24 Oct वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ सामाजिक न्याय, गरीबी और भूख से संबंधित मुद्दे , भारत में स्वास्थ्य से संबंधित सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एकीकरण और वृद्धि एवं विकास ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2024, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम , पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) ’ खंड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों?
- हाल ही में कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थहंगरहिल्फ़ द्वारा जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स-GHI) 2024 में भारत की भूख की स्थिति ‘गंभीर’ बताई गई है।
- इस सूचकांक में भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है, जबकि नेपाल 68, श्रीलंका 56, बांग्लादेश 84 और पाकिस्तान 109वें स्थान पर हैं।
- इस सूचकांक के अनुसार चीन, UAE और कुवैत सहित 22 देश पहले स्थान पर हैं, जबकि भारत का स्कोर 27.3 है, जो वैश्विक स्तर पर भुखमरी के इसके गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स-GHI) : 2024
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index – GHI) एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट है, जिसे कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्टहंगरहिल्फ़ नामक दो प्रमुख मानवाधिकार संगठनों द्वारा हर साल तैयार किया जाता है।
- कंसर्न वर्ल्डवाइड, जो विश्व के सबसे गरीब देशों में गरीबी और पीड़ा को कम करने पर केंद्रित है, और वेल्टहंगरहिल्फ़, जो 1962 में “भूख से मुक्त अभियान” की जर्मन शाखा के रूप में स्थापित हुआ था, यह दोनों संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों में भुखमरी की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।
- यह सूचकांक चार प्रमुख मानकों के आधार पर तैयार किया जाता है।
- GHI का स्कोर जितना कम होगा, उस देश की रैंकिंग उतनी ही बेहतर होगी, यानी वहां के लोग कम भूख का सामना कर रहे हैं।
- इस सूचकांक के माध्यम से, विभिन्न देशों में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति की गहन जानकारी प्राप्त होती है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) स्कोर की गणना का मुख्य तरीका :
वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) के स्कोर की गणना तीन प्रमुख आयामों के आधार पर की जाती है, जिसमें चार पैमानों को शामिल किया जाता है:
- अल्पपोषण : यह उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी व्यक्ति को दिनभर के लिए आवश्यक कैलोरी नहीं मिलती।
- शिशु मृत्यु दर : यह प्रति 1,000 जन्मों पर उन बच्चों की संख्या है, जिनकी मृत्यु 5 वर्ष की आयु से पहले होती है।
- चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन : इसमें दो मुख्य श्रेणियाँ शामिल हैं:
- चाइल्ड वेस्टिंग : यह दर्शाता है कि बच्चे अपनी उम्र के अनुसार बहुत दुबले या कमजोर हैं। विशेष रूप से, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुसार कम होता है, यह संकेत करता है कि उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिला है।
- चाइल्ड स्टंटिंग : इसमें वे बच्चे शामिल हैं जिनकी लंबाई उनकी उम्र के अनुसार कम होती है, जो उसके पोषण की कमी का सीधा संकेत है।
- इन तीनों आयामों को 100 अंकों के मानक स्कोर पर मापा जाता है जिसमें प्रत्येक का योगदान एक-एक तिहाई होता है।
- GHI स्कोर की स्केल पर 0 सबसे अच्छा स्कोर है, जबकि 100 सबसे खराब स्थिति को दर्शाता है।
भारत में भूखमरी से संबंधित चुनौतियाँ :
- अकुशल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) : भारत में तमाम सुधारों के बावजूद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) सभी इच्छित लाभार्थियों तक पहुँचने में विफल है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 67% जनसंख्या को लाभ मिलता है, लेकिन TDPS के तहत 90 मिलियन से अधिक पात्र लोग कानूनी अधिकारों से वंचित हैं।
- आय असमानता और गरीबी : देश में अमीर और गरीब के बीच आय असमानता में बहुत बड़ा अंतर है, जिससे गरीब लोगों के लिए पर्याप्त भोजन खरीदना मुश्किल हो जाता है, हालाँकि 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं, फिर भी आय असमानता खाद्य उपलब्धता को प्रभावित कर रही है।
- पोषण संबंधी चुनौतियाँ : खाद्य सुरक्षा अक्सर पोषण की पर्याप्तता के बजाय कैलोरी पर केंद्रित होती है, जिससे पोषण संबंधी चुनौतियाँ अभी भी बरकरार है।
- शहरीकरण और बदलती खाद्य प्रणालियाँ : शहरों में बढ़ती आबादी और बदलती खानपान की आदतों के कारण भी भुखमरी की समस्या बढ़ रही है। सन 2022 में टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट के अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली के 51% शहरी झुग्गी-झोपड़ी परिवारों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
- लिंग आधारित पोषण स्तर में अंतर होना : महिलाओं और लड़कियों को पुरुषों की तुलना में कम भोजन और पोषण मिलता है, जिससे भारत में लैंगिक आधार पर कुपोषण बढ़ता है।
भारत में भूखमरी को कम करने का प्रयास :
- राजनीतिक इच्छाशक्ति : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, पोषण अभियान, और पीएमजीकेएवाई जैसे कार्यक्रम भूख और कुपोषण को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- अंतर-पीढ़ीगत कुपोषण : मातृ कुपोषण और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की उच्च दुर्बलता दर से जुड़ा हुआ है। अतः कुपोषण की समस्या कई पीढ़ियों से चली आ रही है, जिससे इसे खत्म करना मुश्किल हो गया है।
- गरीब-समर्थित नीतियों को अपनाने की अत्यंत आवश्यकता : किसी भी देश में केवल आर्थिक विकास से भुखमरी में सुधार नहीं होता है। अतः भारत में भूखमरी में कमी लाने के लिए गरीब-समर्थित नीतियों की अत्यंत आवश्यकता है, जो देश में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करती हैं।
समाधान / आगे की राह :
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार करना : भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है, जिससे आर्थिक रूप से वंचित लोगों को अधिक लाभ मिल सके।
