संगठित और असंगठित श्रम का समागम : भारत में कार्यबल के औपचारिकीकरण की प्रक्रिया

संगठित और असंगठित श्रम का समागम : भारत में कार्यबल के औपचारिकीकरण की प्रक्रिया

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , समावेशी विकास , रोजगार , भारत में सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ , सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं का प्रबंधन , सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, ई-श्रम पोर्टल, उद्यम पोर्टल, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना, अनौपचारिक क्षेत्र, वस्तु और सेवा कर ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था औपचारिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रही है, जिससे लाखों लोगों के लिए रोजगार संरचनाएं, सुरक्षा और सामाजिक लाभ नए रूप में सामने आ रहे हैं। 
  • इस बदलाव से भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अब सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों से जुड़ सकेगा, जो उनके आर्थिक स्थिरता और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करेगा।
  • कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सहयोग से यह बदलाव श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा से जोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है।

 

कार्यबल का औपचारिकीकरण : 

 

  • कार्यबल का औपचारिकीकरणएक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को समतापूर्ण और लचीला बनाने की दिशा में है। 
  • यह श्रमिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा और कार्य स्थितियाँ प्रदान करता है। इसके साथ – ही – साथ यह उत्पादकता, कर अनुपालन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी मजबूत करता है। 
  • जब अनौपचारिक क्षेत्र (जैसे छोटे व्यवसाय और दैनिक वेतन भोगी श्रमिक) से नौकरियाँ औपचारिक क्षेत्र (जहां कर्मचारी अनुबंध, सुरक्षा और लाभ प्राप्त करते हैं) में स्थानांतरित होती हैं, तो इसे औपचारिकीकरण कहा जाता है।

 

विशेषताएँ :

 

  1. यह व्यवसाय कानूनी ढांचे के आधार पर ही संचालित होते हैं और नियमों का पालन करते हैं।
  2. इससे कर राजस्व और कर आधार में वृद्धि होती है।
  3. इसमें कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और श्रम कानूनों के तहत लाभ मिलते हैं।
  4. इससे औपचारिक व्यवसायों को वित्तीय सेवाओं और ऋण की सुगम पहुँच होती है।
  5. यह उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ – ही – साथ आपस में प्रतिस्पर्धा को भी प्रोत्साहित करता है।

 

महत्त्व :

 

  1. अनौपचारिक रोजगार : भारत का अधिकांश कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में है, जो औपचारिक श्रम कानूनों से बाहर है।
  2. सामाजिक सुरक्षा : औपचारिकीकरण से श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पेंशन जैसे लाभ मिलते हैं।
  3. आर्थिक नियोजन और डेटा संग्रहण को बेहतर बनाना : यह बेहतर डेटा संग्रहण नीति-निर्माण और आर्थिक नियोजन में सहायक होता है।
  4. सरकार को अधिक कर राजस्व प्राप्त करने में मदद करना : औपचारिक कार्यबल सरकार को अधिक कर राजस्व प्राप्त करने में मदद करता है।
  5. काले धन में कमी : यह आर्थिक मामलों में पारदर्शिता को बढ़ाता है और धन शोधन से संबंधित अवैध गतिविधियों को कठिन बनाता है।
  6. डिजिटल समावेशन : डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ता है, जिससे कार्यबल में दक्षता और पारदर्शिता में सुधार होता है।
  7. निवेश को प्रोत्साहित करना : एक औपचारिक कार्यबल घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के निवेश को प्रोत्साहित करता है।

 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और भारत के कार्यबल औपचारिकीकरण में इसकी भूमिका : 

  1. श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान करना : EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) विश्व के सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा संगठनों में से एक है, जो लाखों भारतीय श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करता है। इसकी स्थापना 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम के तहत हुई थी। वर्तमान में, EPFO लगभग 29.88 करोड़ खातों का प्रबंधन करता है, जो इसके विशाल आकार और वित्तीय लेन-देन की व्यापकता को दर्शाता है। यह संगठन भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। 
  2. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के लाभ : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रमुख सुविधाओं में सेवानिवृत्ति निधि, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), कर्मचारी डिपॉजिट-लिंक्ड बीमा (EDLI) और आपातकालीन, शिक्षा या घर खरीदने के लिए EPF से आंशिक निकासी शामिल हैं। ये लाभ कर्मचारियों को दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और भविष्य के लिए सुनिश्चित समर्थन प्रदान करते हैं। 
  3. कार्यबल औपचारिकीकरण में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की भूमिका : वर्ष 2017 से 2024 तक EPFO में 6.91 करोड़ नए सदस्य जुड़ चुके हैं, जिसमें 2022-23 में 1.38 करोड़ नए सदस्य पंजीकृत हुए। जुलाई 2024 में ही करीब 20 लाख नए सदस्य जुड़े, जो औपचारिक नौकरी की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है। इसके अलावा, युवा और महिला कर्मचारियों की बढ़ती भागीदारी EPFO के प्रति बढ़ती जागरूकता और समावेशी कार्यबल का संकेत है। EPFO पंजीकरण की वृद्धि भारत में औपचारिक नौकरी के अवसरों की बढ़ती संख्या को और अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभों की प्राप्ति को दर्शाती है।

