की वकालत की है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की छठी सभा 31 अक्तूबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित हुई थी, जिसमें 116 सदस्य देश और अन्य हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री और प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
- पर्यावरण दिवस पर, कोयला मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कोयला और लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा खनन प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक वृक्षारोपण के माध्यम से भूमि पुनर्प्राप्ति के प्रयासों का विवरण है।
- इस रिपोर्ट में “कोयला एवं लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में हरित पहल” के तहत खनन द्वारा प्रभावित भूमि को बहाल करने और पुनर्जीवित करने के प्रयासों को उजागर किया गया है।
- यह रिपोर्ट बताती है कि कोयला क्षेत्र भूमि पुनरुद्धार के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने कोयला खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास लगभग 50,000 हेक्टेयर का हरित आवरण बनाया है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2.5 मिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक का उत्सर्जन होने का अनुमान है।
- इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन कार्बन सिंक बनाने के भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना है।
विश्व पर्यावरण दिवस और जैव विविधता के संरक्षण में समाधान / आगे की राह :
- जैव विविधता के महत्व के प्रति जन जागरूकता फ़ैलाने की जरूरत : जैव विविधता के महत्व को लोगों के बीच जागरूक करने के लिए शिक्षा का महत्व है। शिक्षा के माध्यम से लोगों को जैव विविधता के महत्व के प्रति जागरूक करना चाहिए।
- समुद्री और जलवायु संरक्षण के प्रति नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत : समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए समुद्री बागवानी के अधिकारियों को नवाचारिक तरीकों का उपयोग करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और उनका संवाद करने के लिए भी जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
- वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता : वन्यजीवों के संरक्षण के लिए नवाचारिक तरीकों का अध्ययन करना चाहिए। वन्यजीवों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना चाहिए।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नवाचारों को बढ़ावा देकर वृक्षारोपण और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फ़ैलाने की जरूरत : वृक्षारोपण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नवाचारों को बढ़ावा देकर लोगों को जैव विविधता के महत्व के प्रति जागरूक करना होगा।
स्रोत – पी. आई. बी एवं इंडियन एक्सप्रेस।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 6th June 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना
- वन क्षेत्र में वृद्धि करना
- माताओं को सम्मान देना
- केवल शहरीकरण को बढ़ावा देना
- सतत विकास का समर्थन करना
नीचे दिए गए कूट के आधार पर सही विकल्प का चयन करें :
A. केवल 1, 2, 3 और 4
B. केवल 1, 2, 3 और 5
C. केवल 2, 3 और 5
D. 1, 2, 3, 4, 5 सभी
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1.”वहनीय (ऐफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिए। (UPSC CSE – 2018 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Q.2. भारत में भूमि पुनर्स्थापन की प्रमुख चुनौतियों और उससे उत्पन्न होने वाले प्रमुख अवसरों की व्याख्या करते हुए यह चर्चा कीजिए की पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीतिगत उपाय क्या – क्या हो सकते हैं ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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