- सामाजिक अंकेक्षण और जागरूकता अभियान कार्यक्रम चलाने की जरूरत : मध्याह्न भोजन योजना के सामाजिक अंकेक्षण को स्थानीय प्राधिकारियों की भागीदारी से सभी जिलों में लागू किया जाना चाहिए। आईटी के माध्यम से कार्यक्रम की निगरानी में सुधार के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों के लिए संतुलित आहार पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थानीय भाषाओं में सामुदायिक पोषण शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
- सतत् विकास लक्ष्य (SDGs) का तहत सतत् उपभोग पैटर्न को बढ़ावा देना : भारत में विशेष रूप से SDG 12 (ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन) और SDG 2 (जीरो हंगर) पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सतत् उपभोग पैटर्न को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- कृषि और विविध खाद्य उत्पादन में निवेश करना : भारत में खाद्य प्रणाली को एक समग्र दृष्टिकोण से देखते हुए, विभिन्न और पौष्टिक खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए, जिसमें पोषक अनाज जैसे बाजरा भी शामिल हैं।
- खाद्यान्न की बर्बादी को रोकने की जरूरत : भारत में फसलों की कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए गोदाम और कोल्ड स्टोरेज के बुनियादी ढाँचे में सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता है।
- मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में निवेश की जरूरत : देश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
- नीति-निर्माण में लिंग, जलवायु परिवर्तन, और पोषण के बीच अंतर्संबंध को पहचान करने की जरूरत : नीति-निर्माण में लिंग, जलवायु परिवर्तन और पोषण के बीच अंतर्संबंध को पहचानना आवश्यक है, क्योंकि ये कारक सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक समानता और सतत् विकास को प्रभावित करते हैं। अतः देश में ऐसी नीतियों की आवश्यकता है जो पोषण, लिंग और जलवायु लचीलेपन के बीच परस्पर क्रियाओं पर विचार करें।
- उन्नत सामाजिक सुरक्षा जाल को विस्तार करने की जरूरत : भारत में बेहतर खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक वितरण योजना (PDS), पीएमजीकेएवाई और एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) तक पहुंच का विस्तार करना महत्वपूर्ण है।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
Download plutus ias current affairs (HINDI) 24th Oct 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. हाल ही में जारी किया गया वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2024 के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/ से कथन सही हैं?
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2024 में भारत को 127 देशों में से 105वें स्थान पर रखा गया है, जो इसे भूख के स्तर के लिए “गंभीर” श्रेणी में रखता है।
- वर्ष 2024 में दुनिया के लिए वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2024 स्कोर गंभीर माना जाता है, जो 2016 के बाद से हुए भूखमरी में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है।
- इस सूचकांक में भारत का प्रदर्शन बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों से तुलनात्मक रूप से बेहतर है।
नीचे दिए कूट के आधार पर सही विकल्प का चयन करें:
A. केवल 1
B. केवल 1 और 2
C. केवल 1 और 3
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर- A
व्याख्या:
- कथन 2 गलत है क्योंकि 18.3 का वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) स्कोर मध्यम माना जाता है, गंभीर नहीं माना जाता है।
- कथन 3 भी गलत है क्योंकि भारत का प्रदर्शन बांग्लादेश और नेपाल जैसे अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों से भी खराब है।
- वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक/ खोज करने का एक उपकरण है।
- यह सूचकांक आयरिश मानवीय संगठन कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन सहायता एजेंसी वेल्टहंगरहिल्फ़ द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- वैश्विक स्तर पर वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2024 का स्कोर 18.3 है, जिसे मध्यम माना जाता है, जो वर्ष 2016 के 18.8 के स्कोर से थोड़ा ही कम है।
- वर्ष 2016 से भूखमरी को कम करने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है, और वर्ष 2030 की लक्ष्य तिथि तक शून्य भूख को प्राप्त करने की संभावनाएँ बहुत कम हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर विश्व के 42 देश अभी भी भयावह या गंभीर भूखमरी का सामना कर रहे हैं।
- हाल ही में जारी गाजा और सूडान में युद्धों ने असाधारण खाद्य संकटों को जन्म दिया है।
- सोमालिया, यमन, चाड और मेडागास्कर उच्चतम 2024 GHI स्कोर वाले देश हैं; बुरुंडी और दक्षिण सूडान को भी अस्थायी रूप से खतरनाक के रूप में नामित किया गया है।
- बांग्लादेश, मोजाम्बिक, नेपाल, सोमालिया और टोगो में प्रगति उल्लेखनीय रही है, हालांकि भूखमरी की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।
- बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई पड़ोसियों की तुलना में भारत का प्रदर्शन चिंताजनक बना हुआ है, जो “मध्यम” श्रेणी में आता है।
- भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ सूचीबद्ध किया गया है, जो गंभीर रूप से भूख से संबंधित चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं: भारत की 13.7 प्रतिशत आबादी कुपोषित है, पांच साल से कम उम्र के 35.5 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं, 18.7 प्रतिशत कुपोषण से पीड़ित हैं और 2.9 प्रतिशत बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही मर जाते हैं।
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2024 में भारत की स्थिति और दक्षिण एशियाई देशों के साथ इसकी तुलना करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भूख और पोषण से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए भारत को क्या रणनीतियाँ अपनानी चाहिए और इस संदर्भ में सरकारी नीतियों और सामाजिक कार्यक्रमों की भूमिका क्या होनी चाहिए? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
No Comments