 

भारत में कार्यबल के औपचारिकीकरण की मुख्य चुनौतियाँ : 

  1. अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाना और वित्तीय बाधाओं को कम करना अत्यंत जरूरी : MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और छोटे व्यवसायों के लिए कार्यबल की औपचारिकीकरण लागत अधिक और जटिल होती है। भारत का लगभग 80-90% कार्यबल अनौपचारिक है, और छोटे व्यवसाय अनुपालन से बचने के लिए अनौपचारिकता को प्राथमिकता देते हैं। इस चुनौती को दूर करने के लिए अनुपालन को सरल बनाना और वित्तीय बाधाओं को कम करना जरूरी होगा।
  2. मौसमी कार्यबल का होना : कृषि, निर्माण और अन्य कम वेतन वाली नौकरियों में प्रवासी श्रमिकों के पास नियमित औपचारिक अनुबंध नहीं होते हैं, क्योंकि उनका स्थानांतरण लगातार होता रहता है। दस्तावेज़ीकरण की कमी उनके औपचारिकीकरण में रुकावट डालती है।
  3. औपचारिक लाभों के प्रति जागरूकता की कमी के कारण परिवर्तन का प्रतिरोध करना : अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक लचीलेपन को प्राथमिकता देते हैं और औपचारिक लाभों के प्रति जागरूकता की कमी के कारण औपचारिकता अपनाने में हिचकिचाते हैं।
  4. डिजिटल उपकरणों की सीमित पहुँच का होना : आधार और UPI की उपलब्धता के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल उपकरणों की सीमित पहुँच औपचारिक रोजगार के लिए एक बड़ी बाधा बनती है।
  5. आवश्यक कौशल का अभाव होना : अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों में औपचारिक नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल का अभाव है, और इनके लिए पर्याप्त कौशल विकास कार्यक्रम भी उपलब्ध नहीं हैं।
  6. लैंगिक पूर्वाग्रहों के कारण लैंगिक असमानता का होना : महिलाओं को औपचारिक रोजगार में सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों, बाल देखभाल सेवाओं की कमी और कार्यस्थल पर लैंगिक पूर्वाग्रह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 

कार्यबल के औपचारिकीकरण से संबंधित भारत की विभिन्न पहल : 

  1. ई-श्रम पोर्टल  
  2. उद्यम पोर्टल
  3. प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना 
  4. श्रम सुधार : सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020 जैसे श्रम संहिताओं का उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल बनाना और कार्य स्थितियों में सुधार करना है।  
  5. GST और डिजिटल भुगतान प्रणाली : GST (2017) और डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ व्यवसायों को पारदर्शी तरीके से संचालन करने और कर प्रणाली में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे अनौपचारिकता कम हो रही है।

 

समाधान / आगे की राह :

 

 

  1. उपयुक्त प्रोत्साहन उपायों पर ध्यान केंद्रित करना : व्यवसायों को औपचारिक क्षेत्र में लाने के लिए उपयुक्त प्रोत्साहन और उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  2. बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच बढ़ाकर वित्तीय समावेशन में सुधार करना : प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के जरिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच बढ़ाकर और डिजिटल भुगतान प्रणालियों को बढ़ावा देकर अधिक व्यवसायों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में समाहित किया जा सकता है।
  3. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना : कौशल भारत मिशन के तहत उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देकर श्रमिकों को औपचारिक रोजगार के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया जा सकता है।
  4. वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए MSME को बढ़ावा देना : MSME को वित्तीय सहायता और बेहतर कार्यप्रणाली से मजबूत करके उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सकता है, जिससे औपचारिकीकरण और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।
  5. विशेष लक्षित योजनाएँ लागू करना : जनजातीय श्रमिकों के औपचारिकीकरण के लिए विशेष योजनाएँ लागू करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठा सकें।

 

निष्कर्ष : 

 

  • औपचारिकीकरण भारत के श्रमिकों को अनिश्चितताओं के समय में रोजगार सुरक्षा प्रदान करता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया। 
  • EPFO पंजीकरण में वृद्धि संगठित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते कदमों का संकेत है, जिससे लाखों लोगों के लिए सुरक्षित और उज्जवल भविष्य सुनिश्चित होगा।

स्रोत- पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के योगदान से भारत की अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव हो सकता है?

  1. इससे श्रमिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी।
  2. केवल सरकारी कर्मचारियों को इससे लाभ प्राप्त होगा जिससे केवल सरकारी क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा।
  3. लाखों लोगों को रोजगार की नई संरचनाएं मिलेंगी।
  4. इससे भारतीय उद्योगों में श्रमिकों की संख्या कम होगी।

उपर्युक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – A  

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारतीय अर्थव्यवस्था में संगठित और असंगठित क्षेत्रों के बीच की खाई को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा करें और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की भूमिका, समावेशी विकास, रोजगार, सामाजिक सेवाओं के प्रबंधन, और इन योजनाओं के आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव का विश्लेषण करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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